नई दिल्ली। मध्यप्रदेश समेत अन्य राज्यों में भी मानसून के आने-जाने की अनुमानित तारीखें बदल दी गयीं हैं। इस तरह
का अनूठा किन्तु वैज्ञानिक बदलाव 60 साल में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा कृषि, जल संसाधन प्रबंधन और ऊर्जा प्रबंधन इत्यादि क्षेत्रों को दृष्टिगत रखकर किया गया है।
ये है बदलाव का पैमाना
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने वर्ष 1961 से 2019 के मानसून के आगमन के आधार पर इसके आगमन के समय में संशोधन किया है। वर्ष 1971 से 2019 के मॉनसून की वापसी के आधार पर इसकी वापसी के समय में संशोधन किया है। देश में समग्र रूप से मानसून के दस्तक देने की तिथि 1 जून ही रखी गई है। लेकिन राज्यवार मानसून के आगमन की तिथियां बदल गयीं हैं।
अब राज्यवार ऐसे रहेंगे मानसून के हालत
- केरल से आगे तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश के भागों में मॉनसून की प्रगति को 3 से 7 दिन पीछे किया गया है।
- प्रगति में भले देरी की गई है लेकिन समूचे देश को पार करते हुए उत्तर-पश्चिम भारत के आखिरी ठिकाने से भी आगे निकाल जाने तिथि 15 जुलाई से घटाकर 8 जुलाई कर दी गई है।
- मानसून की वापसी यानी विदड्रॉल की समय सीमा में व्यापक बदलाव हुआ है, खासतौर पर उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत के भागों में।
- उत्तर-पश्चिम भारत से मानसून की वापसी के समय को 7 से 14 दिनों तक आगे बढ़ा दिया गया है। दक्षिण भारत से यानी समूचे भारत से मानसून के विदा होने की अंतिम तिथि 15 अक्टूबर ही रखी गई है। इसमें कोई बदलाव नहीं आया है।
- दिल्ली में पहले मानसून के आगमन की सामान्य तिथि 23 जून और वापसी की सामान्य समय सीमा 22 सितंबर थी। इसे अब बदलकर क्रमशः 27 जून और 25 सितंबर किया गया है।
- मुंबई में मानसून के आगमन की तारीख पहले 10 जून थी, इसे अब बदलकर 11 जून कर दिया गया है। वहीं वापसी की तिथि 29 सितंबर से आगे बढ़ाकर 8 अक्टूबर कर दी गई है।
- कोलकाता में भी 10 जून की बजाए 11 जून को मानसून आएगा। वापसी 14 अक्टूबर से घटाकर 12 अक्टूबर कर दी गई है।
चेन्नई में भी बदलाव हुआ है। - पहले केरल के साथ चेन्नई में भी 1 जून को ही मानसून का आगमन माना जाता था। अब यहाँ सामान्य तिथि 1 जून से बढ़ाकर 4 जून कर दी गई है।