नरसिंहपुर/करेली। नर्मदा नदी के उच्च बाढ़ स्तर से 300 मीटर के दायरे में जितने भी निर्माण हुए हैं, उन्हें दो माह के भीतर हर हाल में प्रशासन को हटाना होगा। नर्मदा मिशन की याचिका पर मप्र हाईकोर्ट ने ये फैसला दिया है। शनिवार को तहसील मुख्यालय पहुंचे संत भैयाजी सरकार ने ये जानकारी पर्यावरणविदों, समाजसेवियों और नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए काम कर रहे लोगों को दी। भैयाजी सरकार ने बताया कि नर्मदा संरक्षण व संवर्धन की दिशा मंे 16 मार्च को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने फैसला देते हुए प्रदेश शासन को निर्देशित किया है कि नर्मदा के किनारे उच्च बाढ़ स्तर से 300 मीटर के दायरे में 1 अक्टूबर 2008 के बाद किए गए सभी तरह के निर्माण को 2 महीने के भीतर हटाया जाए। इस संदर्भ में न्यायालय ने एड. मनोज शर्मा को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करते हुए जबलपुर के ग्वारीघाट, तिलवारा व भेड़ाघाट के उच्च बाढ़ स्तर से 300 मीटर के अंदर दयोदय के निर्माण समेत सभी तरह के अवैध निर्माण व अवैध रेत खनन आदि की ग्राउंड रिपोर्ट फाइल करने को निर्देशित किया है। भैयाजी सरकार ने मां नर्मदा के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में इस फैसले को बेहद अहम बताया है। उन्होंने कहा कि मां नर्मदा के किनारों पर अतिक्रमण कर अवैध निर्माण किए जा रहे हैं, किनारों पर जंगलों की वृक्षों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है। भारी भरकम मशीनों से बड़े पैमाने पर रेत का अवैध खनन किया जा रहा है जिसके दुष्परिणाम यह हैं कि अमरकंटक के बाद अनेक जगहों पर मां नर्मदा बिल्कुल विलुप्त हो गई हैं। समुद्र में मिलने के पहले भी मां नर्मदा की धार खत्म हो गई है। अनेक स्थानों पर मां नर्मदा खंड-खंड हो गई है।