नरसिंहपुर: सहकारी बैंक को रोज 4 करोड़ का नुकसान, महंगा राशन खरीदने कार्डधारी मजबूर
लंबित मांगों को लेकर सहकारी समिति संचालकों का अनिश्चितकालीन धरना शुरू
नरसिंहपुर। जिला सहकारी बैंक को रोज 4 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं नीला-पीला कार्ड व खाद्यान्न् पर्ची होने के बावजूद गरीब उपभोक्ताओं को निजी दुकानों से महंगा राशन खरीदना मजबूरी बन गया है। किसान भी खाद की किल्लत से जुझने लगे हैं, गेहूं-चना का पंजीयन अधर में लटकने से उनकी चिंताएं कई गुना बढ़ गईं हैं। ऐसे हालात बन रहे हैं सहकारी समितियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल से। 4 फरवरी को पूर्व घोषित ऐलान को मूर्तरूप देते हुए जिले की 125 सहकारी समितियों के नियंत्रण वाली 425 राशन दुकानों पर ताला लटक गया। प्रबंधक, विक्रेता, संचालक आदि सभी अपनी लंबित मांगों को माने जाने तक हड़ताल पर चले गए हैं।
गुरुवार को जिले की सभी पंजीकृत करीब 125 सहकारी समितियों के अंतर्गत संचालित करीब सवा चार सौ राशन दुकानों में तालाबंदी करते हुए सेल्समेन समेत सोसायटी संचालक जिला मुख्यालय स्थित लोक सेवा केंद्र के पास जमा हुए। यहां उन्होंने धरना-प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की। संगठन के जिला अध्यक्ष राजकुमार कौरव ने आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि जब तक उन्हें सरकारी कर्मचारियों के समान दर्जा नहीं दिया जाएगा तब तक वे हड़ताल खत्म नहीं करेंगे।
सहकारी बैंक को रोज 4 करोड़ का घाटा: जिला सहकारी बैंक के महाप्रबंधक आरसी पटले के अनुसार सहकारी समितियों की हड़ताल के चलते बैंक को रोजाना करीब 4 करोड़ की वसूली से हाथ धोना पड़ रहा है। मार्च क्लोजिंग के पूर्व इस माह वसूली का लक्ष्य अधिक रखा गया है। श्री पटले के अनुसार पिछले माह जनवरी में करीब 54 करोड़ रुपये की ऋ ण वसूली हुई थी। बैंक महाप्रबंधक का कहना था कि यदि हड़ताल तीन-चार दिन में खत्म नहीं हुई तो निश्चित रूप से हालात बिगड़ जाएंगे। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि हड़ताल जल्द खत्म होगी और ऋ ण वसूली का लक्ष्य सहकारी बैंक हासिल कर लेगा।
राशन के लिए भटकते रहे हितग्राही: जिले की करीब 425 उचित मूल्य की दुकानों में 4 फरवरी से ताला लग गया। इसके चलते गरीब हितग्राहियों को अनाज-राशन के लिए भटकना पड़ा। बहुत से ऐसे हितग्राही थे जिन्हें हड़ताल के बारे में पता नहीं था, वे सुबह से शाम तक ग्रामीण इलाकों की उचित मूल्य दुकानों के पास दुकान खुलने का इंतजार करते रहे। जब उन्हें पता चला कि राशन दुकानें हड़ताल के कारण बंद रहेंगी तो उनके चेहरों पर मायूसी नजर आई। अत्यंत जरूरतमंद परिवारों को राशन के लिए निजी दुकानों से अधिक कीमत देकर जरूरत का सामान खरीदना पड़ा। विदित हो कि जिले में करीब सवा लाख गरीब हितग्राहियों को पात्रता पर्ची के जरिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के अंतर्गत राशन प्रदान किया जाता है।
राशन वितरण की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं: सहकारी समितियों की हड़ताल के बाद गरीब तबके के समक्ष उपजे राशन के संकट से उबरने फिलहाल जिले के खाद्य विभाग के पास कोई वैकल्पिक तैयारी नहीं है। विभागीय अधिकारी ये मानकर चल रहे हैं कि शायद दो-तीन दिन में हालात सामान्य हो जाएं। वहीं हड़ताल अधिक दिनों तक खिंची और उचित मूल्य की दुकानों पर ताला लटका रहा तो गरीबों को किस माध्यम से राशन का वितरण किया जाएगा, इस पर खाद्य अधिकारी के अनुसार विशेष कार्ययोजना बनाई जाएगी।
