नरसिंहपुर। मेहरागांव के रमेश नामदेव की मौत और एम्बुलेंस की अनुपलब्धता को लेकर अंतरराष्ट्रीय सामाजिक कार्यकर्ता माया विश्वकर्मा ने शुक्रवार रात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत सांसदों राव उदय प्रताप सिंह, कैलाश सोनी, विवेक तन्खा के अलावा कलेक्टर दीपक सक्सेना, सिविल सर्जन, सीएमचओ और देश-प्रदेश के स्वास्थ्य अधिकारियों को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने पूरी घटना का अक्षरशः विवरण दिया है। इसके साथ उन्होंने जिला अस्पताल की अराजक व्यवस्था के फोटो और वीडियो भी संलग्न किये हैं। इस पत्र में लिखा है कि-
क्लिक कर पढ़ें ये घटनाक्रम: मरीज के मरने के बाद ले गए ऑक्सीजन लगाने…
आज मेरे गाँव में मेरे पड़ोसी परिवार के सदस्य की तरह रमेश नामदेव जी (दर्जी) का नरसिंगपुर जिला अस्पताल में समय पर इलाज ना मिलने की वजह से देहांत हो गया। आपको आज के घटनाक्रम कि थोड़ी जानकारी देना चाहूँगी। आज
(शुक्रवार) लगभग दोपहर 12 बजे उनकी तबियत अचानक बिगड़ गयी वो पीलिया के मरीज थे बहुत दिनों से इलाज़ के लिए बाहर जाने कि कोशिश कर रहे थे परन्तु लॉक डाउन होने के कारण किसी बड़े अस्पताल नहीं जा पा रहे थे। यही लोकल में उनका इलाज़ चल रहा था। आज दोपहर में अचानक तबियत बिगड़ी। हमारे यहाँ स्टाफ जीएनएम को सूचना दी। उन्हें हालत नाजुक लगी तभी जीएनएम ने एम्बुलेंस बुलाने के लिए फ़ोन किया, क्योंकि मैं किसी कारण बस साईंखेड़ा में थी और मेरी गाड़ी गाँव में उपलब्ध नहीं थी। हेल्पलाइन में जीएनएम को एम्बुलेंस साईंखेड़ा और गाडरवारा में अनुपस्थित होने की जानकारी मिली। जीएनएम ने फिर मुझे फ़ोन लगाया किसी व्यस्तता की वजह से फ़ोन नहीं उठा पायी। पर थोड़ी देर बाद फ़ोन करने पर मुझे बताया गया कि मरीज की हालत ज्यादा ख़राब है और अतिशीघ्र मरीज को अस्पताल ले जाने की जरूरत है, एम्बुलेंस नहीं आ रही है। मैंने भी 108 पर फ़ोन किया और मुझे बताया गया की एम्बुलेंस नरसिंगपुर के आसपास है। साईंखेड़ा और गाडरवारा में कोई एम्बुलेंस नहीं है। यहाँ से 80 -90 किमी जाने में बहुत समय लगेगा। मैंने निवेदन किया पुनः चेक करें गाडरवारा के आसपास हो। वहां भी बताया गया एक से डेढ़ घंटा लग सकता है। फिर मैने कहाँ ठीक है आपका फ़ोन कॉल रिकॉर्ड करती हूँ आप कोशिश कीजिये क्योंकि गाडरवारा से मेहरागाँव 35 कि मी है और समय भी लगभग इतना ही लगना चाहिए। आप जल्द से जल्द भेजने की कृपा करें। तब जा कर उन्होंने एम्बुलेंस को जाने के लिए तैयार किया। दोपहर लगभग 3 से 3.15 बजे के बीच एम्बुलेंस पहुंची और मरीज को तुरंत साईंखेड़ा भेजा गया। साईंखेड़ा के डॉक्टर ने भी सुविधा ना होने के कारण नरसिंगपुर रेफर कर दिया और दूसरे एम्बुलेंस के बीच भी थोड़ा समय लगा। मरीज अपने साथ अपनी पत्नी और पुत्र (राजकुमार नामदेव ) साथ जिला अस्पताल पहुंचे। इस बीच मरीज की तबियत काफी बिगड़ी और उल्टी होने लगी मरीज के बालक राजकुमार नामदेव ने निवेदन किया। जल्द से जल्द डॉक्टर को उपलब्ध किया जाए लेकिन बार बार निवेदन करने पर कोई डाक्टर समय पर उपलब्ध नहीं हुआ और मरीज ने जिला अस्पताल में दम तोड़ दिया। इस बीच राजकुमार मेरे से फ़ोन से संपर्क में था मैंने भी यहाँ से बहुत कोशिश की कि डॉ अमित चौकसे को फ़ोन लगाया। उनका फ़ोन बंद था फिरसिविल सर्जन डॉ अनीता मैडम को भी सूचना दी। वो किसी मीटिंग में व्यस्त थी फिर सीएमएचओ डॉ एनयू खान सर को सूचना दी। उन्होंने आश्वाशन दिया मगर इस बीच मरीज नहीं बच पाया। मेडिकल सुविधाओं के आभाव में उन्होंने दम तोड़ दिया। परिवार में एक 22 वर्ष का पुत्र पत्नी और तीन विवाहित बाकिकाएँ हैं। कमाने वाले वही अकेले थे। जब राजकुमार ने फ़ोन पर बताया कि पिताजी नहीं रहे और अब अस्पताल से किसी प्राइवेट गाड़ी से वापस लाने का इंतज़ाम कर रहे हैं। किराया बहुत लगेगा और इलाज के बाद कुछ पैसे नहीं बचे है तो मैं खुद जिला अस्पताल अपनी गाड़ी से उनके पिताजी के पार्थिव शरीर को लेने पहुँची और लगभग 9 बजे रात को उनके पार्थिव शरीर को नरसिंगपुर से मेहरागाँव रवाना हुए। मेरी आपसे, जिला अस्पताल के अधिकारिओं से हाथजोड़ कर प्रार्थना है कि कोरोना के समय अन्य नाजुक मरीज को भी उतनी ही प्रमुखता दी जाए जैसे कोरोना के संदिग्ध को दी जाती है। कम से कम इमरजेंसी रेस्पोंस मरीज को समय पर मिले डॉक्टर समय पर उपलब्ध हो और एम्बुलेंस में ऑक्सीजन का प्रयोग किया जाए ताकि कोई परिवार अनाथ होने से बच जाए। आज मेरा मन बहुत दुखी है मेरे एक परिवार का सदस्य जैसे चाचाजी समय पर सही इलाज ना होने के कारण दुनिया से चले गए। जिला अस्पताल में गंभीर मरीज के लिए कोई सुविधा नहीं है जबकि पिछले साल इतने भव्य अस्पताल का निर्माण हुआ है। पिछले दो महीनों से गाँव गाँव घूम रही हूँ हर जगह गंभीर मरीज है लाकडाउन के डर के कारण इलाज और दबाई से वंचित है मेरा आपसे निवेदन है कि कोरोना की तरह अन्य मरीज को भी प्रमुखता दें।