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‘लापता लेडीज’ ऑस्कर से बाहर: रवि किशन ने लगाया पक्षपात का आरोप

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‘लापता लेडीज’ ऑस्कर से बाहर: रवि किशन ने लगाया पक्षपात का आरोप

किरण राव द्वारा निर्देशित और आमिर खान द्वारा निर्मित लापता लेडीज फिल्म ने अपनी अनूठी कहानी और सामाजिक संदेशों के साथ दर्शकों का दिल जीता था। यह फिल्म, जो ग्रामीण भारत की पृष्ठभूमि में दो दुल्हनों की अदला-बदली की कहानी को हल्के-फुल्के अंदाज में पेश करती है, ने रिलीज के बाद से ही खूब वाहवाही बटोरी। लापता लेडीज ऑस्कर 2025 के लिए भारत की आधिकारिक प्रविष्टि के रूप में चुनी गई थी, जिसने फिल्म उद्योग में उत्साह की लहर पैदा की थी। हालांकि, हाल ही में यह खबर आई कि यह फिल्म 97वें अकादमी पुरस्कारों की दौड़ से बाहर हो गई है, जिसके बाद लापता लेडीज विवाद सुर्खियों में आ गया है। अभिनेता और सांसद रवि किशन, जिन्होंने फिल्म में पुलिस इंस्पेक्टर श्याम मनोहर की प्रभावशाली भूमिका निभाई थी, ने इस पर अपनी निराशा जाहिर करते हुए ऑस्कर में पक्षपात का आरोप लगाया है।

रवि किशन का बयान: ‘हम लॉबी का शिकार हुए’

Ravi Kishan statement में उन्होंने लापता लेडीज ऑस्कर की दौड़ से बाहर होने पर गहरा दुख व्यक्त किया। अमर उजाला के एक संवाद कार्यक्रम में रवि किशन ने खुलासा किया कि ऑस्कर में पक्षपात के कारण भारतीय फिल्में अक्सर अवार्ड जीतने से चूक जाती हैं। उन्होंने कहा, “लापता लेडीज फिल्म लॉबी का शिकार हुई। ऑस्कर में भारतीय फिल्मों के साथ पक्षपात होता है, और हमारी फिल्म भी इसकी भेंट चढ़ गई।” रवि ने अपनी निराशा को व्यक्त करते हुए कहा कि यह फिल्म भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक वास्तविकताओं को दर्शाती थी, जो वैश्विक मंच पर सराहना के हकदार थी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि लापता लेडीज ने छोटे बजट के बावजूद वैश्विक मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व किया, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि थी।

रवि किशन ने अपने 34 साल के करियर में इस फिल्म को एक मील का पत्थर बताया और कहा, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी कोई फिल्म ऑस्कर तक पहुंचेगी। यह मेरे लिए सपने के सच होने जैसा था।” हालांकि, उन्होंने सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए कहा कि वह भविष्य में और बेहतर कहानियों के साथ वैश्विक मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करने की कोशिश करेंगे।

पक्षपात के संभावित कारण: क्या है लॉबी का खेल?

रवि किशन आरोप ने लापता लेडीज विवाद को और हवा दी है। रवि किशन ने दावा किया कि ऑस्कर जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारतीय फिल्में लॉबी और पक्षपात का शिकार हो जाती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऑस्कर की चयन प्रक्रिया में कई कारक शामिल होते हैं, जिनमें प्रचार, वैश्विक वितरण, और अंतरराष्ट्रीय लॉबी की भूमिका अहम होती है। लापता लेडीज जैसी छोटे बजट की फिल्में, जो बड़े सितारों पर निर्भर नहीं होतीं, को शायद बड़े प्रोडक्शन हाउसों की फिल्मों की तुलना में कम प्रचार मिलता है। इसके अलावा, कुछ नेटिज़न्स और आलोचकों ने यह भी दावा किया कि लापता लेडीज फिल्म की कहानी अरबी फिल्म ‘बुर्का सिटी’ से प्रेरित हो सकती है, जिसने इसकी मौलिकता पर सवाल उठाए। हालांकि, इस दावे की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

