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आयकर विभाग ने 69 लाख रुपये की बेहिसाबी नगदी और करीब 82 लाख रुपये के आभूषण जब्त किये

आयकर विभाग ने 08 अक्टूबर को विश्वसनीय गोपनीय जानकारी के आधार पर अहमदाबाद में एक रियल एस्टेट, निर्माण और जमीन के कारोबार से जुड़े एक समूह के मामले में तलाशी और जब्ती की कार्रवाई की। यह तलाशी 27 परिसरों में ली गई, जिसमें कुछ सहयोगियों के कार्यालय और आवास भी शामिल थे। तलाशी की कार्रवाई में अब तक लगभग 69 लाख रुपये की बेहिसाबी नगदी और करीब 82 लाख रुपये के आभूषण जब्त किये जा चुके हैं। इसके अलावा 18 बैंक लॉकर मिले हैं और जब्त किए गए हैं। साथ में मोबाइल फोन, पेन-ड्राइव और कंप्यूटर में बड़ी संख्या में संदिग्ध दस्तावेज और डिजिटल डेटा भी मिले है और जिसे भी जब्त किया गया है।

लगभग 96 कंपनियां कुछ ही एक जैसे पते पर थीं, जिनका पैसों के लेन-देन और भूमि खरीदने में इस्तेमाल हो रहा था। अधिकांश कंपनियों के पास कोई वास्तविक कारोबार नहीं मिला है और बहुत कम कंपनियों ने आयकर रिटर्न दाखिल किए हैं। कई कंपनियों ने आरओसी के साथ रिटर्न ही नहीं भरा है। मुख्य परिवार के सदस्यों के अलावा अन्य निदेशकों ने केवल हस्ताक्षर करने की भूमिकाओं के साथ डमी निदेशक होने की बात स्वीकार की है।

अंतर-समूह लेनदेन के माध्यम से संपत्तियों की लागत में वृद्धि करके कर चोरी करने का नया तरीका पता चला है, जिस पर कर का भुगतान नहीं किया गया है। नियमित बही खातों के बाहर लेन-देन, बेहिसाबी नगदी खर्च और नगद अग्रिम प्राप्ति व ब्याज के नकद भुगतान से संबंधित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले हैं। धन के लेन-देन के साथ-साथ रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स, फ्लैट्स, दुकानों और जमीन के सौदों में लगभग 100 करोड़ रुपये के बेहिसाबी निवेश के भी साक्ष्य मिले हैं।

एक गोपनीय स्थान से कई सहकारी समितियों के नाम पर संपत्तियों के बड़ी संख्या में दस्तावेज मिले हैं। इन जमीनों के असली मालिकों का पता लगाया जा रहा है और बेनामी संपत्ति लेन-देन अधिनियम, 1988 की निषेधों के लागू होने की भी जांच की जा रही है। पर्याप्त नकदी घटक के साथ कृषि भूमि के रजिस्टर्ड और नोटरीकृत बिक्री-खरीद के समझौतों का भी पता चला है। एक परिसर से लगभग 150 करोड़ रुपये की बेहिसाबी संपत्ति का लेन-देन होने के सबूत मिले हैं। अतिरिक्त जांच जारी है।