किसानों ने सरकार को दिखाई ताकत, मोदीराज के 7 साल में पहली बार जबरदस्त भारत बंद
नईदिल्ली/भोपाल/ जबलपुर/ नरसिंहपुर । केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ सशक्त मोर्चा खोलने में अब तक विपक्षी दल नाकाम रहे हैं । यही वजह है कि महंगाई से लेकर बेरोजगारी बढ़ाने वाले श्रम कानूनों पर भाजपा नेता अपनी मनमर्जी थोपने में सफल रहे हैं । लेकिन कृषि सुधार सम्बन्धी बिलों के मामले में मोदीनीत भाजपा सरकार का भ्रम टूट गया । मंगलवार को इन कृषि बिलों के खिलाफ देशभर में किसानों ने सरकार को अपनी ताकत दिखाई । इनके द्वारा किये गए बंद का जबरदस्त असर देखने को मिला । मोदीराज के 7 साल में ये पहला मौका है जब किसान, जनता एक साथ सड़कों पर उतरकर केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा लेते दिखे हों ।
दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र समेत दक्षिण भारत के सभी राज्यों में कृषि सुधार बिलों के खिलाफ किसान संघों ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया । पंजाब, हरियाणा में तो कहीं-कहीं आगजनी की घटनाएं भी देखने-सुनने को मिल रहीं हैं । किसानों के इस आंदोलन में विपक्षी दल भी बढ़-चढ़कर सहभागी हैं । हालाँकि आंदोलन का नेतृत्व किसान नेता ही संभाल रहे हैं । वही बात केंद्र सरकार की करें तो उसके नुमाईंदे किसानों की मांग के इतर समूचे आंदोलन को राजनीति से प्रेरित बताने में जुटे हैं । उनकी कोशिश इस आंदोलन को विपक्ष बनाम मोदी विरोध का रूप देने की है । विभिन्न न्यूज़ चैनलों पर केंद्रीय मंत्री सरकार और कृषि बिलों के पक्ष में तर्क देकर किसानों की मांगों पर कन्नी काटते नजर आए ।
मध्यप्रदेश में जबरदस्त असर– किसान संघों के भारत बंद का मंगलवार को मध्यप्रदेश में भी जबरदस्त असर देखने को मिला । यद्यपि उत्तर भारत की तरह यहाँ पर किसी तरह की हिंसक झड़प या उग्र आंदोलन नहीं हुआ तथापि इसमें सर्ववर्ग का सहयोग, समर्थन जरूर देखने को मिला । प्रदेश के सभी संभागों, जिलों के बाजारों में सन्नाटा पसरा रहा । किसान प्रतिनिधि रैली, जुलूस निकलकर केंद्र सरकार का विरोध करते नजर आए ।
भाजपाई करते रहे बंद का विरोध- एकतरफ किसान संघ मांगों के समर्थन में बंद का आव्हान कर रहे थे वहीँ भाजपाई इस बंद के विरोध में प्रयासरत रहे । ऐसा ही नजारा नरसिंहपुर जिला मुख्यालय में देखने को मिला जहाँ भाजपाई दुकानदारों से ये कहते नजर आए की आप दुकानें खोलो हम आपके साथ खड़े हैं । हालाँकि ये बात और रही कि दुकानदारों ने भाजपाइयों की बात पर भरोसा करने के बजाय अपनी दुकानों को बंद रखना ही उचित समझा ।
नरसिंहपुर में बंद का असर
नरसिंहपुर जिले के नगरीय क्षेत्रों, कस्बों और गावों में किसानों के प्रदर्शन का व्यापक असर देखने को मिला । हालाँकि अप्रिय घटनाओं की आशंका के मद्देनजर प्रशासन और पुलिस के अधिकारी भी चौकन्ने रहे । जिलेभर में पुलिस बल तैनात रहा । जिला मुख्यालय की बात करें तो यहाँ जब कांग्रेस और किसान संगठन दुकानें बंद कराने का प्रयास कर रहे थे तो भाजयुमो के कारकर्ताओं की रोका-रोकी से तनाव की स्थिति निर्मित हो गई थी । इसी दौरान प्रशासन ने सतर्कता दिखाते हुए स्पष्ट कर दिया कि बाजार खोलने और बंद करने के लिए किसी का दबाब नहीं चलेगा। व्यापारी अपनी इच्छा से निर्णय ले सकते हैं कि उन्हें दुकानें खोलना है या बंद करना है। अधिकांश व्यापारियों ने किसानों के समर्थन में अपनी दुकाने बंद रखने का निर्णय किया, जिससे भाजपाई मायूस नजर आए । किसानों और कांग्रेस सहित अन्य संगठनों के कार्यकर्ताओं ने पैदल मार्च करते हुए अपनी मांगों पर प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया । नरसिंहपुर, करेली, गाडरवारा, सालीचौका, तेंदूखेड़ा, राजमार्ग, गोटेगांव क्षेत्र में बंद का असर प्रभावी रहा।