नरसिंहपुर। भाजपा के नरसिंहपुर से विधायक जालम सिंह पटेल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर उन्हें भी नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाए जाने की सूचना दी है। उन्होंने आरोप लगाया है कि जबलपुर के जिस हॉस्पिटल में वे भर्ती थे, वहां उन्हें 12 रेमडेसिविर के इंजेक्शन लगाए गए थे, इसमें से 6 नकली थे।
मुख्यमंत्री के नाम 15 मई को भेजे पत्र में विधायक जालम सिंह पटेल ने बताया कि दमोह उपचुनाव ड्यूटी के दौरान वे भी कोरोना की चपेट में आ गए थे। इसके बाद वे जबलपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती हुए थे। यहां सीआरपी व सीटी स्केल में 4 से 6 फीसद लंग्स इंफेक्शन बताया गया था। उनका आरोप है कि बीती 17 से 22 अप्रेल तक उन्हें 6 नकली रेमडेसिविर लगाए थे। क्योंकि इन इंजेक्शनों के बाद भी वे खांसी, बुखार से पीड़ित रहे, आक्सीजन लेवल भी उनका घटता रहा। इसके चलते 25 अप्रेल को उन्हें पुन: दोबारा उसी अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। यहां हुई सीपीआर व सीटी स्केल रिपोर्ट में लंग्स इंफेक्शन 14 से 16 फीसद बढ़ा हुआ बताया गया। इसके बाद उन्हें पुन: 6 रेमडेसिविर के इंजेक्शन लगाए गए। इस तरह उन्हें कुल 12 इंजेक्शन लगे, जो कि डिमांड पर स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल को उपलब्ध कराए थे। इनमें से पहली बार में लगे इंजेक्शन नकली थे। अपने पत्र में उन्होंने लिखा कि जबलपुर में आसपास के 15 जिलों के लोग इलाज के लिए आते हैं। इन जिलों में भी नकली इंजेक्शन की सप्लाई की गई है। इसके चलते अनेक कोरोना मरीजों की मौत हो चुकी है। मौत के इस गोरखधंधे में अनेक राजनीतिक व्यक्ति, सिटी हॉस्पिटल जबलपुर का प्रबंधन व शासकीय अधिकारी शामिल हैं। श्री पटेल ने लिखा है कि नकली इंजेक्शन के वे खुद भुक्तभोगी हैं, उनके परिवार के दिनेश पटेल की 42 साल की उम्र में कोरोना से मौत भी हो चुकी है। पत्र मंे विधायक ने आग्रह किया है कि जबलपुर संभाग में एकमुश्त हजारों की संख्या में रेमडेसिविर के इंजेक्शन किस-किस मद से, किन कंपनियों, व्यक्तियों, मेडिकल स्टोर्स, अस्पताल प्रबंधन या सीएमएचओ द्वारा उपलब्ध कराए गए हैं, किन जिलों में इनकी सप्लाई की गई है, इसकी जांच कराई जानी चाहिए। पत्र में विधायक ने सिटी अस्पताल को राजसात करते हुए उसे शासकीय कोविड सेंटर में तब्दील करने की मांग की है। श्री पटेल का कहना है कि सिटी हॉस्पिटल प्रबंधन व दोषियों से प्रति 5-5 लाख रुपये की राशि वसूलकर बतौर मुआवजा पीड़ित परिवारों को दिया जाए।