बहुत पहले सूर्यवंशियों में एक धार्मिक अनुष्ठान विरोधी,कुमार्गी,पूजापाठी वेद पाठी शास्त्री ब्राह्मणों ऋषियों को सताने, उन्हें मारने पीटने वाला एक महापापी राजा हुआ था।ब्राह्मणों के श्राप से उसका राज्य पड़ोसी राजा ने छीन लिया। वह दर दर की ठोकरें खाता भटकने लगा।एक दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की यम द्वितीया को कायस्थ जन एक मंदिर में श्री चित्रगुप्त भगवान की पूजन कर रहे थे।वहां पहुंचकर राजा ने हंसी दिल्लगी में भगवान को साष्टांग दंडवत करके अनादर पूर्वक उन्हें वहां रखे फूल एवं अक्षत चढ़ा दिये।कुछ दिन बाद उसकी मृत्यु होने पर चित्रगुप्त ने महा पापी राजा को बैकुंठ भेज दिया। यमदूतों ने धर्मराज से शिकायत की। चित्रगुप्त ने धर्मराज को बताया कि मेरे विवाह के बाद मेरे द्वारा आयोजित यज्ञ में ब्रह्मा विष्णु महेश और तैतीस कोटि देवताओं ने मुझे आशीर्वाद दिया था तथा विष्णु जी ने वरदान दिया था कि कार्तिक शुक्ल यमद्वितीया को मेरी पूजन करने वाला विष्णु लोक को प्राप्त होगा। उक्त कथा विगत दिनों
कथा हवन आरती के बाद कायस्थ सभा के अध्यक्ष जी के व्यौहार की अध्यक्षता में सभा का आयोजन किया गया जिसमें मंदिर मरम्मत,आगामी पूजन,समाज से संपर्क,मंदिर के नियमित कार्यक्रमों व सामाजिक सुधारों पर चर्चायें की गईंं।रामचरणलाल श्रीवास्तव ने बताया कि मंदिर में इस वर्ष भगवान के कपड़े,पताका आदि श्रीमती आशा विश्वकर्मा,माया रावत व रामवती मालवीय द्वारा भेंट किए गए।
वर्ष की पूजन की मेजबानी आनन्द प्रकाश श्रीवास्तव द्वारा की गई।अगले मेजबान सतीश व्यौहार होंगे। बैठक में एडवोकेट विष्णु श्रीवास्तव, सोनू श्रीवास्तव, बीपी श्रीवास्तव,राजेंद्र दुबे ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में बरमान, बीतली, बगदरी,हिरनपुर,मिढ़ली,करेली,नरसिंहपुर के कायस्थों तथा श्रद्धालुओं ने भाग लिया।पूजन कार्यक्रम में श्रीमती नीरजा श्रीवास्तव, श्रेया,श्रीमती आभा,बासु,आकांक्षा, श्रीमती किरण, आशुतोष,श्रीमती सविता,सुशील,रिंकू, नीतेश,प्रतीक,न्यासा,सृष्टि,शिवानी,गोपाल प्रसाद ,भगवानदास,श्रीमती दिव्या श्रीवास्तव के अलावा श्रीमती अंजलि रघुवंशी, माया रावत, शांति पटेल, राजाराम,श्रीमती आशा विश्वकर्मा,रेवती रमन चौरसिया आदि ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन आनन्द प्रकाश श्रीवास्तव ने एवं आभार प्रदर्शन सतीश व्यौहार ने किया।