मध्यप्रदेश विद्युत कर्मचारी संघ (इंटक) के जिला महासचिव अशोक गुप्ता ने बताया कि मध्य प्रदेश विद्युत अधिकारी- कर्मचारी संयुक्त मोर्चा विद्युत कंपनियों के 15 प्रमुख संगठनों का महागठबंधन है। जिसमें इंटक भी शामिल है। ये महागठबंधन विद्युत कंपनियों में निजीकरण को बढ़ावा देने वाले केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित विद्युत अधिनियम 2021 का लगातार विरोध करता रहा है। साथ ही विद्युत कंपनियों में कार्यरत नियमित संविदा आउटसोर्स कर्मियों की प्रमुख मांगों के निराकरण के लिए शासन-प्रशासन से लगातार पत्राचार कर रहा है। बावजूद इसके केंद्र सरकार के आश्वासन के बाद भी मानसून सत्र में विद्युत सुधार अधिनियम 2021 लाना जनभावनाओं के विरुद्ध है। इसके चलते प्रदेश के सभी विद्युतकर्मी आक्रोशित हैं। इसे देखते हुए बीती 18 जुलाई को संयुक्त मोर्चे की कोर कमेटी ने समस्याओं के निराकरण न होने पर चरणबद्ध आंदोलन करने का निर्णय लिया था। इसमें 27 जुलाई को पूरे प्रदेश में जिला व वृत्त स्तर पर धरना-प्रदर्शन, आमसभा आयोजित की गई थी। मंगलवार को जिला मुख्यालय में अधीक्षण यंत्री के माध्यम से बिजलीकर्मियों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया है। ज्ञापन में विद्युत कंपनियों के निजीकरण ना करने समेत संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण, आउटसोर्स कर्मचारियों का कंपनियों में संविलियन, 45 साल से अधिक व कम शिक्षण की योग्यता का हवाला देकर आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरी से ना निकालने, कोरोना से मृत बिजलीकर्मियों को कोरोना योद्धा घोषित कर उनके परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने, बिना शर्त अनुकंपा नियुक्ति देने के अलावा केंद्र के समान महंगाई भत्ता आदि की मांग की गई है। अशोक गुप्ता ने बताया कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जाता है तो संयुक्त मोर्चे की कोर कमेटी के निर्णयानुसार आगामी 7 अगस्त को संपूर्ण प्रदेश में एक दिवसीय कार्य बहिष्कार व 13 अगस्त को अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार किया जाएगा।