नरसिंहपुर। खाद्य सुरक्षा व लाइसेंस के नवीनीकरण और प्रशिक्षण के नाम पर भी वसूली की कोशिश ने करेली तहसील में हंगामे की स्थिति निर्मित कर दी। हालात ऐसे बन गए कि मामले की शिकायत थाने में तक हो गई। हालांकि पुलिस की कार्रवाई समझाइश तक सीमित रही। जिसका फायदा उठाकर कथित एनजीओ के कर्मचारी रातोरात गायब हो गए। बताया जाता है कि इसके पहले इस तरह की वसूली नरसिंहपुर तहसील में की जा चुकी थी।
जानकारी के अनुसार करेली शहर स्थित टॉकीज में किराए का हॉल लेकर कथित एनजीओ ग्लोबल इंस्टीट्टयूट फॉर एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के कर्मचारियों ने ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापार-व्यवसाय करने वाले दुकानदारों को खाद्य सुरक्षा, लाइसेंस के नवीनीकरण और प्रशिक्षण देने के नाम पर फोन लगाया। जिन लोगों के पास एनजीओ की ओर से फोन पहुंचे उन्हें बताया गया कि वे खाद्य विभाग की ओर से अधिकृत किए गए हैं। उनके लाइसेंस का नवीनीकरण किया जाना है, साथ ही उन्हें खाद्य सुरक्षा के नियमों के प्रति प्रशिक्षित किया जाएगा, इसके लिए 1200 रुपये तत्काल जमा करें। इस तरह की बातें सुनने पर ग्रामीण क्षेत्र के दुकानदारों को संदेह हुआ। खाद्य विभाग के जिला मुख्यालय स्थित अधिकारियों से जानकारी ली गई तो उन्होंने किसी भी एनजीओ को प्रशिक्षण, लाइसेंस नवीनीकरण के नाम पर पैसा उगाही के लिए अधिकृत किए जाने से इंकार कर दिया। जैसे-जैसे ये बात फैली तो बबाल मचने लगा। दुकानदार एनजीओ के खिलाफ शिकायत लेकर करेली थाने पहुंच गए। यहां पर खाद्य विभाग के अधिकारी भी पहुंचे। हालांकि इन अधिकारियों ने एनजीओ कर्मचारियों के खिलाफ किसी तरह की सख्त कार्रवाई नहीं की। इन लोगों को समझाइश देकर छोड़ दिया गया। अधिकारियों का कहना था कि एनजीओ अधिकृत है, उसके पास पर्याप्त लेटर हैं। हालांकि वे इस बात का जवाब देने के बचते रहे कि इसकी फीस लेने के लिए किसने अधिकृत किया है। न ही प्रशिक्षण व लाइसेंस नवीनीकरण की जिम्मेदारी भी अधिकारी लेने को तैयार थे। वहीं पुलिस ने शिकायत पर जब जांच की तो पता चला कि संबंधित एनजीओ कॉल सेंटर के माध्यम से दुकानदारों के पास फोन करवा रहा था।
लाइसेंस निरस्त करने की धमकी कर वसूली
करेली थाना पुलिस को शिकायतकर्ताओं ने बताया कि जब उनसे प्रशिक्षण, लाइसेंस के नवीनीकरण आदि के नाम पर 1200 रुपये मांगने वाले लगातार ये धमकी दे रहे थे कि यदि राशि जमा नहीं कराई तो उनके लाइसेंस निरस्त हो जाएंगे। उन्होंने ये भी कहा कि कंपनी के कर्मचारियों ने उनसे ये तक बताया कि नरसिंहपुर में 53 लोगों से 2-2 हजार रुपये तक लिए गए हैं। स्थानीय व्यापारियों ने इसके बाद शिकायत खाद्य सुरक्षा विभाग को भी दी। पुलिस ने प्रकरण को जांच में लिया है।
आज जाना था तेंदूखेड़ा लेकिन हो गए गायब
बुधवार को तेंदूखेड़ा में कथित प्रशिक्षण और लाइसेंस नवीनीकरण के लिए एनजीओ द्वारा वहां के व्यापारियों को बुलाया गया था। हालांकि करेली में उपजे बवाल के बाद एनजीओ के कर्मचारी रातोरात जिले से ही गायब हो गए।
एनजीओ वैध लेकिन राशि की जानकारी से इंकार
इस मामले में बुधवार को नया अपडेट ये रहा कि जांच में उक्त एनजीओ को वैध माना गया। जिले की खाद्य सुरक्षा निरीक्षक सारिका दुबे के अनुसार भारत सरकार के खाद्य सुरक्षा विभाग (एफएसएसएआई) के आयुक्त ने देशभर में खाद्य सुरक्षा के प्रति जागरूकता और प्रशिक्षण के लिए 8 एनजीओ/कंपनियों को अधिकृत किया है। इसमें ये एक उक्त एनजीओ भी है। हालांकि निरीक्षक का ये भी कहना था कि उनके पास इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि किसी प्रशिक्षण के लिए कोई राशि ली जाएगी या कि नहीं। इसलिए एनजीओ ने किस आधार पर राशि की मांग की है, इसकी जानकारी संबंधितों से लेने की कोशिश हो रही है।
इनका ये रहा कहना
जिला प्रशासन को सूचना न देने से हुआ बवाल: खाद्य निरीक्षक सरिता दुबे के अनुसार एनजीओ वैध है लेकिन इनके कर्मचारियों ने जिला प्रशासन या उनके विभाग को सूचना नहीं दी। एनजीओ के कर्मियों ने सीधे दुकानदारों से संपर्क करना शुरू कर दिया, इसी से गफलत की स्थिति निर्मित हुई है। लाइसेंस नवीनीकरण के नाम पर मांगी गई रकम से जिला प्रशासन का कोई लेना-देना नहीं है।
सारिका दुबे, खाद्य निरीक्षक, नरसिंहपुर।कुछ दुकानदारों से एनजीओ द्वारा रुपये मांगने की मौखिक शिकायत की थी। इसके बाद खाद्य विभाग की टीम भी करेली पहुंच गई थी। एनजीओ के लोगों को समझाइश दी गई, जिसके बाद वे यहां से चले गए थे।
अनिल सिंघई, थाना प्रभारी, करेली।यदि कोई एनजीओ मेरे अनुविभाग में प्रशिक्षण आदि के नाम पर मनमानी वसूली करना पाया जाएगा तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। करेली के घटनाक्रम की फिलहाल मेरे पास कोई शिकायत नहीं आई थी।
राधेश्याम बघेल, एसडीएम नरसिंहपुर