आनंद श्रीवास्तव
नरसिंहपुर।कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहे नरसिंहपुर जिले में खतरनाक ब्लैक फंगस ने दस्तक दे दी है। अब तक जिले में छह मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। इसमें से दो मरीज अपनी एक आंख गवां चुके हैं, जबकि एक मरीज की दो दिन पहले ही रेफर के बाद बीच रास्ते में मौत हो चुकी है। इसी तरह एक महिला मरीज की हालत बेहद खराब बताई जा रही है, उसका एसपीओ2 लेवल तेजी से गिरता जा रहा है। फिलहाल जिला अस्पताल में ही भर्ती दो अन्य मरीजों का इलाज जारी है।
ब्लैक फंगस यानी म्यूकारमायकोसिस कोरोना संक्रमण की सबसे खतरनाक स्टेज मानी जा रही है। इस ब्लैक फंगस के चलते आंखों की रोशनी जाना सबसे डरावना परिणाम है। ये फंगस दिमाग-आंख की नसों में खून के बहाव को अवरुद्ध कर जानलेवा भी साबित हो रहा है। जिला अस्पताल से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक जो मरीज यहां पर भर्ती हुए हैं उनमें रजनी दुबे, प्रीतम रजक, राजेश गठलेवार व सालिगराम स्थापक में से सालिगराम की 10 मई को मौत हो चुकी है। ब्लैक फंगस के कारण इनकी हालत बिगड़ने पर इन्हें चिकित्सकों ने जबलपुर रेफर किया था लेकिन बीच रास्ते में गोटेगांव के पास ही इन्होंने दम तोड़ दिया। इनकी उम्र करीब 43 साल थी। वहीं इसी मर्ज से जूझ रहे राजेश गठलेवार को पिछले दिनों जबलपुर के आशीष हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जिनके ऑपरेशन के बाद उनकी एक आंख की रोशनी पूरी तरह से खत्म हो गई है। जिला अस्पताल में रजनी दुबे, प्रीतम रजक का इलाज जारी है। इसके अलावा करेली के संजय जैन को भी ब्लैक फंगस के कारण जबलपुर में भर्ती किए जाने की जानकारी मिली है। बताया जा रहा है कि इनकी भी एक आंख खराब हो चुकी है। करेली के ही आशीष नेमा भी ब्लैक फंगस के कारण जबलपुर में भर्ती हैं। इनकी हालत भी नाजुक बताई जा रही है।
25 से 45 साल वालों में नजर आया लक्षण: जिले में ब्लैक फंगस के जो मरीज सामने आए हैं, उनकी उम्र 25 से 45 साल के बीच रही है। उम्र का ये आंकड़ा इसलिए भी चौंकाने वाला है, क्योंकि अब तक माना जाता था कि युवास्था में इम्युनिटी पावर अच्छी होती है, जिससे कोरोना से बचाव करना संभव है। लेकिन, ब्लैक फंगस के नए ट्रेंड ने इन बातों को भी झुठला दिया है।
क्या है ब्लैक फंगस
– म्यूकरमाइकोसिस इंफेक्शन एक गंभीर बीमारी है जो शरीर में बहुत तेजी से फैलती है। जिसे आम बोलचाल की भाषा में ब्लैक फंगस कहा जाता है। ब्लैक फंगस मरीज के दिमाग, फेंफड़े या फिर स्किन पर भी अटैक कर सकता है। इस बीमारी में देश-प्रदेश में कई मरीजों के आंखों की रोशनी जा चुकी है।
– ब्लैक फंगस के कारण कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी के गलने की भी शिकायतें हैं। यदि समय रहते इसे कंट्रोल न किया गया तो इससे मरीज की मौत भी हो सकती है। जैसा कि सालिगराम स्थापक के मामले में हुआ है।
– ब्लैक फंगस एक आंतरिक फंगल संक्रमण है, जबकि त्वचा पर होने वाला फंगल इंफेक्शन मनीसैजरीज, गुच्छे, गांठ या स्किन के बीच दिखता है। इसमें स्किन पर खुजली होती है, लेकिन ट्रीटमेंट लेने से ठीक हो जाता है। जबकि ब्लैक फंगस की चपेट में आने से मरीज की मौत भी हो सकती है।
– ब्लैक फंगस की शिकायतें अक्सर कोविड रिकवरी के बाद आ रही हैं। इसके कई लक्षण हैं, जैसे दांत दर्द, दांत टूटना, जबड़ों में दर्द, दर्द के साथ धुंधला या दोहरा दिखाई देना, सीने में दर्द और सांस लेने में परेशानी होना आदि। इसके अलावा इसमें व्यक्ति की आंखें लाल होना और पलकों पर सूजन दिखने लगी है।
– ब्लैक फंगस मुख्य रूप से उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है जो पहले से ही तमाम तरह की स्वास्थ्य समस्याएं झेल रहे हैं और उनकी दवाएं ले रहे हैं। ऐसी स्थिति में मरीज का शरीर कीटाणुओं और बीमारी से लड़ने की क्षमता खो देता है और फंगल इनफेक्शन ऐसे लोगों पर अपना प्रभाव डालना शुरू कर देता है।
चिकित्सक की ये है सलाह
