संस्कृत संस्कार और मानव मूल्यों की जननी

नई शिक्षा नीति अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा देने का अवसर

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 भोपाल।राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल ने कहा कि संस्कृति, संस्कार और मानव मूल्यों की जननी संस्कृत भाषा है। जिस में संपूर्ण विश्व की अलौकिक ज्ञान सम्पदा समायी हुई है। संस्कृत भाषा हमारें देश की आत्मा है। संस्कृत व्यक्ति को काबलियत देती है, उसे अपनी राह खुद तय करने की क्षमता देती है। संस्कृत अध्ययन से असीमित रोजगार की सम्भावनायें बनती है। व्यक्ति जीविका उपार्जन के साथ समाज में सम्मान पूर्ण स्थान भी पाता है। श्रीमती पटेल आज लखनऊ से महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित संस्कृत सप्ताह समापन कार्यक्रम को ऑनलाइन प्लेटफार्म से संबोधित कर रही थी।

राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत अब छात्रों को पहले से तय विषय चुनने की बाध्यता समाप्त कर दी गयी है। इस नवाचारी पहल के तहत उच्च शिक्षा के क्षेत्र में संस्कृत भाषा और ज्ञान सम्पदा के प्रसार की नई संभावनाओं की तलाश की जानी चाहिए। युवा पीढ़ी संस्कृत भाषा के अध्ययन अध्यापन से वेदों, शास्त्रों, दर्शनों, पुराणों तथा काव्य आदि साहित्य में उपलब्ध दुर्लभ ज्ञान-विज्ञान की संपदा प्राप्त कर लाभान्वित हो। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मजबूत अनुसंधान संस्कृति तथा अनुसंधान क्षमता को बढ़ावा दिया गया है। गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा का नया रास्ता खुला है। इसे संस्कृत भाषा के विस्तार और प्रसार का अभूतपूर्व अवसर बनाया जाना चाहिए। विश्वविद्यालय को संस्कृत शिक्षा का शीर्ष अन्तर्राष्ट्रीय केंद्र बनाने की दिशा में प्रयास करने चाहिए।

श्रीमती पटेल ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी एवं उद्देश्यपूर्ण परिवर्तन का अभूतपूर्व मौका है । नई शिक्षा नीति प्राथमिक स्कूली शिक्षा से लेकर कॉलेज की उच्च शिक्षा तक समय की मांग के अनुसार पाठ्यक्रमों में बदलाव के द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर युवाओं के लिए प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण तैयार करने का अवसर है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में ई-शिक्षा की जरूरतों को पूरा करने के लिए डिजिटल कन्टेन्ट और क्षमता निर्माण के संस्थागत प्रयास किये जाये। नई सोच और समझ की वैश्विक जरूरतों के हिसाब से शिक्षकों को तैयार करे। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के साथ विद्यार्थियों के कौशल विकास की दिशा में भी कार्य किये जायें।

राज्यपाल ने कहा कि हर संकट अपने साथ एक अवसर लाता है। कोविड-19 संक्रमण भी अपवाद नहीं है। विकास के क्षेत्र अब किस तरह के नए अवसर उभर सकते हैं। इस ओर सार्थक प्रयास करने होंगे। अनुसरण की बजाए, मौजूदा परिपाटियों से आगे बढ़ने के प्रयास करने चाहिए। संक्रमण हमारे समक्ष प्रोफेशनल और पर्सनल प्राथमिकताओं में संतुलन कायम करने की नई चुनौतियां लाया है। हर व्यक्ति फिटनेस और व्यायाम  के लिए समय जरूर निकालें। शारीरिक और मानसिक तंदुरूस्ती को बेहतर बनाने के साधन के तौर पर योग का भी अभ्यास करें। ऐसी जीवनशैली के मॉडल्स के बारे में सोचा जाए, जो आसानी से सुलभ हों, जिसमें परम्परागत चिकित्सा ज्ञान और अनुभवों का सार्थक उपयोग हो।

उन्होंने कहा कि ऐसे बिजनेस मॉडल के बारे में भी हमें सोचना होगा, जहां उत्पादकता और कुशलता उपस्थिति के प्रयास से ज्यादा मायने रखती हो। कार्य को निर्दिष्ट समय-सीमा के भीतर पूरा करने पर बल दिया जाएं ताकि संकट काल में भी हमारे कार्यालय, कारोबार, व्यापार किसी प्रकार के जनहानि के बिना त्वरित गति से आगे बढ़ सकें। जिसमें गरीबों, सबसे कमजोर लोगों और साथ ही साथ हमारे पर्यावरण की देखरेख को प्रमुखता मिले। उन्होंने लॉकडाउन काल में विश्वविद्यालय के शिक्षकों द्वारा ऑनलाईन कक्षायें संचालित कर छात्रों को अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराने और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों का लेखन कार्य करते हुए विषम परिस्थिति को अवसर के रूप में बदलने की बधाई दी और संस्कृत सप्ताह महोत्सव के सफल आयोजन के लिये शुभकामनाऐं दी।

स्वागत उद्बोधन में कुलपति डा. पंकज जानी ने बताया कि सप्ताह के दौरान विद्वानों के व्याख्यान के साथ ही रचनात्मक गतिविधियों गीत, काव्य, भाषण आदि प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया। इन प्रतियोगिताओं में विश्वविद्यालय अंतर्गत सभी महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने उत्साह पूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में मंगला चरण का पाठ भी किया गया।

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