नरसिंहपुर। जिला मुख्यालय में नगरपालिका के अंतर्गत गयादत्त वार्ड में निवासरत करीब 650 मतदाताओं को लोकसभा-विधानसभा चुनावों में तो मताधिकार प्राप्त रहता है लेकिन नगरीय निकाय या पंचायतों के चुनाव में ये अज्ञात स्थल के शरणार्थी बनकर रह जाते हैं। कहने का आशय ये है कि इन दोनों चुनाव में ये वोट डालने के लिए अपात्र हैं, इन्हें न तो नगरपालिका, न ही पंचायत अपना नागरिक मानती है। नतीजतन इन दोनों निकायों के माध्यम से मिलने वाले लाभ से भी नागरिक वंचित रह जाते हैं।
एक तरफ राज्य निर्वाचन आयोग पंचायत-निकाय चुनाव के मद्देनजर शत-प्रतिशत मतदाता परिचय पत्र बनवाकर वोटर लिस्ट में उनके नाम जोड़ने की कवायद कर रहा है। 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को मतदाता सूची में नाम दर्ज कराकर परिचय पत्र बनवाने कहा जा रहा है। वहीं नरसिंहपुर शहर के रेलवे स्टेशनगंज स्थित गयादत्त वार्ड की स्थ्ािति अजीबोगरीब है। इस वार्ड में करीब 1900 मतदाता हैं, जिनके पास वोटर आईडी कार्ड हैं लेकिन इनमें से 650मतदाताओं के वोटर कार्ड सिर्फ लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए वैध रहते हैं। नगरीय निकाय या पंचायत चुनाव तक आते-आते इन्हें मतदान का अधिकार नहीं रह जाता है। इसकी वजह नगरपालिका के परिसीमन रिकॉर्ड में इन लोगों के आवास नो मैन लैंड (नागरिकविहीन भूमि) के रूप में दर्ज होना है। जबकि हकीकत ये है कि ये 650 मकान एक साथ, एक क्रम में न बने होकर नगरीय सीमा के अंतर्गत आने वाले मकानों के इर्द-गिर्द बने हैं। बावजूद इसके नगरपालिका इन लोगों को अपना नागरिक नहीं मानती है।
ग्राम पंचायत में भी दर्ज नहीं
गयादत्त वार्ड की 650 नागरिकों की आबादी जहां एकतरफ नगरपालिका के नो मैन लैंड रिकॉर्ड में दर्शाई गई है तो वहीं इसे ग्राम पंचायत का हिस्सा भी नहीं माना गया है। इसके चलते ये पंचायत चुनाव में भी वोट डालने के अधिकार से वंचित रह जाते हैं। पिछले कई वर्षों से ये लोग खुद को चाहे नगरीय हो या पंचायत किसी भी निकाय में नाम दर्ज कराने मांग करते रहे हैं, लेकिन हर बार अधिकारियों के आश्वासन ही मिले हैं। परिसीमन के वक्त जिम्मेदार इन लोगों को भूल गए, जिसका परिणाम अब ये लोग भुगत रहे हैं।
सरकारी योजनाओं से वंचित
गयादत्त वार्ड में जो लोग निकाय-पंचायत चुनाव में मतदान से वंचित रह जाते हैं, उनमें से कई ऐसे भी हैं जो गरीब तबके हैं, जिन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। मसलन, प्रधानमंत्री आवास योजना हो, बीपीएल, राशन कार्ड, संबल योजना आदि का लाभ लेना टेढ़ी खीर के समान है। क्योंकि नगरपालिका या ग्राम पंचायत में इनका नाम ही स्थानीय निवासी के रूप में दर्ज नहीं है।
शिकायत के बाद जांच, 250 को मिली राहत
गयादत्त वार्ड में चार दिन पहले ब्लाक कांग्रेस के अध्यक्ष नरेंद्र राजपूत ने एसडीएम समेत सीएमओ नगरपालिका को शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें कहा गया था कि गयादत्त वार्ड की सीमा से बाहर रह रहे करीब 650लोगों के नाम काटे जाएं, ये लोग वार्ड के निवासी नहीं हैं। इतनी बड़ी संख्या के नाम काटे जाने की शिकायत पर एसडीएम राधेश्याम बघेल ने तत्काल तहसीलदार, सीएमओ नगरपालिका केएस ठाकुर समेत आरआइ, पटवारी की टीम गठित कर मामले की जांच के आदेश दिए। टीम ने जब वार्ड स्थित घर-घर संपर्क किया तो पाया गया कि 400 लोग परिसीमन के तहत तय की गई नगरीय सीमा के बाहर रह रहे हैं। जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के बाद ये निर्णय लिया गया है कि 650 लोगों के नाम अलग करने की शिकायत में से 250 नामों को छोड़कर शेष के नाम वोटरलिस्ट से काटे जाएंगे। जिनके नाम काटे गए हैं उन्हें ये विकल्प दिया जा रहा है कि वे अपने नाम ग्राम पंचायत में जुड़वा लें।
