नरसिंहपुर। फसल काटने किसान अपनी बाइक से खेत नहीं जा सकता। निकला तो चालान कटना तय। उपज बेचने किसान को सिर्फ अपने खेत से केंद्र तक की अनुमति मिलेगी, कहीं और गया तो कार्रवाई होगी। किसानों के लिए ये लॉकडाउन के नियम हैं। इसके बाद भी कई खरीदी केंद्रों पर पहुंच रहे किसानों की उपज लेने से जिम्मेदार इंकार कर रहे हैं। वे ये जानते हुए कि किसानों को सिर्फ केंद्र तक आने की अनुमति दी गई है, बावजूद इसके मंडी जाकर उपज की ग्रेडिंग कराने मजबूर कर रहे हैं। नतीजतन एसएमएस होने के बावजूद किसानों की उपज नहीं बिक पा रही है। ऐसी स्थिति में किसान क्या करे, इसका जवाब देने वाला भी कोई नहीं है।
ऐसा ही दर्द गुरुवार को नांदेनर गाडरवारा सहकारी समिति से जुड़े किसानों के खाते में आया है। जानकारी के अनुसार पिठेहरा में बनाए गए खरीदी केंद्र प्रतीक वेयर हाउस में जब आमगांव छोटा के किसान इंद्रकुमार वर्मा, प्रदीप वर्मा, नांदनेर के किसान सर्वेश शर्मा व झांझनखेड़ा के संुदरलाल कौरव पहुंचे तो यहां सर्वेयर मार्केटिंग अमित पटैल ने उनकी उपज खरीदने से इंकार कर दिया। सर्वेयर का इन किसानों से कहना था कि वह पहले मंडी जाकर अपनी उपज की ग्रेडिंग कराकर आए। इसके अलावा गेहूं में अपने मन से मिट्टी की मात्रा तय कर उपज खरीदने से इंकार कर दिया। किसानों के अनुसार उन्होंने मौके से ही इस घटना के बारे में कलेक्टर को फोन के जरिए सूचित किया था, चूंकि वे गाडरवारा-साईंखेड़ा के दौरे पर थे, इसलिए उन्हें उम्मीद थी कि राहत मिलेगी, जो नहीं मिल पाई। अंतत: 30-40 किलोमीटर दूर से ट्रैक्टर-ट्रॉली का खर्चा उठाकर आए किसान निराश होकर आखिरकार अपने-अपने घरों की ओर लौट आए। किसानों का कहना था कि शासन के नियम हैं कि एक किलोग्राम गेहूं में 75 ग्राम तक मिट्टी व 6 प्रतिशत तक टूटन मान्य है। वे खड़ाऊ से इसे मापकर लाते हैं, बावजूद इसके सेल्समैन किसानों की उपज खरीदने से इंकार कर रहे हैं। किसानों के अनुसार जब खरीदी केंद्रों पर ग्रेडिंग मशीन है ही नहीं तो आखिर सेल्समैन, सर्वेयर किस पैमाने से किसानों के गेहूं का आंकलन कर रहे हैं। वहीं किसान तरह-तरह से प्रताड़ित हो रहे हैं लेकिन अधिकारियों के पास समस्या का कोई समाधान नहीं है।