नरसिंहपुर। जिले के सरकारी अस्पतालों में क्षमता से अधिक भर्ती कोविड-19 के संदिग्ध मरीज मनमाने तरीके से आक्सीजन सिलिंडरों का दोहन कर रहे हैं। इसके चलते गंभीर प्रकृति के संक्रमित और अन्य मरीजों के लिए ये कृत्रिम सांस कम पड़ने लगी है। ये बात जिला अस्पताल में आक्सीजन खपत को लेकर रोजाना हो रहे आडिट में सामने आई है। हालांकि आक्सीजन की बढ़ती खपत में कुछ तकनीकी खामियां भी सामने आईं हैं, जिन्हें दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।
जिला अस्पताल की बात करें तो यहां आइसीयू के 12 बिस्तर और सेंट्रलाइज्ड आक्सीजन सिस्टम से जुड़े 145 बिस्तर हैं। इन वार्डों में गंभीर मरीजों को 24 घंटे आक्सीजन की आपूर्ति करना जरूरी है। इन वार्डों में क्षमता से अधिक मरीज पहले से ही भर्ती हैं। वहीं कोरोना संदिग्ध वार्ड में बिस्तर की संख्या कुल 26 है लेकिन यहां पर कुल 70 मरीज डेरा डाले हैं। यहां पर आक्सीजन के सिलिंडर भी उपलब्ध कराए गए हैं। जानकारी के अनुसार इस संदिग्ध वार्ड में बिना चिकित्सक से पूछे ही मरीज अपने मन से आक्सीजन मास्क पहनकर सिलिंडर से कृत्रिम सांस ले रहे हैं। यद्यपि इन मरीजों को वहां मौजूद स्टाफ रोजाना दर्जनों बार फटकार भी लगाता है लेकिन इनमें से अधिकांश अपनी मनमानी छोड़ने पर राजी नहीं होते। वहीं सेंट्रलाइज्ड आक्सीजन सिस्टम से जुड़े 145 बिस्तरों की बात करें तो यहां भी कई मरीज अपने मन से, रात के वक्त सिलिंडर से सप्लाई का फ्लो तेज कर आक्सीजन की खपत को बढ़ा देते हैं। इसके चलते जिला अस्पताल में रोजाना 45 लीटर वाले जंबो टाइप 350 आक्सीजन सिलिंडर की खपत होने लगी है।
सिविल अस्पताल गाडरवारा में भी यही हाल: सिर्फ जिला अस्पताल में ही नहीं बल्कि सिविल अस्पताल गाडरवारा के आक्सीजनयुक्त बिस्तरों का भी यही हाल है। अस्पताल के सीबीएमओ डॉ. राकेश बोहरे के अनुसार उनके यहां 50 बिस्तर वाले कोविड वार्ड में 70 मरीज भर्ती हैं। यहां के 30 बेडों पर मरीज अपने मन से आक्सीजन मास्क पहनकर सिलिंडर से कृत्रिम सांस लेने में पीछे नहीं है। कई बार उन्होंने इसके लिए टोंका जाता है, इसके नुकसान बताए जाते हैं फिर भी अधिकांश लोग नहीं मानते। इसके चलते सिविल अस्पताल में आक्सीजन सिलिंडर की खपत पिछले कुछ दिनों में काफी बढ़ गई है। यहां वर्तमान में रोजाना 45 से 60 आक्सीजन सिलिंडर की खपत हो रही है।
आडिट टीम का ये रहा निष्कर्ष: जिला अस्पताल में रोजाना 350 आक्सीजन सिलिंडर की खपत ने स्वास्थ्य संचालनालय से लेकर जिला प्रशासन के कान तक खड़े कर दिए थे। उच्चस्तर से आक्सीजन की खपत का आकलन करने के लिए आडिट कराने के निर्देश दिए गए। इसके फलस्वरूप चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। इसमें जिला अस्पताल के डॉ. पीसी आनंद, डॉ. देवेंद्र रिपुदमन सिंह, डॉ. धीरेंद्र यादव व श्री डेहरिया को शामिल किया गया है। ये चार सदस्यीय कमेटी पिछले तीन दिन से आक्सीजन खपत का आकलन कर रही है। इसमें ये निष्कर्ष सामने आया है कि संदिग्ध वार्ड में भर्ती मरीज अपने मन से आक्सीजन सिलिंडर का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके अलावा ये आशंका भी जताई गई है कि जो जंबो टाइप आक्सीजन सिलिंडर जिला अस्पताल को मिल रहे हैं उसमें आक्सीजन तय मात्रा से कम हो सकती है। इसके अलावा अहम कारण भी ये सामने आया है कि वार्डों में पाइपलाइप से जोड़े जाने वाले सिलिंडर से लीकेज की समस्या भी हो सकती है। इस आडिट रिपोर्ट के आधार पर जिला अस्पताल प्रबंधन तकनीकी खामियों को दूर की कवायद में जुटा हुआ है, वहीं मरीजों की मनमानी पर रोक लगाने की कोशिश भी की जा रही है।
संभागायुक्त जता चुके हैं नाराजगी: जिला अस्पताल में रोजाना 350 के करीब आक्सीजन सिलिंडर की खपत पर पिछले दिनों संभागायुक्त भी आश्चर्य के साथ नाराजगी जता चुके हैं। वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान उन्होंने खपत कम करने पर जोर दिया था। उनका कहना था कि मरीजों की संख्या के लिहाज से इतने ज्यादा आक्सीजन सिलिंडर की खपत का आंकड़ा बहुत अधिक है।
इनका ये है कहनाजिला अस्पताल में आक्सीजन की खपत को लेकर चार सदस्यीय टीम रोज आडिट कर रही है। खपत के कारणों का मूल्यांकन कर खामियों को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। नए अलार्मिंग सिस्टम की मांग शासन स्तर पर की गई है।डॉ. अनीता अग्रवाल, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल नरसिंहपुर।