नरसिंहपुर: कैदी कर सके अपने पिता की अच्छे से अंत्येष्टि, इसलिए कलेक्टर रोहित सिंह ने आग्रह पर दो बार जारी की पैरोल की अनुमति

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नरसिंहपुर।जेल में निरुद्ध कैदी अपने पिता की अंत्येष्टिी हिंदू रीति रिवाज से कर सके इसके लिए कलेक्टर रोहित सिंह ने मानवता की अभूतपूर्व मिसाल पेश की है। उन्होंने एक बार नहीं बल्कि पीड़ित परिजनों के आग्रह को मानकर दो बार मृतक के पुत्र कैदी की पैरोल को स्वीकृति प्रदान की है। मानवीय संवदेना का ये प्रदेश में संभवत: पहला मामला है जब किसी अधिकारी ने इस तरह की पहल की हो।

पिता की मौत और शव की अंत्येष्टि के लिए लिए कलेक्टर रोहित सिंह ने पुत्र कैदी को उसकी सुविधानुसार दो बार पैरोल की अनुमति जारी की है। कलेक्टर के इस कदम की पूरे प्रदेश में सराहना हो रही है। उनके कदम को मानवीय संवेदना का चरमोत्कर्ष बताया जा रहा है। मामला यूं है कि केंद्रीय जेल नरसिंहपुर जेल में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे एक कैदी के मामले में कलेक्टर रोहित सिंह ने संवेदनशीलता दिखाते हुए उसके आग्रह पर एक नहीं बल्कि दो बार पैरोल के आवेदन को स्वीकृत किया।जिसके कारण कैदी समय से जबलपुर जाकर अपने मृत पिता की समय से अंत्येष्टि कर सका। हालांकि एक दिन पहले भी इस आशय की अनुमति जारी हुई थी लेकिन शाम का वक्त हो जाने के कारण अंत्येष्टि का कार्यक्रम नहीं हो सका। कैदी के स्वजनों के आग्रह को स्वीकारते हुए गुरुवार सुबह नए सिरे से अनुमति जारी की गई।

जानकारी के अनुसार केंद्रीय जेल में हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे सोनू दिवाकर के जबलपुर रामपुर निवासी पिता वासुदेव मराठा 84 वर्ष की बीती 21 दिसंबर शाम करीब 5 बजे मृत्यु हो गई थी। इस आशय की सूचना मिलने के बाद स्वजनों ने मृतक के पुत्र व केंद्रीय जेल में पिछले 16 साल से सजा काट रहे सोनू दिवाकर को पैरोल पर चंद घंटों के लिए छोड़े जाने का आग्रह बुधवार दोपहर किया। हालांकि कलेक्टर के भ्रमण पर होने के कारण इस संबंध में अनुमति शाम के वक्त आनन-फानन में करीब 4 बजे जारी कर दी गई। इसी बीच मृतक के स्वजनों ने अंत्येष्टि का कार्यक्रम एक दिन आगे बढ़ा दिया। साथ ही कलेक्टर रोहित सिंह से आग्रह किया कि वे ये अनुमति गुरुवार यानी 23 दिसंबर के लिए जारी करें, जिसे श्री सिंह ने मान लिया। गुरुवार सुबह पुन: जेलर संतोष हरयाल ने पैरोल दिए जाने संबंधी आग्रह भेजा तो नृसिंह भवन पहुंचकर कलेक्टर रोहित सिंह ने सबसे पहले कैदी दिवाकर की फाइल मंगाकर तत्काल उसे पुलिस कस्टडी में पैरोल पर जबलपुर भेजने के आदेश पर हस्ताक्षर किए। दोपहर करीब डेढ़ बजे एसपी विपुल श्रीवास्तव ने जेल प्रशासन को पुलिस दस्ता व वाहन उपलब्ध कराया। इसके बाद कैदी को जबलपुर ले जाया गया। इसके अलावा कलेक्टर श्री सिंह ने इस तरह के मामलों में मानवीय संवेदनाओं को प्राथमिकता देने के निर्देश भी अपने मातहत अधिकारियों को दिए। स्वजनों ने कलेक्टर की इस संवेदनशील मामले में लगातार दो दिन आदेश जारी करने को लेकर आभार प्रदर्शित किया है।

कैदी की पैरोल में इनका रहा सहयोग: कलेक्टर रोहित सिंह की मानवीय संवेदना को पूरा जिला प्रशासन सैल्यूट कर रहा है। हालांकि इस प्रकरण में केंद्रीय जेल के जेलर संतोष हरयाल, एडीएम मनोज कुमार ठाकुर, इनके लिपिक मुड़िया बाबू, स्टेनाे निर्दोष वैद्य आदि ने भी भरपूर मदद की। ये बात और है कि तकनीकी व अन्य कारणों से बुधवार को जब अनुमति मिली तो परिजन अंतेष्टि करने में खुद को असहाय मानने लगे। हालांकि उनके आग्रह को भी जिला प्रशासन ने मानवीय संवेदना के तराजू में रखकर अगले दिन पैरोल स्वीकृत करने का भरोसा दिया। इस भरोसे को कलेक्टर रोहित सिंह ने कायम भी रखा। जैसे ही ये मामला जिले में वायरल हुआ सभी लोग कलेक्टर को दुआएं देते नजर आए।

कलेक्टर ने लिया ये फैसला: कैदियों के परिजनों की माैत और उनके पैरोल के मामले में कलेक्टर रोहित सिंह ने एक कदम और आगे जाकर मानवीयता की मिसाल कायम की है। उन्होंने निर्देश जारी किए हैं कि इस तरह के प्रकरण में वे कहीं पर भी रहें उन्हें त्वरित सूचित किया जाए ताकि संबंधित को समय रहते अंत्येष्टि आदि कार्यक्रमों में शामिल होने का अवसर मिल सके। कलेक्टर ने खबर लाइव 24 से बात करते हुए साफ कहा ऐसे मामलों में लेटलतीफी बर्दाश्त योग्य नहीं है।

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