मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जनजातियों के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान एवं उनके गौरव को दुनिया में पुन: स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 52 गढ़ों वाले गोंडवाना राज्य का गौरवशाली इतिहास रहा है। गोंड राजा प्रजापालक एवं कुशल प्रबंधक थे। उनके श्रेष्ठ जल-प्रबंधन को आज भी याद किया जाता है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जनजातीय वर्ग को सामुदायिक वन प्रबंधन का अधिकार दिया जाएगा, वे जंगल लगाएंगे तथा उसकी लकड़ी, फल पर उनका ही अधिकार होगा। मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना में उन्हें आवासीय भूमि अधिकार-पत्र प्रदान किये जायेंगे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि सरकार नई आबकारी नीति बना रही है, जिसमें जनजातीय वर्ग पारंपरिक रूप से महुआ से शराब बना पाएगा। इस हेरिटेज शराब को बेचने का अधिकार भी जनजातियों को दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जनजातियों के विरूद्ध दायर छोटे-छोटे और झूठे मुकदमे वापस लिये जाएंगे। जनजातीय समुदाय को प्रधानमंत्री आवास बनाने के लिये रेत मुफ्त में प्रदान की जाएगी। अगले वर्ष से तेंदूपत्ता बेचने का अधिकार जनजातियों को दिए जाने पर विचार किया जा रहा है। यह कार्य वन समितियों के माध्यम से किया जाएगा।
हर गाँव में 4 ग्रामीण इंजीनियर नियुक्त किये जाएंगे, जो जनजातीय समाज के होंगे। पुलिस एवं सेना की भर्ती के लिये जनजातीय युवाओं को प्रशिक्षण दिलावाया जाएगा। हर घर तक नल के माध्यम से पानी पहुँचाया जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मंडला में मेडिकल कॉलेज खोला जाएगा, जिसका नाम राजा हृदय शाह मेडिकल कॉलेज होगा। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, मानपुर का नाम टंट्या भील स्वास्थ्य केन्द्र होगा। पाताल पानी स्थित टंट्या भील मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाएगा। पातालपानी रेलवे स्टेशन का नाम टंट्या भील रेलवे स्टेशन होगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि इंदौर स्थित भंवर कुआं चौराहे का नाम टंट्या भील चौराहा होगा। इसी प्रकार इंदौर में एमआर-10 बस स्टेण्ड का नाम टंट्या भील बस स्टेण्ड किया जाएगा।
बैगा योजना का डिजिटल शुभारंभ
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बैगा योजना का मंच से डिजिटल शुभारंभ किया। योजना में बैगा समुदाय के सभी व्यक्तियों का घर-घर सर्वे कर उन्हें शासन की सभी संबंधित योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बैगा संस्कृति पर प्रकाशित पुस्तक “मैं बैगा हूँ” का विमोचन भी किया।
मुख्यमंत्री श्री चौहान के कार्यक्रम स्थल पहुँचने पर जनजातीय कलाकारों ने उनका पारंपरिक नृत्य एवं गीत के साथ आत्मीय स्वागत किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान भी उनके प्रेम से अभिभूत हो गये और उन्होंने जनजातीय कलाकारों के साथ ढोल बजाकर नृत्य भी किया। समापन सम्मेलन की शुरूआत कन्या-पूजन के साथ की गई।