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स्टडी: एक खास ब्लड ग्रुप के लोगों को कोरोना से रहना होगा सतर्क

नई दिल्‍ली। चाइना क्लीनिकल वैज्ञानिकों की हाल ही में हुई रिसर्च कहती है कि ब्लड ग्रुप A वाले कोरोना के लिए ज्यादा रिस्क और ब्लड ग्रुप O वाले सबसे कम रिस्क पर हैं। ये स्टडी 2173 लोगों पर की गई है और चीन में इस तरह ये ये पहली स्टडी है। स्टडी वुहान के रेनमिन अस्‍पताल, जिनिंतान अस्‍पताल और शेनजेन हॉस्पिटल में की गई।

NDMC के आयुर्वेदिक अस्पताल के पूर्व चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर डीएम त्रिपाठी कहते हैं कि हम कहते हैं कि ए ग्रुप रिसेप्टर है और ब्लड ग्रुप ओ यूनिवर्सल डोनर हैं और देने वाले को कुछ नहीं होता। पर देखा जाए तो कोरोना का संबंध ब्लड ग्रुप से नहीं है। ऐसा थोड़े ही होगा कि  वायरस ग्रुप देखकर आ रहा है बल्कि इसका ताल्‍लुक वीक इम्युनिटी से है। ज्यादा उम्र वालों की इम्युनिटी कम होती है इसलिए उनकी मौत ज्यादा हुई है। यानी कोरोना का अटैक आपके अंदर रोग से लड़ने की ताकत पर निर्भर है।

चीन की रिसर्च मैगजीन MedRxiv में ये स्टडी छपी है. चीन के सबसे प्रतिष्ठित अखबार ग्लोबल टाइम्स ने भी इसे छापा है। इस संबंध में वुहान के सेंट माइकल अस्‍पताल में तैनात डॉ प्रदीप चौबे कहते हैं कि ऐसी स्टडी हुई है और देखने में आया है कि ब्लड ग्रुप ए वाले ज्यादा संदिग्‍ध हैं। मान लीजिए कि यहां खड़े 32 लोग एक ग्रुप के हैं. अगर उन्हें एक साथ फीसदी में देखें तो 100 होंगे अब इसमे से 37% ए ग्रुप वालों को कोरोना का अंदेशा है।

स्टडी से पता लगा है कि ब्लड ग्रुप B और AB का कोरोना के प्रति अलग से कोई खास व्यवहार नहीं देखा गया लेकिन ब्लड ग्रुप O कोरोना के चपेट में कम आए।

हालांकि भारतीय डॉक्टर्स की इस स्टडी पर अलग-अलग राय हैं। अपोलो हॉस्पिटल के हीमेटो ओंकोलाजी विभाग के डॉ गौरव खरया कहते हैं कि कुछ मामलों में ऐसा देखा गया है कि एक खास ब्लड ग्रुप वाले खास बीमारी के प्रति ज्यादा ससेप्टिबल होते हैं। जैसे कि सिकिलसेल वाले ओ ब्लड ग्रुप वाले ज्यादा होते हैं लेकिन इस चाइनीज़ स्टडी का सैंपल साइज़ कम है और कोरोना नया है, इसलिए ऐसे नतीजे पर पहुंचना ठीक नहीं होगा और अगर ऐसा है भी तो इस बीमारी के लिए मेडिसिन देने पर हरेक ब्लड ग्रुप पर वो मेडिसिन समान रूप से काम करेगी।