नरसिंहपुर/गाडरवारा। कोरोना संक्रमण के चलते तीन दिन पहले मृत हुए गाडरवारा के एक मरीज की लाश मर्चुरी में रखी रही। शनिवार को जब इस संबंध में मृतक के स्वजनों को अंतिम संस्कार के लिए सूचित किया गया तो जिला अस्पताल पहुंचकर वे हंगामा मचाते रहे। वहीं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार वे मृतक के रिश्तेदारों का इंतजार कर रहे थे।
शनिवार दोपहर करीब 4 बजे जिला अस्पताल पहुंची प्रमिला केवट ने बताया कि उनके 45 वर्षीय भाई को बीमारी की हालत में सोमवार 5 अप्रेल को गाडरवारा के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां कोरोना संदिग्ध पाए जाने के बाद उसे 6 अप्रेल को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया, जहां 7 अप्रेल की देर शाम उसकी मौत हो गई थी। मृतका की बहन के अनुसार भाई की मृत्यु के बाद अस्पताल में कथित रूप से मौजूद नगरपालिका के किसी कर्मचारी ने उन्हें ये कहकर घर जाने कह दिया था कि शव का अंतिम संस्कार जिला मुख्यालय में ही होगा, उनकी कोई जरूरत नहीं है। बहन के अनुसार ये सुनकर वे और उनके साथ आईं मां व अन्य रिश्तेदार अपने-अपने घर चले गए थे। उन्हें लगा कि भाई के शव का अंतिम संस्कार हो गया होगा लेकिन वे हैरत में तब पड़ गए जब शनिवार 10 अप्रेल को उनके पास सूचना आई कि जिला अस्पताल में उनके भाई का शव मर्चुरी में रखा हुआ है।
स्वास्थ्य विभाग का ये रहा तर्क: गाडरवारा के मरीज की लाश को तीन दिन तक मर्चुरी में रखे जाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना था कि 7 अप्रेल की देर शाम उसकी मौत हुई थी। चूंकि शव को पीपीई किट में लपेटने व डिस्चार्ज आदि की कार्रवाई में रात हो गई थी, इसलिए शव को मर्चुरी में रखवा दिया गया था। अगले दिन उन्हें इंंतजार था कि मृतक के एक-दो स्वजन आ जाएं ताकि शव का कोविड गाइडलाइन के तहत अंतिम संस्कार करा दिया जाए लेकिन कोई नहीं आया। अगले दिन 9 अप्रेल को भी यही स्थिति रही तो 10 अप्रेल को डॉ. यादव ने अपने परिचित को गाडरवारा भेजकर मृतक के स्वजनों को अंतिम संस्कार कराने सूचित किया। अस्पताल प्रबंधन का कहना था कि कोविड संक्रमित शव का अंतिम संस्कार नगरपालिका के अमले द्वारा स्वजनों की उपस्थिति में ही कराया जाता है। हर केस में स्वजनों को इसके पहले भी सूचित किया जाता रहा है। ऐसे में उक्त मरीज की मौत होने पर उसके स्वजनों को घर जाने के लिए कहने या भगाने का सवाल ही नहीं उठता है। मृतक के रिश्तेदार रात होने पर स्वयं ही अपने-अपने घर चले गए थे।
पोस्टमार्टम, पंचनामा कराने पर अड़ी बहन, पहुंचा पुलिसबल
शनिवार शाम करीब 4 बजे शव को मुक्तिधाम ले जाने के लिए नगरपालिका का विशेष दल वाहन समेत मर्चुरी में पहुंच गया था। हालांकि मृतक की बहन पहले-पहल अंतिम संस्कार कराने के लिए तैयार भी हो गई, लेकिन थोड़ी देर बाद उनका कहना था कि शव का पंचनामा, पोस्टमार्टम कराया जाए। इसके चलते नपा का अमला भी शव नहीं उठा पाया। इसकी सूचना जैसे ही जिला प्रशासन को मिली, उसके कुछ देर बाद अस्पताल चौकी समेत थाना कोतवाली के प्रभारी व उनका अमला मौके पर पहुंच गया। यहां उन्होंने मृतक की बहन व अन्य स्वजन को समझाइश दी। इसके बाद भी जब बात नहीं बनी तो मौके पर अपर जिला दंडाधिकारी मनोज कुमार ठाकुर व एसडीएम राधेश्याम बघेल को भी पहुंचना पड़ गया। आखिरकार करीब एक घंटे की समझाइश के बाद मृतक के गाडरवारा में रहने वाली भाई ने अंतिम संस्कार कराने पर सहमति दी। जिसके बाद नपा के वाहन से शव को लेकर मुक्तिधाम ले जाया गया। जहां देर शाम कोविड गाइडलाइन के तहत उसका अंतिम संस्कार हुआ।
शनिवार को नरसिंहपुर में जलीं छह चिंताएं
पिछले एक हफ्ते में शायद ही ऐसा कोई दिन बीता होगा जब आधा दर्जन से अधिक कोरोना संक्रमित या संदिग्ध के शवों का नरसिंहपुर के मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार न हुआ हो। शुक्रवार को पांच शवों के बाद शनिवार को पुन: 6 संक्रमित-संदिग्ध मरीजों का अंतिम संस्कार नकटुआ स्थित मुक्तिधाम में कोविड-19 की गाइडलाइन के अंतर्गत कराया गया।
इनका ये था कहनागाडरवारा के संक्रमित की मृत्यु के बाद उसके स्वजन चले गए थे। हमें इंतजार था कि दूसरे दिन वे आएंगे और उसका दाह संस्कार कराएंगे, लेकिन वे नहीं आए। शनिवार को डॉ. यादव के माध्यम से एक व्यक्ति मृतक के घर गाडरवारा भेजा गया था, ताकि उन्हें अंतिम संस्कार कराने सूचित किया जा सके।डॉ. अनिता अग्रवाल, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल, नरसिंहपुरमृतक के स्वजनों को कुछ गलतफहमी हो गई थी। प्रशासन लगातार उन्हें अंतिम संस्कार के लिए सूचित कर रहा था। हमने मौके पर पहुंचकर मृतक की बहन व उसके साले को समझाइश दी। इसके बाद वे दाह संस्कार के लिए तैयार हो गए। मृतक के साले की मौजूदगी में शव का अंतिम संस्कार कराया गया।मनोज कुमार ठाकुर, अपर जिला दंडाधिकारी, नरसिंहपुर।