नरसिंहपुर। आधुनिक शिक्षा पद्धति ने पुरातन गुरुकुल समाप्त कर दिए लेकिन प्रकृति के सानिध्य में अध्ययन का अलग ही महत्व है। जहां विद्यार्थी आसपास के परिवेश से भी सीखता है, साथ-साथ अपनी जमीन और जड़ों से भी गहराई से जुड़ता है। उसी प्राचीन शैक्षणिक माहौल को निर्मित करने सिद्धबाबा घाट में आचार्य शशिकांत मिश्र ने 21 अक्टूबर 2020 को मैत्रेयी गुरुकुलम की स्थापना की। यहां नौनिहालों को खुले प्राकृतिक वातावरण में निशुल्क संस्कृत भाषा की शिक्षा देना प्रारंभ की जिसमें आयु बंधन न होने के कारण दिनों-दिन बच्चों के अलावा बड़े भी शामिल होने लगे। शनिवार को यहां पर पांच महीने के पश्चात सत्र की समाप्ति पर स्वामी अमृतानंद की अध्यक्षता, महंत बालकदास, समाजसेवी अमितेंद्र नारौलिया, असित तिवारी व साहित्यकार इंदु सिंह के विशिष्ट आतिथ्य में सत्रांत समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें शिक्षार्थियों ने संस्कृत भाषा में अपना परिचय, दिनचर्या व गीत प्रस्तुत किए तो इस दौरान गुरुकुल में दिए गए संस्कार, नवाचार व अनुरकर्णीय नियमों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी, जिन्हें अपनाकर उन्होंने अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन महसूस किए। छात्रों ने बताया गुरुकुल में किस तरह रोचक तरीके से संस्कृत को व्यवहार में लाने पढ़ाई के माध्यम से सहज-सरल मन्त्र बताये गये जिसमें प्रकृति की निकटता का भी बहुत बड़ा हाथ है। भारतीय शिक्षा का यह सनातन स्वरूप देखकर अतिथियों ने शिक्षक व शिक्षार्थियों को साधुवाद दिया। अपने उद्बोधन में इस तरह के अनेक गुरुकुलम शुरू करने व इसे सतत जारी रखने की बात कहते हुए उपस्थित बालक-बालिकाओं को उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम के अंत में अतिथियों द्वारा सभी विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। देवेंद्र चौधरी के आभार प्रदर्शन से सत्रांत समारोह का समापन किया गया। इस अवसर पर पार्षद गोलू राय, दिनेश श्रीवास्तव, रमेश नेमा, चौधरी सर, नरेश पटेल, आनंद तिवारी, नवीन सोनी आदि भी उपस्थित रहे। विदित हो कि पांच माह के मैत्रेयी गुरुकुलम में अशोक नेमा, देवेंद्र चौधरी, शरद साहू, धनीराम कोरी, अभिराज साहू, कार्तिक लोधी, आस्था पटवा, श्रेया नेमा, प्रथम साहू, हार्दिक सिंह, राशि सोनी ने संस्कृत की बारीकियां व व्याकरण का ज्ञान प्राप्त किया।