नरसिंहपुर। जिला मुख्यालय में तीन दिन पूर्व अनियमितताओं और खास चिकित्सक के संरक्षण में दवाओं की अधिक कीमतों की शिकायतों के चलते ओम मेडिकल को जिला प्रशासन ने सील करा दिया था। इसी बीच शुक्रवार को शिकायत हुई कि मेडिकल दुकान का पिछला दरवाजा खुला है, यहां से दवाएं बेची जा रहीं हैं। सूचना पाकर प्रशासनिक अधिकारियों ने पुलिसबल के साथ मौके पर दबिश दी। उन्होंने दुकान को सख्त लाल कपड़े के साथ नए सिरे से सीलबंद किया। ये बात ओर है कि जिस पिछले दरवाजे से दुकान संचालन की कथित शिकायत मिली थी, उसकी सील एक घंटे के भीतर तोड़ भी दी गई।
शुक्रवार दोपहर जिला मुख्यालय के सुभाष पार्क के पास संचालित पहले से सील दुकान के पीछे स्थित दरवाजे से दवाएं बेचने की किसी ने जिला प्रशासन को दे दी। इसके बाद एसडीएम राधेश्याम बघेल, औषधीय निरीक्षक प्रदीप अहिरवार पुलिसबल के साथ मौके पर पहुंचे। यहां उन्हें पिछला दरवाजा खुला मिला। साथ ही ये भी पाया गया कि तीन दिन पहले यहां पर औषधीय निरीक्षक की टीम ने दुकान की ठीक ढंग से सीलबंदी ही नहीं की थी। महज एक ताले में नाममात्र की लाख की बूंद टपकी भर थी। इसके बाद प्रशासनिक अमले ने तत्काल दुकान के पिछले दरवाजे समेत सामने की ओर शटर के हर ताले पर लाल कपड़ा लपेटकर उसे लाख से सीलबंद किया। इस कार्रवाई को करने के बाद प्रशासनिक अमला मौके से रवाना हो गया। हालांकि एक घंटे के अंदर ही एसडीएम ऑफिस से आए कर्मचारी ने पिछले दरवाजे में लगी सील को तोड़ दिया। उसका कहना था कि ऊपर एक पैथालॉजी संचालित है। इसका रास्ता बंद नहीं किया जा सकता है।
पैथालॉजी कहां, किसके नाम कोई अता-पता नहीं
शुक्रवार को एसडीएम के मार्गदर्शन में ही मेडिकल दुकान की दोबारा सीलबंदी की गई। कुछ देर बाद पिछले दरवाजे की सील ये हवाला देकर तोड़ दी गई कि इसका रास्ता ऊपर पैथालॉजी की ओर जाता है। हैरत की बात ये रही कि समूची बिल्डिंग में कौन सी पैथालॉजी संचालित है, कौन पैथालॉजिस्ट है, इसका रजिस्ट्रेशन नंबर क्या है, इसकी जानकारी देने वाला कोई साइन बोर्ड तक नहीं लगा है। इस बारे में जब एसडीएम राधेश्याम बघेल, सीएमएचओ डॉ. मुकेश कुमार जैन, औषधीय निरीक्षक प्रदीप अहिरवार से पूछा गया तो वे भी पैथालॉजी कहां है, कौन चलाता है, इसके बारे में जानकारी नहीं दे पाए। अधिकारी एक-दूसरे के ऊपर पूरा मामला डालते रहे। बिल्डिंग के आसपास मौजूद अन्य दुकानदारों से पैथालॉजी संचालक का नाम पूछा गया तो वे भी नहीं बता सके कि यहां जांच आखिर करता कौन है। इसका संचालक कौन है।
पहले बोले मीटिंग में, फिर ब्लैकलिस्ट में डाला नंबर
औषधीय निरीक्षक प्रदीप अहिरवार ने तीन दिन पहले जब मेडिकल दुकान को सील किया था तो दोबारा क्यों उसे सील करने की जरूरत पड़ गई। इस बारे में जब श्री अहिरवार से फोन पर बात की गई तो पहले उन्होंने कहा कि हमें पीछे के दरवाजे से दवाएं बिकने की शिकायत मिली थी। इसलिए उसे सील करने गए थे। बाद में सील इसलिए तोड़ी क्योंकि यहां पैथालॉजी थी। हमें सिर्फ मेडिकल दुकान सील करने के अधिकार हैं। इसके बाद उन्होंने मीटिंग का हवाला देकर बाद कुछ देर में जानकारी देने की बात कही। हालांकि इसके बाद उन्होंने उत्तर न देना पड़े इसलिए सवालकर्ता का नंबर ब्लैकलिस्ट में डाल दिया।
इनका ये है कहनाहमें सूचना मिली थी कि तीन दिन पहले सील की गई ओम मेडिकल की दुकान का पिछला दरवाजा खुला है। हमने पुलिसबल के साथ मौके पर जाकर तत्काल पिछले दरवाजे को सील किया। बाद में पता चला कि पिछला दरवाजा किसी पैथालॉजी का है। इसलिए सील तुड़वा दी। अब यहां पैथालॉजी कहां है, उसे कौन चलाता है, उसका रजिस्ट्रेशन नंबर उसका क्या है, बोर्ड लगा है कि नहीं, ये देखना हमारा विषय नहीं है। आप सीएमएचओ से बात कर लो।राधेश्याम बघेल, एसडीएम, नरसिंहपुर।नियम तो यही कहता है कि जहां पैथालॉजी संचालित की जाएंगी उसके संचालक, संस्थान का नाम, रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ बोर्ड पर लटकाना होगा। यदि इस तरह की जानकारी नहीं दी गई है तो ये गलत है। सुभाष पार्क के पास जिस पैथालॉजी की आप बात कर रहे हैं, उसके बारे में पता करवाता हूं। कौन संचालित कर रहा है।मुकेश कुमार जैन, जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, नरसिंहपुर।