नरसिंहपुर। जिले में होने वाले कई निर्माण हैरतअंगेज ही कहे जाएंगे। कई ऐसे मामले हैं, जो प्रदेश में कहीं भी देखने-सुनने नहीं मिलेंगे। ऐसा ही एक मामला जिला मुख्यालय की नलकूप कॉलोनी का है। यहां से शहर को जोड़ने वाली मुख्य सड़क के करीब 60 मीटर हिस्से में मिशनरी की आपत्ति का पेंच डालकर उसे अधूरा छोड़ दिया गया है। जबकि जिला प्रशासन ने 2017 में मिशनरी की ही जमीन से लगकर आबादी विहीन इलाके में कथित लोगों के आवागमन का हवाला देकर अवैध पुल के निर्माण की स्वीकृति दे दी थी।
जिला पंचायत कार्यालय के ठीक पीछे सुभाष वार्ड के अंतर्गत नलकूप कॉलोनी के नाम से गरीबों की बस्ती वर्ष 1998 में बसाई गई थी। राजीव गांधी आश्रय योजनांतर्गत यहां बसाए गए परिवारों को जिला प्रशासन ने पट्टे भी जारी किए थे। धीरे-धीरे यहां पर बसाहट बढ़ती गई। वर्ष 2007-08 में इसी नलकूप कॉलोनी के लिए आईएचएसडीपी योजना का शिलान्यास शहर के जनपद पंचायत मैदान में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया था। योजनातंर्गत करीब 100 गरीब परिवारों को पक्का मकान उपलब्ध कराना था। इस पर जल्द ही अमल भी शुरू हो गया, मकान निर्माण नगरीय निकाय द्वारा कराया गया। 84 मकान बनाकर पट्टाधारी गरीब परिवारों को आबंटित भी किए गए। मूलभूत सुविधाओं के लिए सर्वप्रथम 2008 में तत्कालीन नगरपालिका अध्यक्ष संध्या कोठारी ने नलकूप कॉलोनी से लेकर जिला पंचायत भवन तक डब्ल्यूबीएम सड़क भी बनवाई थी। हालांकि कालांतर में सड़क सुविधा इन गरीबों से छिन गई।
अधूरी बनी 2015 में स्वीकृत हुई सड़क
नलकूप कॉलोनी की करीब साढ़े चार सौ की आबादी के सुलभ आवागमन के लिए महज 60 मीटर की जमीन का पेंच रोड़ा बना हुआ है। वर्ष 2015-16 में कहने को तो नगरपालिका परिषद द्वारा कंक्रीट सड़क स्वीकृत कर निर्माण शुरू कराया गया था, लेकिन आरएसीटी भवन के कुछ पहले ही इसे मिशनरी के पदाधिकारियों की वर्ष 2017-18 को दर्ज कराई गई आपत्ति के बाद रोकना पड़ गया। मामला कोर्ट में लंबित है। अधूरी पड़ी इस सड़क से खासकर बारिश के दिनों में कॉलोनी के लोगों का आना-जाना मुहाल हो जाता है। भारी कीचड़ के कारण वाहन भी नहीं निकल पाते।
जहां आबादी नहीं वहां अवैध पुल की स्वीकृति
एक तरफ मिशनरी की आपत्ति को आधार बनाकर नगरीय निकाय व जिला प्रशासन ने सड़क का काम रुकवा दिया। जब भी इस संबंध में कॉलोनी के लोग व जनप्रतिनिधि सड़क निर्माण के लिए ज्ञापन सौंपते तो उनसे यही कहा जाता कि जहां काम रुका है, वह ट्रस्ट की जमीन है। वे कुछ नहीं कर सकते। लेकिन, बात जब आबादीविहीन सींगरी के उस पार कतिपय लोगों के प्लाट बेचने की बारी आई तो जिला प्रशासन मिशनरी की जमीन होने का तर्क भूल गया। चंद प्रभावशाली लोगों, बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिए वर्ष 2017 में तत्कालीन कलेक्टर अभय वर्मा ने रपटा का निर्माण स्वीकृत कर दिया। जबकि जिला प्रशासन इस बात को भलीप्रकार जानता था कि पुल का एक सिरा मिशनरी की जमीन पर है। यहां कोई आम रास्ता नहीं है। देखते ही देखते सींगरी नदी पर मिशनरी की जमीन से लगकर रातों-रात हाईलेवल पुल तैयार कर दिया गया।
क्या कहते हैं कानून के विशेषज्ञ
अधिवक्ता संजीव कुमार सोनी के अनुसार राजस्व व नजूल भूमि कानून के जानकारों का कहना है कि ट्रस्ट को दी गई जमीन का विक्रय नहीं हो सकता है। ऐसे में यदि जिला प्रशासन सार्वजनिक हित के मद्देनजर जरूरत की जमीन का अधिग्रहण कर ट्रस्ट को अन्यत्र उतनी ही जमीन प्रदान कर दे तो नलकूप कॉलोनी की सड़क संबंधी समस्या का स्थाई निराकरण हो सकता है। जानकारों के अनुसार संविधान व कानून में इस तरह का प्रावधान भी है।
हमने कई बार जिला प्रशासन, नगरीय निकाय को ज्ञापन दिया कि हमें निकलने के लिए पक्की सड़क की व्यवस्था करें, लेकिन किसी ने भी हमारी नहीं सुनी। हर बार मिशनरी की आपत्ति का हवाला देकर मामले को रफा-दफा कर दिया गया। कलेक्टर से पुन: आग्रह है कि नलकूप कॉलोनी के लोगों को स्थाई व पक्की सड़क मुहैया कराने की पहल करें।
अमर नौरिया, जागरूक नागरिकबारिश के दिनों में यहां अधूरी पड़ी सड़क वाले हिस्से से निकलना दूभर हो जाता है। कीचड़ में और गड्ढे में भरे पानी के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हमने कई बार सड़क की मांग की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। सड़क का निर्माण जल्द से जल्द पूरी कराई जानी चाहिए।
तुलसीराम चौधरी, स्थानीय नागरिकगरीबों की कोई सुनवाई नहीं होती। हमारे लिए सड़क बनाने की बात आई तो ट्रस्टवालों की आपत्ति अधिकारी बताने लगते हैं। वहीं इसी जमीन पर पुल की अनुमति देने में अधिकारियों ने देर नहीं लगाई। जहां आबादी रहती है, उसे राहत देने अधिकारियों ने कभी पहल नहीं की।
शकुन बाई, स्थानीय नागरिकपूरी सड़क न बनने के कारण कॉलोनी के बुजुर्गों को आने-जाने में दिक्कतें होती हैं। अधूरी पड़ी सड़क के हिस्से में कई बार हम लोग गिरकर घायल हो चुके हैं। इस सड़क का पक्कीकरण हो हमारी वर्षों से यही मांग है। हमें डर लगा रहता है कि ट्रस्टवाले कहीं हमारा रास्ता बंद न कर दें।
मदीना बी. स्थानीय नागरिक