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करेली: चेतना यात्रा पर निकले दोस्तों ने बताया चुटका परियोजना से नर्मदा की जैव विविधता पर गंभीर खतरा

नर्मदा चेतना यात्रा में शहर पहुंचे पिपरिया व देवास के सामाजिक कार्यकर्ता

नरसिंहपुर/करेली। चुटका परमाणु संयंत्र परियोजना के कारण नर्मदा की जैव विविधता पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। नर्मदा नदी को बचाने के लिए जरूरी है कि इस परियोजना को रद्द किया जाए। ये बात चेतना यात्रा पर निकले गोपाल राठी व गजानंद यादव ने शहर आगमन के दौरान कही।
श्री राठी व श्री यादव ने बताया कि वे दोनों अच्छे मित्र हैं। लंबे समय से नर्मदा परिक्रमा की योजना बना रहे थे। इसी मंथन के दौरान विचार आया कि यात्रा के साथ-साथ जनजागरण भी किया जाना चाहिए। पिपरिया, होशंगाबाद के गोपाल राठी व संबलपुर देवास के सामाजिक कार्यकर्ता गजानंद यादव ने बताया कि परमाणु संयंत्र से बनने वाली बिजली से पानी के विषैले होने के प्रभाव से वे परिचित थे। उन्हें मालूम था कि जापान का फुकुशिमा परमाणु संयंत्र सुनामी के साथ आए भूकंप में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इससे उसके आसपास के बड़े इलाके में रेडियोधर्मी विकिरण फैलने से अनेक लोग हताहत हो गए थे। बस फिर क्या था यात्रा को उद्देश्य मिल गया। 7 मार्च 2021 को उन्होंने नर्मदा बचाओ-मानव बचाओ नर्मदा चेतना यात्रा चुटका मंड़ला से शुरू कर दी।
नर्मदा के हालात पर चिंता जताई: नर्मदा चेतना यात्रा के संवाहक बने गोपाल राठी व गजानंद यादव का बीते दिवस करेली आगमन हुआ। जहां हाल ही में पग-पग नर्मदा यात्रा करके आने वाले मधु पालीवाल, रमेश पालीवाल, दिनेश अग्रवाल, सुनील अग्रवाल ने स्वागत हुआ। चर्चा में श्रीराठी व श्री यादव ने बताया कि प्रस्तावित चुटका परमाणु परियोजना तो नर्मदा को जहरीला बना देगी। जीवनदायनी नर्मदा मध्यप्रदेश की जीवन रेखा एवं आस्था का केंद्र है लेकिन कई वर्षों से इस पर संकट छाया हुआ है। शहर का कचरा एवं मल मुत्र नालों से होकर नर्मदा में मिल रहा है, अवैध रेत खनन से नर्मदा को छलनी किया जा रहा है, नर्मदा की सहायक नदियां सूखती जा रहीं हैं। इन्हीं चिंताओं को लेकर हम चेतना यात्रा कर रहे है। नर्मदाप्रेमियों से विनम्र अपील है कि नर्मदा नदी पर निर्मित बरगी बाँध के किनारे मंडला जिले के भूकंप संवेदी क्षेत्र चुटका में 1400 मेगावाट विद्युत उत्पादन करने के लिए परमाणु परियोजना लगाना प्रस्तावित है। परमाणु संयंत्र से निकलने वाली वाष्प और संयंत्र को ठंडा करने के लिए उपयोग होने वाले पानी में रेडियोधर्मी विकिरण युक्त (जहरीला) तत्व शामिल हो जाते हैं। चुटका परमाणु संयंत्र से निकलने वाला विकिरण युक्त पानी बरगी जलाशय में जाएगा। विकिरण युक्त इस जल का दुष्प्रभाव जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, बड़वानी सहित नर्मदा नदी किनारे बसे अनेक शहर और ग्रामीणों पर पड़ेगा। जहाँ तक प्रदेश में बिजली का सवाल है तो प्रदेश में उपलब्ध क्षमता 21 हजार 361 मेगावाट हो चुकी है जबकि अधिकतम मांग 15 हजार 425 मेगावाट है और साल भर की औसत मांग 9 से 10 हजार मेगावाट है। ऐसे में चुटका परमाणु संयंत्र को रद्द करने की मांग हम केन्द्र व मप्र सरकार से करते है। नर्मदा भक्तों से भी हम अपील करते है कि वह एक-एक पोस्ट कार्ड, पत्र शासन प्रशासन को भेजे, इंटरनेट मीडिया के माध्यम से ट्वीट करें।