नरसिंहपुर: आशा कार्यकर्ता बोलीं-कुछ नहीं कर रही प्रदेश सरकार, मांगा आंध्र प्रदेश की तरह मांगा 10 हजार का वेतनमान

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नरसिंहपुर। संयुक्त कलेक्टर को मांगों का ज्ञापन सौंपती आशा कार्यकर्ताएं व सहयोगी।

नरसिंहपुर। जिले की आशा कार्यकर्ताओं व आशा सहयोगियों के संगठन ने सोमवार को प्रदेश शासन के नाम एक ज्ञापन संयुक्त कलेक्टर राजेश शाह को सौंपा है। इसमें उन्होंने आंध्र प्रदेश की तरह 10 हजार मासिक वेतन समेत अन्य सुविधाएं प्रदान करने की मांग की है।
राष्ट्रव्यापी हड़ताल के अंतर्गत अखिल भारतीय आशा वर्कर्स कॉर्डिनेशन कमेटी के आह्वान पर सोमवार को जिले की आशा कार्यकर्ताओं व सहयोगियों ने भी प्रदर्शन किया। उन्होंने प्रदेश शासन के नाम सौंपे अपने ज्ञापन में कहा कि देश में आशाओं के माध्यम से मातृ एवं शिशु मृत्यु को रोकने के लिए देशभर में चलाए अभियान के साथ आम जनता को स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ने का महत्वपूर्ण काम आशा एवं सहयोगियों ने किया। कोविड- 19 महामारी के संक्रमण से पूरी दुनिया सहमी हुई थी, तब संक्रमण को रोकने के लिए सरकार के अभियान को आशा एवं सहयोगियों ने अपनी एवं अपने परिवार की जान को जोखिम में डाल कर काम किया। संक्रमण के दूसारा एवं खतरनाक लहर में जब लगातार मौतें हो रही है तब भी घर घर जाकर कोविड का लक्षण वाले लोगों का पता लगाकर उनकी प्राथमिक जांच, दवाएं देने के साथ अस्पताल पहुंचाने का काम भी उन्होंने किया। बावजूद इसके पिछले 15 वर्षों से स्वास्थ्य विभाग के लिये काम कर रही आशा एवं सहयोगियों के लिए सरकार कुछ भी नहीं कर रही है। आज लगभग 15 वर्ष का अनुभव एवं कई दौर के प्रशिक्षण के बाद भी प्रदेश में आशाओं को केवल 2000 रुपये वेतन दे रही है, उसमें राज्य सरकार का कोई हिस्सा नहीं। अन्य राज्य सरकारें आशाओं को अपनी ओर से अतिरिक्त वेतन देकर काफी कुछ राहत दे रहीं हैं। आंध्र प्रदेश सरकार 10,000 रुपये का वेतन दे रही है लेकिन मप्र सरकार कुछ भी नहीं दे रही है। सरकार की ये संवेदनहीनता बेहद अन्यायपूर्ण है। दूसरी ओर फील्ड में काम कर रही आशा एवं सहयोगियों द्वारा बार-बार मांगे जाने, एनएचएम की ओर से पत्र लिखे जाने के बाद भी मास्क, सैनिटाइजर, ग्लब्स आदि सुरक्षा उपकरण नहीं दिए जा रहे हैं। जो प्रोत्साहन राशि निर्धारित है वह भी तीन से चार माह के विलंब से दिए जाने की शिकायत है। प्रदेश में कोविड के खिलाफ अभियान में अब तक 6 कोरोना योद्धा आशाओं की मृत्यु हो चुकी है लेकिन उनके परिवार को निर्धारित 50 लाख रुपये की बीमा राशि अभी तक नसीब नहीं हो सकी।

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