नरसिंहपुर: चोरी-भ्रष्टाचार के मामले दबाने की जुगत, मामला राव चंद्रप्रताप के घर मिले लाखों के बिजली सामानों का 

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नरसिंहपुर। कोरोना संकटकाल भले ही आम आदमी, व्यापारियों के लिए मुसीबत भरा हो लेकिन सरकारी धन की चोरी-भ्रष्टाचार में डूबे लोगों के लिए ये स्वर्णिमकाल साबित हो रहा है। संकटकाल की आड़ में भ्रष्टाचार के मामलों को बिना जांच किए ही दबाने-पचाने की जोर-शोर से तैयारी चल रही है। इसका उदाहरण चार माह पहले बरमान में हुई अतिक्रमण की कार्रवाई थी। जिसमें अतिक्रमणकर्ता के घर से लाखों के बिजली के सामान और बेशकीमती वन संपदा भी बरामद की गई थी। इनकी जांच का जिम्मा संबंधित विभाग प्रमुखों को सौंपा गया था लेकिन हैरत की बात ये है कि चार माह बीत गए हैं लेकिन इस मामले में जिम्मेदार अधिकारी तय नहीं कर सके हैं कि ये सामान किसका था। और तो और अधिकारी इस मामले को ही भूल गए हैं।
क्या है मामला
12 जनवरी 2021 को कलेक्टर वेदप्रकाश की अगुवाई में बरमान में राव चंद्रप्रताप सिंह लोधी द्वारा सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर बनाया गया करीब 6 करोड़ कीमत का आलीशान भवन ढहाया गया था। कार्रवाई के दौरान इस भवन के अंदर से बिजली विभाग के वायर, खंबे समेत लाखों की कीमत के उपकरण बड़ी मात्रा में पाए गए थे। इसके अलावा बड़ी मात्रा में बेशकीमती लकड़ियां भी बरामद हुईं थीं। ये सामान किसके थे, इसका जवाब अतिक्रमणकर्ता राव चंद्रप्रताप सिंह लोधी नहीं दे सके थे, न ही उनके पास इन सामानों का कोई बिल ही था। इसे देखते हुए कलेक्टर वेदप्रकाश ने वन विभाग को एसडीओ को वन संपदा और डीई विद्युत मंडल नरसिंहपुर संभाग को जब्त सामानों की जांच-मूल्यांकन कर इसका प्रतिवेदन जल्द से जल्द जिला प्रशासन के समक्ष पेश करने कहा था। हैरत की बात ये है कि चार माह बीत गए लेकिन अधिकारियों ने न तो कलेक्टर का आदेश माना, न ही जब्त सामानों की मूल्यांकन रिपोर्ट ही पेश की। दोनों विभागों के सूत्र बताते हैं कि मामला रफा-दफा कर दिया गया है। दोषियों को बचाने की कोशिश की जा रही है। विदित हो कि बिजली सामानों की व्यापक पैमाने पर हुई जब्ती पर विभाग के ही एक इंजीनियर पर संदेह की सूई घूमी थी। ये इंजीनियर अतिक्रमणकर्ता  राव चंद्रप्रताप सिंह लोधी के रिश्तेदार बताये जा रहे हैं।
जब्त सामानों को भूलने लगे अधिकारी 
12 जनवरी को चंद्रभान सिंह लोधी के घर से मिले बिजली सामानों और वन संपदा के बारे में जब संबंधित विभाग प्रमुखों से खबरलाइव 24 ने बात की तो अमूमन अधिकारी मामले को भूलते नजर आए। हालांकि दिमाग पर जोर डालते ही उन्हें ये मामला भी याद आ गया, हालांकि वे इस बात को बताने में सक्षम नहीं रहे कि आखिर जांच का निष्कर्ष क्या रहा। अधिकारी अधीनस्थों से पूछकर जानकारी देने की बात कहते नजर आए।
इनका ये रहा कहना
हमने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की थी। कलेक्टर साहब ने जब्त बिजली के सामानों व कीमती लकड़ियों की जांच का जिम्मा बिजली विभाग व वन विभाग के अधिकारियों को सौंपा था। जांच रिपोर्ट इन अधिकारियों को सीधे कलेक्टर के समक्ष पेश की जानी थी। अब इसमें क्या हुआ, इसकी जानकारी मुझे नहीं है।
राधेश्याम बघेल, एसडीएम, नरसिंहपुर।
हां, जब्त बिजली सामानों के मामले में जांच के आदेश तो हुए थे। मैं पता करता हूं किसने जांच की है। मैं आपको थोड़ी देर बाद कॉल करके बताता हूं कि जांच की स्थिति क्या है। अभी तो हम 10 फीसद स्टाफ के साथ काम कर रहे हैं।
संजय सोलंकी, अधीक्षण यंत्री, विद्युत विभाग, नरसिंहपुर। 
चंद्रभान सिंह लोधी के यहां वन संपदा तो जब्त हुई थी, ये भी सही है कि तब वे इन सामानों के बिल पेश नहीं कर पाए थे। कलेक्टर ने इसकी जांच के आदेश भी किए थे। मैं पता करता हूं कि जांच में क्या निकला।
महेंद्र सिंह उइके, डीएफओ, नरसिंहपुर वन मंडल।  
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