गेहूं-चना खरीदी का पंजीयन रुका: सहकारी समितियों की हड़ताल का तीसरा अहम असर समर्थन मूल्य पर गेहूं-चना खरीदी के पंजीयन कार्य पर पड़ा है। सोसायटियों में तालाबंदी ने कृषि विभाग के अधिकारियों के माथे पर बल ला दिया है। वहीं किसानों की बात करें तो पंजीयन में पिछड़ने के कारण उनकी उपज कब तक बिकेगी इसे लेकर उनकी चिंताएं चौगुनी हो गई है। इसी तरह अधिकारी भी मान रहे हैं कि यदि हड़ताल लंबी खिंची तो समस्या बढ़ जाएगी। हालांकि पंजीयन की वैकल्पिक व्यवस्था पर जिले कृषि उपसंचालक राजेश त्रिपाठी का कहना है कि किसानों के पास अन्य माध्यमों से पंजीयन कराने का रास्ता भी मौजूद है। श्री त्रिपाठी के अनुसार किसान अपने मोबाइल पर एप के जरिए भी पंजीयन कर सकते हैं। हालांकि बहुत से किसानों के लिए इस विकल्प का चयन आसान नहीं है। इसकी वजह तकनीक से अपरिचित होना है।
खाद की कालाबाजारी का अंदेशा: जिले में अधिकांश किसान सहकारी समितियों के माध्यम से खाद-यूरिया प्राप्त करता है। अब जबकि सहकारी समितियों में तालाबंदी हो गई है तो मजबूरन किसानों को निजी दुकानों की ओर रुख करना पड़ेगा, जिससे खादी की कालाबाजारी होने का अंदेशा बढ़ गया है। हालांकि कृषि उपसंचालक राजेश त्रिपाठी के अनुसार जिले में खाद की पर्याप्त उपलब्धता है। समितियों के बजाय किसान डीएमओ गोदाम व निजी दुकानों से भी इन्हें प्राप्त कर सकते हैं। कालाबाजारी होने या अधिक कीमत वसूले जाने पर किसान कृषि विभाग को शिकायत करें, संबंधित विक्रेता के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
बरहटा के सेल्समेन ने कहा-चार माह से नहीं मिला वेतन: गुरुवार को सहकारी कर्मचारियों की हड़ताल के कारण बरहटा ग्राम की राशन दुकान में ताला लगा रहा और आदिवासी उपभोक्ता राशन के लिए भटकते रहे। राशन दुकान के गेट पर हड़ताल संबंधी सूचना चस्पा रही। राशन दुकान के सेल्समेन चोखेलाल यादव ने बताया कि कर्मचारियों को 4 माह से वेतन नहंी मिला है जिससे स्वजनों का गुजारा करना मुश्किल हो रहा है। बाजार से उधार लेकर घर चलाना पड़ रहा है। कर्मचारियों की समस्याओं के संबंध में पूर्व में ज्ञापन भी दिए जा चुके है। जब तक कर्मचारियों की मांग पूरी नहीं होंगी राशन दुकान बंद रहेगी और कर्मचारी कार्य नहीं करेंगे।
मांगपूर्ति नहीं तो चरणबद्ध करेंगे आंदोलन
मप्र सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारियों के अनुसार 18 फरवरी को प्रदेश के सभी 55 हजार कर्मचारियों द्वारा राजधानी भोपाल पहुंचकर मुख्यमंत्री का घेराव कर सामूहिक इस्तीफा सौंपा जाएगा। 19 फरवरी को भोपाल के रोशनपुरा चौराहे पर चक्काजाम व इच्छा मृत्यु की मांग कर्मचारी करेंगे। आंदोलन के दौरान जिले की करीब 125 व पूरे प्रदेश की सभी 4525 सहकारी समितियां व उचित मूल्य की दुकानें अनिश्चितकाल के लिए बंद रहेंगी।
हमारा संगठन पिछले करीब 25 सालों से अपनी मांगों के लिए गुहार लगा रहे हैं लेकिन सरकारें आईं-गईं सिवाय आश्वासन के हमें कुछ नहीं मिला। इसलिए मजबूर होकर हमने आंदोलन की राह पकड़ी है। प्रदेश संगठन के आह्वान पर जिले की सभी सहकारी समितियां हड़ताल पर हैं।
राजकुमार कौरव, जिलाध्यक्ष सहकारी समिति कर्मचारी महासंघकोरोनाकाल में समितियों से गरीबों को हर हाल में राशन उपलब्ध कराने के आदेश शासन ने जारी किए थे। संक्रमण की आशंका और सर्वर न चलने के कारण उपभोक्ताओं को राशन दिया गया लेकिन पीओएस मशीन में स्टाक कम नहीं किया गया। उल्टे अब बांटे गए राशन की रिकवरी सरकार कर रही है, जो सर्वथा अनुचित है। इससे संगठन आक्रोशित है।
आशीष नेमा, नरसिंहपुर सहकारी समितिसहकारी कर्मचारी लंबे समय से सरकारी कर्मचारियों की तरह नियमितीकरण, वेतन-भत्तों की मांग करते रहे हैं। अपना हक लेने के लिए ही हमनें आंदोलन शुरू किया है, जब तक सरकार द्वारा ठोस निर्णय नहीं लिया जाता है तब तक हम अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे रहेंगे।
मो. शफी खान, श्रीनगर सोसायटी प्रबंधकपीओएस मशीन की गफलत के कारण कर्मचारियों पर मामला दर्ज करना पूरी तरह से गलत है। शासन की नीतियों के विरोध में हमने पहले ही ये मशीनें प्रशासन को सुपुर्द कर दी हैं। बैंक की रिकवरी, अनाज, खाद का वितरण और गेहंू-चना के पंजीयन का काम हड़ताल की वजह से ठप हो गया है। इसके लिए शासन जिम्मेदार है।
शशि महाराज, पदाधिकारी सहकारी समिति महासंघ