नरसिंहपुर/बरहटा। जनपद क्षेत्र के आदिवासी गांव खापाशेढ़ के हाईस्कूल मोहल्ला क्षेत्र के ग्रामीण दो साल से खेत से पानी लाकर प्यास बुझाने लाचार हैं। पानी के लिए आदिवासी ग्रामीणों, महिलाओं को 2 किमी दूर एक किसान के खेत पर लगे ट्यूवबेल तक जाना पड़ता है। पानी लेने के एवज में ग्रामीण समय-समय पर किसान को कुछ पैसा भी देते हैं ताकि उन्हें पानी सुचारू रूप से मिलता रहे और किसान को नुकसान न हो।
आदिवासी ग्राम खापाशेढ़ में नलजल योजना का संचालन करीब एक साल से बिगड़ा है। बताया जाता है कि गांव में 3 मोटर पंप लगे हैं जिसमें दो पंप चालू हैं। लेकिन हाईस्कूल के पास का मोटर पंप करीब एक साल से बंद है। यहां बोर में मोटर खराब होने के बाद लोक स्वास्थ यांत्रिकी विभाग के अमले ने मोटर निकालने की कोशिश की थी। लेकिन मोटर बोर में ही गिर गई तो कर्मचारियों ने भी फिर सुधार कार्य करना बंद कर दिया। कर्मचारी जबसे गांव से गए हैं तो उन्होंने लौटकर फिर गांव की तरफ नहीं देखा है। खापाशेढ़ निवासी लायचीबाई, सुखवती, मुन्न्ीबाई, दिलसाबाई आदि महिलाओं का कहना है कि उन्हें एक साल से खेत पर लगे ट्यूवबेल से पानी लेकर आना पड़ता है। घर से ट्यूबवेल की दूरी करीब दो किमी है। जिससे पानी के लिए रोजाना परेशानी भुगतना पड़ती है। पूरे परिवार को पानी का इंतजाम करने के लिए बर्तन लेकर भागदौड़ करना पड़ती है। जिससे कई बार उनका मजदूरी का कार्य भी प्रभावित होता है। महिलाओं का कहना है कि वह लंबे समय से किसान से पानी ले रहे हैं इसलिए समय-समय पर थोड़ा-बहुत पैसा भी वह किसान को दे देते हैं ताकि आने-जाने और पानी लेने में किसान को जो नुकसान होता है उसकी थोड़ी सी पूर्ति हो सके और किसान भी पानी देने से इंकार न करे। महिलाओं का कहना कि एक साल से वह परेशानी भुगत रहीं हैं लेकिन आज तक कोई नेता-अधिकारी उनसे पीड़ा जानने गांव नहीं आया है। आदिवासी गांव होने से यहां अधिकारी कम ही आते हैं, गांव में कोई बड़ा जनप्रतिनिधि भी नहीं है जो उनकी समस्या का समाधान करा सके। वहीं पंचायत के सचिव रमेश उपाध्याय का कहना है कि नलजल योजना के तहत गांव में टंकी बनाई गई है और योजना का संचालन लोक स्वास्थ यांत्रिकी विभाग से हो रहा है। विभाग ने अभी पंचायत के हैंडओवर टंकी नहीं की है। कई बार विभाग को पत्र लिखे गए हैं कि योजना का सुचारू संचालन कराया जाए लेकिन जनपद से कोई अधिकारी यहां नहीं आते है।