आनंद श्रीवास्तव
नरसिंहपुर। न खून का कोई रिश्ता है न ही दूर का कोई नाता, लेकिन मानवता की मिसाल पेश करते हुए नगरपालिका और नरसिंह लोक कल्याण एवं मुक्तिधाम सहयोग समिति के कर्मचारी पिछले 10 दिन में 100 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। कोरोना की भयावहता के कारण कांधा देने से दूर मृतकों के परिजनों का ये दायित्व भी ये बखूबी निर्वहन कर रहे हैं। इस तरह का नजारा जिला मुख्यालय के मुक्तिधाम-कब्रस्तान में रोज देखा जा सकता है। ये मृतक वे लोग हैं जो जिला अस्पताल में कोविड-19 के वार्ड में भर्ती किए गए थे लेकिन चिकित्सकों के तमाम प्रयासों के बावजूद अंत्वोगत्वा इन्हें नहीं बचाया जा सका। चूंकि कोविड-19 की गाइडलाइन के अनुसार संक्रमित या कोरोना संदिग्ध के शवों को छुआ नहीं जा सकता है, न ही इनकी अंतिम यात्रा सार्वजनिक रूप से निकाली जा सकती है। इसलिए इन शवों को मुक्तिधाम तक पहुंचाने का दायित्व नगरपालिका के कर्मचारियों के कांधे पर है। ये कर्मचारी सुबह 8 बजे से जिला अस्पताल में विशेष शांति वाहन लेकर जिला अस्पताल में पहुंच जाते हैं। इस तरह के तीन वाहन यहां तैनात हैं। प्रत्येक वाहन में दो-दो तैनात रहकर शवों को बारी-बारी से मुक्तिधाम तक पहुंचाते रहते हैं। ये क्रम देर रात करीब 10 बजे तक जारी रहता है। शवों को मुक्तिधाम व कब्रस्तान पहुंचाने के काम का नेतृत्व नगरपालिका के दरोगा रंजीत कुमार डागोरिया के जिम्मे है। इनके साथ ड्राइवर लखन बमनेले, सफाई कर्मचारी शिवा पिता संतोष, अजय पिता मुन्न्ालाल, विका स पिता राजेश आदि जिला अस्पताल की से शवों को पीपीई किट में लिपटे शवों को सिर्फ मुक्तिधाम तक पहुंचाकर मुक्तिधाम के कर्मचारियों के सहयोग से चिता सजाने, उसे मुखाग्नि देने का काम कर रहे हैं। नगरपालिका के सफाई दरोगा रंजीत के अनुसार प्रतिदिन इतने शवों को इसके पहले कभी कर्मचारियों ने मुक्तिधाम नहीं पहुंचाया। उनके अनुसार भले ही इन शवों से वे परिचित नहीं लेकिन इन्हें अंतिम विदाई देने के लिए शायद ईश्वर ने ही उनका ही चुनाव किया है।
राख को समेटते हैं, खारी के लिए करते हैं एकत्र: जिन चिताओं को यहां मुखाग्नि दी जाती है, वह पूरी तरह अग्नि को समर्पित हो गई है कि नहीं इसकी देखरेख मुक्तिधाम में रहने वाले कर्मचारी ही करते हैं। ये खारी विसर्जन के लिए राख को एकत्र करने के बाद उसे स्वजनों को सौंपते हैं। इस काम में महिला-पुरुषों समेत 10 लोग दिन-रात सेवाएं दे रहे हैं। इनमें विनोद कुमार ठाकुर, दशरथ सिंह ठाकुर, अनिल कुमार ठाकुर, राजा यादव, अंजली बाई ठाकुर, सुनील कुमार ठाकुर, नानी बाई, सरोज बाई ठाकुर, बालकिशोर ठाकुर प्रमुख हैं।
ये लोग चिता सजाने के लिए लकिड़यां उठाने से लेकर उसे अग्नि दिलवाने तक में सहयोगी रहते हैं। सारे संस्कार ये ऐसे करते हैं मानों अंतिम विदाई पाने वाला इनका कोई अपना हो। इतना ही नहीं यहां पहुंचने वाले कुछ शव ऐसे भी रहे जिनके स्वजनों के पास लकड़ियां खरीदने के लिए पैसे तक नहीं थे। ऐसे वक्त में मुक्तिधाम समिति के अध्यक्ष किशन कुमार गुप्ता और सचिव छुट्टू महाराज, सेवादार राजा कौरव मदद के लिए तत्पर रहे। मुक्तिधाम की व्यवस्थाओं को बनाने में अपर कलेक्टर मनोज कुमार ठाकुर, एसडीएम राधेश्याम बघेल, नगरपालिका सीएमओ कुंवर विश्वनाथ सिंह निरंतर निगरानी करते हैं। विदित हो कि समिति के कोषाध्यक्ष गणेश नेमा गन्नू के सुझाव पर नगरपालिका सीएमओ कुंवर विश्वनाथ सिंह की अगुवाई में मुक्तिधाम परिसर में 13 नए विशेष शेड बनवाए गए हैं। जहां एक साथ कई शवों को मुखाग्नि दी जा सकती है। नगरपालिका के प्रदीप नगाइच के अनुसार शहर में ये विशेष शेड आम चिताओं के लिए बने शेडों से थोड़ी दूर पर हैं। इन शेडों को बनवाने का मकसद सिर्फ ये है कि सामान्य तरीके से होने वाली मौतों व इन शवों का अंतिम संस्कार करवाने आने वाले लोगों को दिक्कतों से बचाना है।