ऑस्कर में पक्षपात का मुद्दा नया नहीं है। कई बार यह देखा गया है कि ऑस्कर में पश्चिमी फिल्मों को प्राथमिकता दी जाती है, और गैर-अंग्रेजी फिल्मों को वह स्थान नहीं मिल पाता, जिसकी वे हकदार होती हैं। भारतीय फिल्मों को अक्सर सांस्कृतिक और भाषाई बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण उनकी वैश्विक अपील को समझने में कमी रह जाती है।

भारतीय फिल्मों का ऑस्कर में प्रदर्शन

Oscar nomination India के इतिहास को देखें तो भारत की ओर से भेजी गई फिल्मों को शायद ही कभी अंतिम नामांकन में जगह मिली हो। अब तक केवल तीन भारतीय फिल्में—‘मदर इंडिया’ (1957), ‘सलाम बॉम्बे’ (1988), और ‘लगान’ (2001) — सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय फीचर फिल्म श्रेणी में नामांकन तक पहुंची हैं, लेकिन कोई भी अवार्ड नहीं जीत सकी। हाल ही में, ‘आरआरआर’ (2022) ने अपने गीत ‘नाटू नाटू’ के लिए ऑस्कर जीता, जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी, लेकिन यह पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ मूल गीत श्रेणी में था, न कि सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय फिल्म में। लापता लेडीज को 29 फिल्मों की सूची में से चुना गया था, जिसमें ‘एनिमल’, ‘आट्टम’, और ‘ऑल वी इमेजिन इज लाइट’ जैसी फिल्में शामिल थीं। फिर भी, यह फिल्म शॉर्टलिस्ट में जगह नहीं बना सकी।

बॉलीवुड के लिए ऑस्कर 2025 की उम्मीदें

लापता लेडीज का ऑस्कर की दौड़ से बाहर होना Bollywood Oscar 2025 की उम्मीदों के लिए एक झटका है। यह फिल्म न केवल अपनी कहानी और किरदारों के लिए बल्कि महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण भारत की वास्तविकताओं को दर्शाने के लिए भी सराही गई थी। रवि किशन ने इसे “असली भारत” का प्रतिनिधित्व करने वाली फिल्म कहा था, जो देश की सांस्कृतिक और सामाजिक गहराई को वैश्विक मंच पर ले गई थी।

इस घटना ने एक बार फिर बॉलीवुड में इस सवाल को जन्म दिया है कि क्या भारतीय फिल्मों को ऑस्कर जैसे मंचों पर उचित अवसर मिलते हैं। लापता लेडीज विवाद ने यह भी उजागर किया कि भारतीय सिनेमा को वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाने के लिए न केवल बेहतरीन कहानियों की जरूरत है, बल्कि मजबूत प्रचार और रणनीति की भी आवश्यकता है।

निष्कर्ष

लापता लेडीज ऑस्कर की दौड़ से बाहर होने के बावजूद इस फिल्म ने भारत और विश्व भर में अपनी छाप छोड़ी है। रवि किशन आरोप ने ऑस्कर की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं, जो भारतीय सिनेमा के लिए एक विचारणीय मुद्दा बन गया है। यह विवाद बॉलीवुड के लिए एक सबक हो सकता है कि वैश्विक मंचों पर अपनी जगह बनाने के लिए न केवल कहानी बल्कि रणनीतिक प्रचार और लॉबिंग भी जरूरी है। Bollywood Oscar 2025 की उम्मीदें भले ही इस बार कमजोर पड़ गई हों, लेकिन भारतीय सिनेमा का भविष्य उज्ज्वल है, और यह उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले वर्षों में कोई भारतीय फिल्म ऑस्कर की ट्रॉफी घर लाएगी।

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