जिला अस्पताल के चिकित्सकों के अनुसार कुछ सावधानियां रखकर व्यक्ति ब्लैक फंगस से बच सकता है। इसके लिए मधुमेह यानी डायबिटीज से ग्रस्त और कोरोना से ठीक हुए लोग रक्त शर्करा (ब्लड ग्लूकोज) पर नजर रखें। स्टेरॉयड के इस्तेमाल में समय और डोज का नियमित रूप से ध्यान रखें या बंद कर दें। आक्सीजन थैरेपी के दौरान स्टेराइज्ड पानी का उपयोग करें। इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग दवाओं का इस्तेमाल करना बंद कर दें।
ब्लैक फंगस यानी म्यूकारमायकोसिस कोरोना संक्रमण की सबसे खतरनाक स्टेज मानी जा रही है। इस ब्लैक फंगस के चलते आंखों की रोशनी जाना सबसे डरावना परिणाम है। ये फंगस दिमाग-आंख की नसों में खून के बहाव को अवरुद्ध कर जानलेवा भी साबित हो रहा है। जिला अस्पताल से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक जो मरीज यहां पर भर्ती हुए हैं उनमें रजनी दुबे, प्रीतम रजक, राजेश गठलेवार व सालिगराम स्थापक में से सालिगराम की 10 मई को मौत हो चुकी है। ब्लैक फंगस के कारण इनकी हालत बिगड़ने पर इन्हें चिकित्सकों ने जबलपुर रेफर किया था लेकिन बीच रास्ते में गोटेगांव के पास ही इन्होंने दम तोड़ दिया। इनकी उम्र करीब 43 साल थी। वहीं इसी मर्ज से जूझ रहे राजेश गठलेवार को पिछले दिनों जबलपुर के आशीष हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जिनके ऑपरेशन के बाद उनकी एक आंख की रोशनी पूरी तरह से खत्म हो गई है। जिला अस्पताल में रजनी दुबे, प्रीतम रजक का इलाज जारी है। इसके अलावा करेली के संजय जैन को भी ब्लैक फंगस के कारण जबलपुर में भर्ती किए जाने की जानकारी मिली है। बताया जा रहा है कि इनकी भी एक आंख खराब हो चुकी है। करेली के ही आशीष नेमा भी ब्लैक फंगस के कारण जबलपुर में भर्ती हैं। इनकी हालत भी नाजुक बताई जा रही है।
25 से 45 साल वालों में नजर आया लक्षण: जिले में ब्लैक फंगस के जो मरीज सामने आए हैं, उनकी उम्र 25 से 45 साल के बीच रही है। उम्र का ये आंकड़ा इसलिए भी चौंकाने वाला है, क्योंकि अब तक माना जाता था कि युवास्था में इम्युनिटी पावर अच्छी होती है, जिससे कोरोना से बचाव करना संभव है। लेकिन, ब्लैक फंगस के नए ट्रेंड ने इन बातों को भी झुठला दिया है।
क्या है ब्लैक फंगस
– म्यूकरमाइकोसिस इंफेक्शन एक गंभीर बीमारी है जो शरीर में बहुत तेजी से फैलती है। जिसे आम बोलचाल की भाषा में ब्लैक फंगस कहा जाता है। ब्लैक फंगस मरीज के दिमाग, फेंफड़े या फिर स्किन पर भी अटैक कर सकता है। इस बीमारी में देश-प्रदेश में कई मरीजों के आंखों की रोशनी जा चुकी है।
– ब्लैक फंगस के कारण कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी के गलने की भी शिकायतें हैं। यदि समय रहते इसे कंट्रोल न किया गया तो इससे मरीज की मौत भी हो सकती है। जैसा कि सालिगराम स्थापक के मामले में हुआ है।
– ब्लैक फंगस एक आंतरिक फंगल संक्रमण है, जबकि त्वचा पर होने वाला फंगल इंफेक्शन मनीसैजरीज, गुच्छे, गांठ या स्किन के बीच दिखता है। इसमें स्किन पर खुजली होती है, लेकिन ट्रीटमेंट लेने से ठीक हो जाता है। जबकि ब्लैक फंगस की चपेट में आने से मरीज की मौत भी हो सकती है।
– ब्लैक फंगस की शिकायतें अक्सर कोविड रिकवरी के बाद आ रही हैं। इसके कई लक्षण हैं, जैसे दांत दर्द, दांत टूटना, जबड़ों में दर्द, दर्द के साथ धुंधला या दोहरा दिखाई देना, सीने में दर्द और सांस लेने में परेशानी होना आदि। इसके अलावा इसमें व्यक्ति की आंखें लाल होना और पलकों पर सूजन दिखने लगी है।
– ब्लैक फंगस मुख्य रूप से उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है जो पहले से ही तमाम तरह की स्वास्थ्य समस्याएं झेल रहे हैं और उनकी दवाएं ले रहे हैं। ऐसी स्थिति में मरीज का शरीर कीटाणुओं और बीमारी से लड़ने की क्षमता खो देता है और फंगल इनफेक्शन ऐसे लोगों पर अपना प्रभाव डालना शुरू कर देता है।
चिकित्सक की ये है सलाह
जिला अस्पताल के चिकित्सकों के अनुसार कुछ सावधानियां रखकर व्यक्ति ब्लैक फंगस से बच सकता है। इसके लिए मधुमेह यानी डायबिटीज से ग्रस्त और कोरोना से ठीक हुए लोग रक्त शर्करा (ब्लड ग्लूकोज) पर नजर रखें। स्टेरॉयड के इस्तेमाल में समय और डोज का नियमित रूप से ध्यान रखें या बंद कर दें। आक्सीजन थैरेपी के दौरान स्टेराइज्ड पानी का उपयोग करें। इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग दवाओं का इस्तेमाल करना बंद कर दें।