नरसिंहपुर: जिले में एसआइटी की दबिश, सिटी हॉस्पिटल में जान गंवाने वालों के पहुंची घर, जब्त इंजेक्शन की शीशी

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नरसिंहपुर। सिटी अस्पताल जबलपुर में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगने से कितने लोगों की मौत हुई है, इसकी पड़ताल के लिए गठित एसआइटी की नजर नरसिंहपुर जिले पर है। इसके चलते बीती 12-13 मई को एसआइटी के पांच सदस्यीय दल ने नरसिंहपुर व गाडरवारा में गुपचुप डेरा डाले रखा। इस दौरान टीम उन लोगों के घरों तक पहुंची जिनका कोई सदस्य सिटी अस्पताल में इलाज के दौरान मृत हुआ है। टीम ने 20 अप्रेल से लेकर 1 मई तक की अवधि में यहां भर्ती मरीजों के बयान भी दर्ज किए।
नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के मामले में सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीत मोखा, समेत उनकी दवा दुकान का संचालक देवेश चौरसिया पर रासुका व अन्य धाराओं के तहत जबलपुर में गिरफ्तार हो चुके हैं। हालांकि प्रदेश सरकार के निर्देश पर गठित एसआइटी अब पीड़ितों का लेखा-जोखा खंगालने में लगी है। इस सिलसिले में एसआइटी में शामिल भेड़ाघाट थाना प्रभारी शफीक खान की अगुवाई में करीब पांच पुलिसकर्मियों की टीम ने नरसिंहपुर और गाडरवारा तहसील क्षेत्र में जाकर सिटी हॉस्पिटल में दम तोड़ने वाले मरीजों के परिजनों से मुलाकात की, उनके बयान दर्ज किए गए। जानकारी के अनुसार गाडरवारा के घाटपिपरिया गांव निवासी नरवर सिंह की मृत्यु के संबंध में उनके पुत्र रंजीत के अपने बयान दर्ज किए हैं। इसी तरह घाट बड़ोदिया गांव के मृतक महेश ममार के स्वजन ने भी सिटी हॉस्पिटल में भर्ती अवधि से लेकर दवाओं व इंजेक्शन, खर्चे आदि की जानकारी एसआइटी को उपलब्ध कराई है। गाडरवारा की ही मृतक श्रीमती अभिलाषा ममार के संबंध में उनके पति ने बयान दर्ज कराए। उन्होंने रेमडेसिविर के अलावा अन्य महंगे इंजेक्शनों आदि की जानकारी भी दी।
12 इंजेक्शन की खाली शीशियां जब्त
दो दिवसीय प्रवास पर रहे एसआइटी सदस्यों ने जिले में मृत मरीजों के स्वजनों से मुलाकात के अलावा सिटी हॉस्पिटल में लगाए गए रेमडेसिविर इंजेक्शन के बारे में भी पड़ताल की। जिला मुख्यालय में गुरुवार को टीम ने दो मरीजों के परिजनों से एक दर्जन की संख्या में रेमडेसिविर इंजेक्शन की खाली शीशियां और रेपर जब्त किए हैं। इन्हें उपलब्ध कराने वालों से भी इंजेक्शन की कीमत से लेकर इलाज संबंधी अन्य जानकारियां टीम के सदस्यों ने हासिल की। देर रात टीम के सदस्य जबलपुर की ओर रवाना हो गए।
नरसिंहपुर जिले के हो सकते हैं सर्वाधिक पीड़ित 
सिटी हॉस्पिटल में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मरीजों को लगाए जाने के मामले में ये बात सामने आ रही है कि सर्वाधिक पीड़ित नरसिंहपुर जिले के हो सकते हैं। बताया जा रहा है कि 20 अप्रेल से लेकर 1 मई तक की अवधि में जिले से बड़ी संख्या में कोविड के मरीज जबलपुर स्थित इस अस्पताल में भर्ती हुए थे। इस अवधि में मृतकों की संख्या भी अधिक रही है। इसके चलते एसआइटी जिले के मरीजों से लगातार शिकायत भी मांग रही है। अस्पताल में दर्ज मरीजों के नाम-पते के आधार पर उनसे संपर्क भी किया जा रहा है। एसआइटी के सदस्यों के अनुसार जांच लंबी खिंच सकती है। बहुत से मरीजों की डिटेल मिलना अभी बाकी है।
क्राइम ब्रांच से भी आ रहे फोन
सिटी हॉस्पिटल जबलपुर में नकली रैमडेसिविर से जान गंवाने वाले मरीजों की जांच एक तरफ एसआइटी की टीम कर रही है तो वहीं जो लोग इस अस्पताल में 20 अप्रेल से 1 मई तक की अवधि में यहां भर्ती रहे हैं, उनके पास अब क्राइम ब्रांच जबलपुर से भी फोन आ रहे हैं। फोन करने वाले अधिकारी मरीजों से अस्पताल में इलाज संबंधी बातों की जानकारी भी ले रहे हैं। शुक्रवार को 6-7 लोगों के पास इस तरह के फोन पहुंचे हैं। इनमें जिले के भाजपा नेता कुंवर विक्रांत पटेल भी शामिल रहे।
इनका ये है कहना
12-13 मई को दो दिन की पड़ताल के दौरान हमने तीन मृतकों के परिजनों के बयान दर्ज किए हैं। इसके अलावा नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन जिन्हें लगे हैं, उनके कथन लिए गए हैं। गाडरवारा-नरसिंहपुर के बहुत से मरीज चिंहित अवधि के दौरान सिटी अस्पताल में भर्ती रहे हैं। अभी जांच जारी है, जैसे-जैसे जिले के मृतकों की जानकारी, शिकायत हमारे पास आ रही है, हमारी टीम उनके बयान लेने पहुंच रही है। नकली रेमडेसिविर के इंजेक्शन किन्हें लगे हैं, उसकी भी जानकारी जुटाई जा रही है।
शफीक खान, सदस्य एसआइटी और भेड़ाघाट थाना प्रभारी  
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