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नरसिंहपुर: धनलक्ष्मी का कब्जा 36 खदानों पर, खनिज निगम बोल रहा- सिर्फ 13 खदानें ही स्वीकृत

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नरसिंहपुर। जिले में रेत खनन को लेकर रोज किसी न किसी जगह छोटे-बड़े झगड़े हो रहे हैं। अधिकृत कंपनी जहां चेकपोस्ट लगाकर अवैध रूप से होने वाले रेत के परिवहन को रोकने दिन-रात चौकसी कर रही है, वहीं अब खनिज निगम भोपाल की एक जानकारी ने कंपनी को भी बैकफुट पर खड़ा कर दिया है। सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में केवल 13 रेत खदानों को ही वैधानिक स्वीकृतियां प्राप्त हैं। जबकि वर्तमान में रेत खनन के लिए अधिकृत कंपनी 36 खदानों का ठेका लेने का दावा कर रही है। खनिज निगम द्वारा दी गई जानकारी के बाद खनन वाली खदानों को लेकर गफलत की स्थिति निर्मित हो गई है।
जिले के जागरूक नागरिक रमाकांत कौरव द्वारा सूचना के अधिकार के तहत खनिज निगम भोपाल में आवेदन कर जानकारी मांगी थी कि आखिर नरसिंहपुर जिले में कुल कितनी खदानों के संचालन की अनुमतियां जारी की गईं हैं। इसके प्रतिउत्तर में निगम द्वारा डाक के जरिए प्रमाणित प्रति उपलब्ध कराते हुए बताया गया कि 4 जनवरी 2021 की अवधि तक जिले में कुल 13 खदानों से रेत निकालने की वैधानिक अनुमति प्रदान की गई है। जिन खदानों से रेत निकालने की अनुमति दी गई है उनमें गाडरवारा तहसील के अंतर्गत गांगई 4 हेक्टेयर, भूमियाढाना करीब 5 हेक्टेयर, दिघौरी 4 हेक्टेयर, अजंदा-1 में 4 हेक्टेयर, बगदरा 4 हेक्टेयर, बैरागढ़ 4.80 हेक्टेयर, संसारखेड़ा-1 के दो खसरे में 13 हेक्टेयर व गाडरवारा में 7.5 हेक्टेयर रकबे में खनन वैध है। इसी तरह तेंदूखेड़ा तहसील के इमझिरा में करीब 5 हेक्टेयर, हीरापुर में 5 हेक्टेयर, करेली तहसील के देवाकछार में करीब 5 हेक्टेयर, रेवानगर में करीब साढ़े 3 हेक्टेयर और नरसिंहपुर के घाटपिपरिया में 7 हेक्टेयर रकबे में खनन को वैधानिक अनुमति प्रदान की गई है। शेष 23 खदानों को अब तक वैधानिक अनुमतियां प्राप्त नहीं हो पाईं हैं।
क्या हैं वैधानिक स्वीकृतियां: खनिज निगम ने जिला प्रशासन के प्रस्ताव पर जिले में रेत खनन के लिए 36 खदानों को पात्रता प्रदान की है। जून 2020 की नीलामी में उच्चतम बोली धनलक्ष्मी मर्चेंटाइज्ड कंपनी लिमिटेड को ये सभी खदानें 62.50 करोड़ रुपये जीएसटी अलग से, में सुपुर्द की गईं थीं। इसके तहत नीलाम हुईं 36 खदानों से कंपनी को 20 लाख घनमीटर रेत निकालनी है। हालांकि नीलामी में प्राप्त इन खदानों से रेत खनन करने के लिए कंपनी को तीन तरह की वैधानिक अनुमतियां लेना आवश्यक था। इन अनुमतियों में सिया यानी स्टेट एंवायरमेंटल इंपेक्ट असेसमेंट अथॉरिटी के अलावा जल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एनजीटी यानी राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण जैसे संस्थान अहम थे। इनसे अनुमतियां न मिलने पर नीलामी में खदानें प्राप्त करने पर भी कंपनी यहां खनन नहीं कर सकती है।
वे खदानें जहां वैधानिक अनुमतियां नहीं: खनिज निगम भोपाल द्वारा 4 जनवरी की स्थिति में कुल 13 खदानों को वैध अनुमति वाली मानी गईं हैं। जबकि मुआंर, मेहरागांव, महेश्वर, साईंखेड़ा, तूमड़ा, संसाखेड़ा-2, अजंदा-2, ढिगसरा, पनागर-1, पनागर-2, अर्जुनगांव, छैनाकछार-1, 2, कुडारी, घघरोला पटना, उमरिया, खिर्रिया, घूपुर कजरोटा, चिरहकला, धरमपुरी, वारूरेवा, करहैया, मुर्गाखेड़ा जैसी खदानों के लिए कंपनी को अभी तक उक्त तीनों संस्थानों से वैधानिक अनुमतियां नहीं मिली हैं।
इनका ये है कहना
वर्तमान में जिले की 17 खदानों को वैधानिक अनुमतियां मिल चुकी हैं। शेष खदानों से रेत की चोरी न हो इसके लिए कंपनी के कर्मचारी संरक्षण भर कर रहे हैं। इन खदानों से रेत नहीं निकाली जा रही है। एक हफ्ते में शेष रह गईं खदानों की वैधानिक अनुमतियां मिल जाएंगी।