नरसिंहपुर: मरीजों से एंबुलेंस चालक ले रहे थे 10 हजार तक, कलेक्टर ने तय कर दिए दाम, अब देना होगा इतना किराया
नरसिंहपुर। कोविड-19 काल में बने विपरीत हालातों का अब निजी एंबुलेंस संचालक भी फायदा उठाने से नहीं चूक रहे हैं। मरीजों की लाचारी का वे मनचाहे तरीके से फायदा उठा रहे हैं। हालात ये हो चले हैं कि यदि गाडरवारा से किसी बीमार को नरसिंहपुर-जबलपुर ले जाना हो तो उन्हें एंबुलेंस के रूप में 10 हजार रुपये तक देने पड़ रहे हैं। हालांकि इस संबंध में आई शिकायत के बाद जिला प्रशासन ऐसे लोगों पर लगाम कसने की तैयारी में है। सोमवार को जिला प्रशासन ने जिला परिवहन विभाग को न्यूनतम किराया तय करने के निर्देश जारी किए।
जिले में कोरोना की थीमी पड़ी जांच और ग्रामीण क्षेत्रों में बुखार पीड़ितों की संख्या के मद्देनजर गाडरवारा, तेंदूखेड़ा, करेली, गोटेगांव तहसील के कई लोग सीटी स्कैन कराने के लिए रोजाना बड़ी तादाद में जिला मुख्यालय पहुंच रहे हैं। इनकी संख्या प्रतिदिन औसतन 200-250 के आसपास है। इनमें से कई ऐसे हैं जिनके पास स्वयं का वाहन नहीं है या फिर वे बीमार हैं। ऐसे लोग निजी एंबुलेंस कर जिला मुख्यालय पहुंचते हैं। बताया जा रहा है कि विभिन्न् तहसीलों से जिला मुख्यालय तक लाने के लिए निजी एंबुलेंस संचालक 5 से 6 हजार रुपये तक ले रहे हैं। जबकि आम दिनों में इन एंबुलेंस का सामान्य किराया एक हजार रुपये के आसपास होता था। वहीं यदि कोई मरीज जबलपुर जाना चाहे तो उसे गाडरवारा, करेली, नरसिंहपुर से 10 हजार रुपये तक देना पड़ रहे हैं। जबकि आम दिनों में ये किराना 2-ढाई हजार रुपये होता था। स्वास्थ्य सुरक्षा के मद्देनजर निजी एंबुलेंस संचालकों की मनमर्जी के आगे मरीजों व उनके स्वजनों को झुकना पड़ रहा है। हालांकि इस संबंध में बीते दिवस अपर जिला दंडाधिकारी मनोज कुमार ठाकुर के पास शिकायत भी पहुंची थी। इस पर उन्होंने तत्काल जिला परिवहन अधिकारी से इस तरह की प्रवृत्ति पर लगाम लगाने के निर्देश दिए थे।
एंबुलेंस संचालकों को किया तलब: अपर जिला दंडाधिकारी के निर्देश पर जिला परिवहन अधिकारी जितेंद्र शर्मा ने सोमवार को जिलेभर के एंबुलेंस संचालकों को अपने दफ्तर में तलब किया। उनसे जिले में मरीजों को लाने-ले-जाने के लिए मांगी जा रही अत्याधिक राशि के संबंध में चर्चा की। श्री शर्मा ने बताया कि एंबुलेंस संचालकों से कहा गया है कि वे जिले के भीतर और जिले के बाहर ले जाने के लिए अपने-अपने किराए को सार्वजनिक करें। उन्होंने चेतावनी भी दी है कि यदि तय रेट से अधिक किराया वसूली की शिकायत आती है तो उनका परमिट निरस्त भी किया जा सकता है।
अस्पताल परिसर में मरीज तलाशते हैं चालक: कोविडकाल में यूं तो जिला अस्पताल परिसर में जिला प्रशासन द्वारा धारा 188 लागू की गई है। इसके अंतर्गत अनाधिकृत रूप से कोई भी व्यक्ति अस्पताल की व्यवस्था में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। न ही मरीजों को बरगलाया जा सकता है। बावजूद इसके निजी एंबुलेंस चालक दाएं-बाएं से यहां भर्ती मरीजों को कहीं सीटी स्कैन कराने के नाम पर तो कहीं जबलपुर ले जाने के लिए प्रेरित करते नजर आ जाते हैं। इसका एक उदाहरण तीन-चार दिन पहले ही देखने को मिला था। जब एक कोरोना संदिग्ध मरीज को बिना चिकित्सक की अनुमति के एक एंबुलेंस चालक सीटी स्कैन कराने ले गया था। बाद में यह एंबुलेंस रातभर अस्पताल परिसर में मरीज को लिए खड़ी रही। इसी में चोरी-छिपे मरीज को मनमाने ढंग से बिना चिकित्सकीय अनुमति-स्वीकृति के रातभर दो सिलिंडर आक्सीजन तक दी गई। नतीजतन हालत बिगड़ने पर उसे अगले दिन आइसीयू में भर्ती करना पड़ा, जिसकी 48 घंटे बाद मौत हो गई थी।
जबलपुर-भोपाल ले जाने दरें तय, इससे अधिक वसूली नहीं होगी
एंबुलेंस संचालकों द्वारा की जा रही मनमानी वसूली पर विराम लगाते हुए जिला प्रशासन ने सोमवार देर शाम रेटतालिका जारी कर दी। अब एंबुलेंस संचालक इससे अधिक दरों पर वसूली नहीं कर सकेंगे। कलेक्टर कार्यालय द्वारा जारी आदेशानुसार तवेरा एंबुलेंस का किराया प्रति किमी 11 रुपये तय किया गया है। इसमें आक्सीजन सिलिंडर होने पर प्रथम 100 किमी के लिए 500 रुपये अतिरिक्त देने होंगे। पीपीई किट प्रति फेरा 800 रुपये व सैनिटाइजेशन के लिए प्रति फेरा 300 रुपये मरीज को चुकाने होंगे। इसी तरह टाटा सूमो एंबुलेंस के लिए 14 रुपये प्रति किमी, बोलेरो एंबुलेंस के लिए 13 रुपये प्रति किमी की दर तय की गई है। आक्सीजन, पीपीई किट व सैनिटाइजेशन के शुल्क इसमें अतिरिक्त रहेंगे। आदेश में कहा गया है कि चूंकि कोविडकाल में मरीजों को ले जाते समय अधिक सावधानी की जरूरत है, ऐसे में वर्तमान अधिकृत दर में एंबुलेंस उपलब्ध नहीं हो पा रहीं हैं। हालांकि मनमानी वसूली भी बर्दाश्त योग्य नहीं है। इसलिए नई दरें सोमवार शाम से लागू मानी जाएंगी।
इनका ये है कहना
हमें लगातार शिकायत मिल रही थी कि निजी एंबुलेंस संचालक मरीजों से मनमाना किराया वसूल रहे हैं। सोमवार को हमने इन्हें बुलाकर समझाइश दी है। साथ ही जिला प्रशासन ने एंबुलेंस का किराया तय कर दिया है। इसके बाद भी यदि कोई शिकायत मिलती है तो एंबुलेंस संचालक पर कार्रवाई की जाएगी।
जितेंद्र कुमार शर्मा, जिला परिवहन अधिकारी नरसिंहपुर।