ग्राम पंचायत रोंसरा या सूरजगांव, इसे लेकर भी भ्रम
गयादत्त वार्ड के नो मैन लैंड के रिकॉर्ड में जिन लोगों के नाम शामिल हैं, उन्हें ग्राम पंचायत की वोटर लिस्ट में अपना नाम दर्ज कराने का फैसला जरूर कर दिया हो लेकिन वे किस ग्राम पंचायत में अपना नाम दर्ज कराएं, इसे लेकर भी भारी भ्रम है। दरअसल, जिन 650 लोगों के जहां मकान बने हैं, वह सूरजगांव ग्राम पंचायत की सीमा पर स्थित हैं। इस लिहाज से उन्हें इस ग्राम पंचायत में आना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है। क्योंकि मकान निर्माण की अनुमति से लेकर हर छोटे बड़े काम के लिए स्थानीय लोगों के दस्तावेजों पर रोंसरा ग्राम पंचायत का नाम दर्ज है। हैरत की बात ये है कि रौंसरा ग्राम पंचायत का क्षेत्र रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 2 तक सीमित है। इसके बावजूद भी हर तरह के निर्माण की स्वीकृति गयादत्त के 650 मतदाता रोंसरा पंचायत से प्राप्त करते हैं।
लोस-विस चुनाव में कहलाते हैं वार्डवासी
एक तरफ गयादत्त वार्ड के 650 लोग न तो नगरीय न ही पंचायत के नागरिक माने गए हैं, न ही उन्हें इन निकायों में मतदान का अधिकार ही दिया गया है। वहीं बात जब लोकसभा या विधानसभा चुनाव की आती है तो यही लोग गयादत्त वार्ड के निवासी कहलाने लगते हैं। इन चुनावों में ये लोग वार्डवासी बनकर अपना-अपना मतदान करते हैं। नगरीय निकाय या पंचायत चुनाव में आखिर ये लोग क्यों बेदखल कर दिए जाते हैं, इसका कोई भी स्पष्ट जवाब अधिकारियों के पास नहीं है। नागरिकों के अनुसार हर बार परिसीमन के वक्त उन्हें यही दिलासा मिलता है कि आपका नाम नई सूची में अपडेट हो जाएगा, लेकिन होता-जाता कुछ नहीं है।
इनका ये है कहना
हमने गयादत्त वार्ड के संबंध में जिला प्रशासन द्वारा प्रकाशित मतदाता सूची पर आपत्ति जताई थी। शिकायत करते हुए हमने बताया था कि 650 मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से काटे जाने चाहिए, क्योंकि ये नगरपालिका सीमा के बाहर रह रहे हैं। इस मामले की जांच भी हो चुकी है, जल्द ही निकाय चुनाव के लिए अपात्र लोगों के नाम काट दिए जाएंगे।
नरेंद्र राजपूत, ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष नरसिंहपुर।
……
गयादत्त वार्ड में जिन 650 लोगों की बात हो रही है, दरअसल उनके मकान नगरपालिका के रिकॉर्ड में नो मैन लैंड के रूप में दर्ज हैं। इसलिए इन्हें निकाय चुनाव में मतदान देने का अधिकार नहीं है। हमें इस संबंध में शिकायत भी मिली थी, जिसके बाद वरिष्ठों के निर्देशन में हम जांच कर रहे हैं।
केएस ठाकुर, सीएमओ, नगरपालिका।
…..
हमने शिकायत पर जांच कराई थी। टीम ने घर-घर जाकर जांच की और उनके नाम-पते का परिसीमन से मिलान भी कराया। जिसमें पाया गया कि गयादत्त वार्ड के करीब 400 लोग नगरीय सीमा के बाहर रह रहे हैं। केवल 250 लोग ही ऐसे मिले हैं जो नगरीय सीमा के अंतर्गत हैं। इन्हें मतदान का अधिकार होगा। शेष लोग अपना नाम रोंसरा या सूरजगांव पंचायत में मतदाता के रूप में दर्ज करा सकते हैं। जल्द ही इस मामले में आदेश जारी कर दिए जाएंगे।
राधेश्याम बघेल, एसडीएम, नरसिंहपुर।