नरसिंहपुर। जिले में रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर आमजन में ऐसा फोबिया तैयार हो गया कि अब हर संक्रमित को लगता है कि इसी इंजेक्शन से वह बचा रह सकता है। इसके विपरीत विशेषज्ञ चिकित्सक इस इंजेक्शन को लेकर चेतावनी भी दे रहे हैं। उनका कहना है कि ये इंजेक्शन अत्यंत गंभीर बीमारी में इस्तेमाल होता है। मनमाने तरीके से इसका उपयोग लाभ देने के बजाय खतरनाक भी हो सकता है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष व ख्यातिलब्ध हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. संजीव चांदोरकर ने बताया कि कोविड-19 की तीन कैटेगरी होती है। इसमें माइल्ड श्रेणी सामान्य स्थिति है। इसमें 94 से 98 फीसद ऑक्सीजन लेवल होता है। इस श्रेणी में रेमडेसिविर की जरूरत नहीं होती। वहीं दूसरी श्रेणी में जो मॉडरेट इंफेक्शन के रोगी हैं, जिन्हें साथ में खांसी, हल्की सांस की तकलीफ, उनका ऑक्सीजन लेवल 90 से 94 फीसद और फैंफड़ों में निमोनिया का असर हो। साथ ही सीआरपी, डी डाइमर बढ़ा हो। इनमें हृदय रोग भी हो सकता है। ऐसे मरीजों को आपातकालीन व्यवस्था के अंतर्गत रेमडेसिविर जैसे इंजेक्शन चिकित्सक की निगरानी में दिए जाते हैं। हालांकि इन मरीजों को भी तब ही ये इंजेक्शन दिया जाता है जबकि उनकी किडनी व लिवर स्वस्थ हो। ऐसा न होने पर रेमडेसिविर इंजेक्शन देना खतरनाक हो सकता है। वहीं जिनका ऑक्सीजन लेवल 90 फीसद से कम होता है, साथ में फेंफड़ों में खराबी हो, उनका इलाज सिर्फ कोविड आईसीसीयू में ही संभव है। इन मरीजों के लिए रेमडेसिविर का इस्तेमाल कुछ हद तक कारगर है। डॉ. चांदोरकर ने आम लोगों से आह्वान किया है कि वे रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर पैनिक न करें। निरंतर साबुन से हाथ धोएं, सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें, मास्क पहनें और शारीरिक दूरी के नियम का पालन करें। इससे ही वे कोरोना संक्रमण से बचाव कर सकते हैं।