नरसिंहपुर। जमीन-जायदाद की रजिस्ट्री कराने वाला पंजीयन विभाग मालामाल हो चुका है। इसके कारण पिछले डेढ़ माह में कोरोना कर्फ्यू के बावजूद उसकी आर्थिक सेहत पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा है। वहीं आम आदमी की बात करें तो विभाग की ओर से कहा जा रहा है कि जो लोग 30 जून तक किसी जायदाद की रजिस्ट्री कराते हैं तो उन्हें बढ़ी हुई कीमत नहीं देनी पड़ेगी। पिछले साल की गाइडलाइन के अनुसार ही उनको स्टाम्प व अन्य पंजीयन शुल्क अदा करना होगा।
पिछले साल से शुरू कोरोनाकाल ने अमूमन हर व्यापार-धंधे की आय में भारी गिरावट ला दी है लेकिन शासन का पंजीयन विभाग इससे अछूता रहा है। आपको यकीन नहीं होगा कि बीती 31 मार्च को वित्तीय वर्ष 2020-21 के समापन पर पंजीयन विभाग ने करीब 66 करोड़ रुपये की आय प्राप्तकर पिछले कई कई सालों के रिकॉर्ड तोड़ दिए। इस वित्तीय वर्ष में विभाग की आय में लक्ष्य की तुलना में 122 फीसद का इजाफा हुआ। अब जबकि 1 जून से अनलाक की शुरुआत हो गई है, ऐसे में अधिकारियों को उम्मीद है कि पंजीयन से आय लक्ष्य के अनुरूप होने लगेगी।
वर्ष 2020-21 में जमीन-भवन आदि की खरीद-फरोख्त में हुए इजाफे ने पंजीयन विभाग को मालामाल कर दिया है। इससे उत्साहित विभाग के अधिकारी उम्मीद लगा रहे हैं कि नए वित्तीय वर्ष 2021-22 में भी यही ट्रेंड बरकरार रहेगा। हालांकि बीते अप्रेल से 31 मई तक लगे कोरोना कर्फ्यू के कारण पंजीयन विभाग में रजिस्ट्री आदि कराने के लिए बहुत ही कम लोग पहुंचे हैं। बावजूद इसके, अधिकारियों को लग रहा है कि पुरानी गाइडलाइन के अनुसार रजिस्ट्री कराने की सुविधा जून माह में अधिक राजस्व देने वाली होगी। बता दें कि पंजीयन विभाग ने पुरानी गाइडलाइन के अनुसार 30 जून तक रजिस्ट्री कराने की छूट जारी की है।
शहर व आसपास के गांवों से आए रजिस्ट्री कराने: नए वित्तीय वर्ष में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर बीते अप्रेल 2021 से कोरोना कर्फ्यू जिले में लगा दिया गया था। इसके चलते जमीन-जायदाद, भवन आदि की रजिस्ट्रियों का काम बंद पड़ गया था। हालांकि बीते मई मध्य से कोविड गाइडलाइन के अनुसार रजिस्ट्रियां कराने की शासन स्तर से अनुमति जारी की गई थी लेकिन संक्रमण के डर से अधिकांश लोग पंजीयन कार्यालय नहीं आए। जो थोड़े बहुत लोग जिला पंजीयन कार्यालय पहुंचे वे अमूमन नरसिंहपुर शहर या आसपास से लगे गांवों के लोग थे, हालांकि इनकी संख्या भी बेहद कम रही। कोरोना कर्फ्यू के करीब डेढ़ माह तक ठप रहे पंजीयन के काम के बावजूद विभाग की आर्थिक स्थिति पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है। इसकी वजह 31 मार्च को खत्म हुए पुराने वित्तीय वर्ष में रिकॉर्ड तोड़ कमाई थी। विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2020-21 में रजिस्ट्री, वसीयत, स्टाम्प बिक्री आदि से 65 करोड़ 84 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। जबकि लक्ष्य 54 करोड़ का तय था। इस तरह कोरोना की पहली लहर के बावजूद लक्ष्य के मुकाबले पंजीयन विभाग को करीब 122 फीसद अधिक राजस्व प्राप्त हुआ। वित्तीय वर्ष 2019-20 से तुलना करें तो ये राशि 33.96 फीसद अधिक है। दस्तावेजों के पंजीयन के मामले में भी पिछला वित्तीय वर्ष उत्साहजनक रहा है। इस अवधि में करीब 22 हजार दस्तावेजों का पंजीयन किया गया, ये संख्या वर्ष 2019-20 की तुलना में करीब दोगुनी है।
30 जून के बाद रजिस्ट्री के लिए देना होगा अधिक शुल्क
कोरोना कर्फ्यू के दौरान जिला व प्रदेशभर में अधिकांश लोग नामांतरण, बैनामा, रजिस्ट्री आदि के काम पंजीयन विभाग में नहीं करा सके थे। इस स्थिति को देखते हुए प्रदेश सरकार ने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए 30 जून तक के लिए वर्ष 2020-21 की पुरानी गाइडलाइन को लागू रखा है। इसके तहत 30 जून की अवधि तक पुरानी गाइडलाइन के अनुसार ही जमीन-जायदाद आदि की रजिस्ट्री कराने वाले से स्टाम्प, पंजीयन शुल्क लिया जाएगा। आगामी 1 जुलाई से पुनरीक्षित गाइडलाइन प्रभावी हो जाएगी। नई गाइडलाइन में रजिस्ट्री, स्टाम्प शुल्क आदि के लिए खरीदार को अधिक शुल्क देना होगा। विदित हो कि जिले में कई जगहों पर नई गाइडलाइन के अनुसार संपत्तियों में वृद्धि के प्रस्ताव पास किए जा चुके हैं। जिससे इन संपत्तियों की कीमतें काफी बढ़ गईं हैं। हालांकि शासन ने कोरोना संकट को देखते हुए पहले 30 मई फिर 30 जून तक के लिए नई गाइडलाइन को प्रभावी करने का आदेश जारी किया है।
इनका ये है कहनाजिले में कोरोना संकट के कारण इस साल डेढ़ माह तक रजिस्ट्री का काम पिछड़ा रहा है। हालांकि अब अनलाक के दौरान उम्मीद है कि इस काम में तेजी आएगी। हालांकि उत्साहजनक बात ये रही है कि पिछले वित्तीय वर्ष में विभाग को रिकॉर्डतोड़ आय प्राप्त हुई है। वर्ष 2020-21 की अवधि में लक्ष्य से 122 फीसद अधिक राजस्व प्राप्त हुआ है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में 30 जून की अवधि तक जो लोग रजिस्ट्री कराएंगे उन्हें पुरानी गाइडलाइन के अनुसार ही शुल्क देना होगा।उमेश शुक्ला, जिला पंजीयक, नरसिंहपुर