नई दिल्ली। रूस द्वारा 1941-1945 के महान देशभक्त युद्ध में तत्कालीन सोवियत की जीत की 75वीं वर्षगांठ मनायी जा रही है। भारतीय सशस्त्र बलों की टुकड़ी ने 24 जून को रेड स्क्वायर, मॉस्को में विजय दिवस परेड में हिस्सा लिया। भारतीय सशस्त्र बलों की त्रि-सेवा टुकड़ी में, सभी 75 रैंक शामिल थे और उन्होंने रूसी सशस्त्र बलों और 17 अन्य देशों की सैन्य टुकड़ियों के साथ मार्च किया। इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल हुए।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश भारतीय सशस्त्र बल, मित्र सेनाओं की सबसे बड़ी टुकड़ियों में से एक था, जिसने उत्तर और पूर्वी अफ्रीकी अभियान, पश्चिमी मरूस्थलीय अभियान और धुरी शक्तियों के खिलाफ यूरोपीय थियेटर में हिस्सा लिया था। ये अभियान 34,354 घायलों और 87,000 से ज्यादा भारतीय सैनिकों के बलिदान के गवाह बने। भारतीय सेना द्वारा न केवल सभी मोर्चों पर लड़ाई लड़ी गई, बल्कि इसने दक्षिणी, ट्रांस-ईरानियन लेंड-लीज मार्ग के साथ वस्तुओँ की डिलीवरी भी सुनिश्चित की गई, जिसके साथ हथियार, गोला-बारूद, उपकरणों के लिए कलपुर्जों और भोजन सोवियत संघ, ईरान और इराक भेजे गए। भारतीय सैनिकों के पराक्रम को चार हजार से ज्यादा पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिसमें 18 विक्टोरिया और जॉर्ज क्रॉस के पुरस्कार भी शामिल थे। इसके अलावा, तत्कालीन सोवियत संघ ने भारतीय सशस्त्र बलों के पराक्रम की सराहना की और 23 मई 1944 को मिखाइल कलिनिन और अलेक्जेंडर गोर्किन द्वारा हस्ताक्षरित, यूएसएसआर के सर्वोच्च सोवियत के प्रधान परिषद ने रॉयल इंडियन आर्मी सर्विस कॉर्प्स के सूबेदार नारायण राव निक्कम और हवलदार गजेंद्र सिंह चंद को रेड स्टार का प्रतिष्ठित सम्मान प्रदान किया।