श्री राम मंदिर में चल रही सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा का समापन
करेली। नगर के श्री राम मंदिर में चल रही सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा का समापन हो गया। इंदिरा पांडे के परिवार द्वारा आयोजित इस आयोजन में सोमवार को कथा व्यास आचार्य पूर्णानंद महाराज ने बताया कि श्रंगी ऋषि के श्राप को पूरा करने के लिए तक्षक नामक सांप भेष बदलकर राजा परिक्षित के पास पहुंचकर उन्हें डंस लेते हैं और जहर के प्रभाव से राजा का शरीर जल जाता है और मृत्यु हो जाती है। लेकिन श्री मद् भागवत कथा सुनने के प्रभाव से राजा परीक्षित को मोक्ष प्राप्त होता है। पिता की मृत्यु को देखकर राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय क्रोधित होकर सर्प नष्ट हेतु आहुतियां यज्ञ में डलवाना शुरू कर देते हैं। जिनके प्रभाव से संसार के सभी सर्प यज्ञ कुंडों में भस्म होना शुरू हो जाते हैं तब देवता सहित सभी ऋषि मुनि राजा जनमेजय को समझाते हैं और उन्हें ऐसा करने से रोकते हैं।
आचार्य ने कहा कि कथा के श्रवण प्रवचन करने से जन्मजन्मांतरों के पापों का नाश होता है और विष्णुलोक की प्राप्ति होती है। कथा व्यास ने प्रवचन करते हुए कहा कि संसार में मनुष्य को सदा अच्छे कर्म करना चाहिए, माता-पिता के संस्कार ही संतान में जाते हैं। संस्कार ही मनुष्य को महानता की ओर ले जाते हैं। श्रेष्ठ कर्म से ही मोक्ष की प्राप्ति संभव है। सुदामा चरित्र की लीला का भावपूर्ण वर्णन किया गया। जिसमें भजन’अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो कि दर पे सुदामा गरीब आ गया है’पर भाव विभोर हो श्रोताओं की आंखों से अश्रुधार बही।सुदामा चरित्र का प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि मित्रता जीवन का आधार है। सुदामा और कृष्ण की मित्रता आज भी प्रासंगिक है। सुदामा गरीब ब्राह्मण थे। सुदामा की पत्नी ने कहा, हम भले ही भूखे रहें, लेकिन बच्चों का पेट तो भरना चाहिए न? पत्नी ने सुदामा से कहा, आप कई बार कृष्ण की बात करते हो। आपकी उनके साथ बहुत मित्रता है ऐसा कहते हो। वहां क्यों नहीं जाते ? जाइए न! वहां कुछ भी मांगना नहीं पड़ेगा और हुआ भी वैसा ही। सुदामा अपने मित्र के यहां पर गए और बगैर मांगे ही उन्हें वह सभी कुछ मिल गया। श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह का रविवार को समापन हो गया। अंतिम दिन पूर्णाहुति दी गई एवं विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। श्रीमती इंदिरा पांडे एवं समस्त पांडे परिवार द्वारा आयोजित इस भागवत कथा सप्ताह के समापन मौके पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने इस धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा लेकर पुण्य कमाया।