नरसिंहपुर में 6 घंटे रही सीबीआई की टीम, खंगाला एफसीआइ के रिश्वतखोर बाबू से कनेक्शन, हाथ लगे ये सुराग

0

नरसिंहपुर। रिश्वतखोरी के चलते भोपाल में सीबीआई द्वारा रिश्वतखोरी में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) भोपाल का रिश्वतखोर क्लर्क किशोर मीणा हत्थे चढ़ा है। इसके पास से जब्त डायरी में मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र के जिन 13 ट्रांसपोर्टरों के नाम-नंबर मिले हैं, उनमें से एक का संबंध नरसिंहपुर जिला मुख्यालय से भी है। इसे देखते हुए बीते मंगलवार को सीबीआई की विशेष टीमों ने एक साथ मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र के 13 ठिकानों पर दबिश दी। इसी दिन सुबह 10 बजे एक सीबीआई के उप निरीक्षक के नेतृत्व में करीब चार सदस्यीय दल जिला मुख्यालय के स्टेशनगंज क्षेत्र स्थित ट्रांसपोर्टर अमर गुड्स के कार्यालय भी पहुंचा। यहां टीम ने करीब छह घंटे तक ट्रांसपोर्टर से पूछताछ की। परिवहन से संबंधित बिल, दस्तावेज, लाइसेंस आदि की पड़ताल की। हालांकि रिश्वतखोर बाबू से कनेक्शन की बात सामने नहीं आ सकी। न ही उन्हें किसी तरह की गफलत के सबूत ही हाथ लग सके हैं।
जानकारी के अनुसार मंगलवार सुबह 10 बजे भोपाल से सीबीआइ के सब इंस्पेक्टर व अन्य स्टेशनगंज क्षेत्र स्थित एफसीआई के अधिकृत ट्रांसपोर्टर के दफ्तर में पहुंचे। यहां उन्होंने ट्रांसपोर्टर से भारतीय खाद्य निगम के अंतर्गत अनाज के परिवहन ठेका, भुगतान आदि से संबंधित दस्तावेजों को खंगाला। दरअसल, ये कार्रवाई निगम के क्लर्क किशोर मीणा की डायरी में उल्लेखित मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र के 13 ट्रांसपोर्टरों के नाम-नंबर के आधार पर की थी। मीणा पर रिश्वत लेने व आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज है। उसे सीबीआई ने 10 जून तक रिमांड पर ले रखा है। सीबीआइ इस बात का पता लगा रही है कि आखिर मीणा की डायरी में जिन ट्रांसपोर्टरों के नाम-नंबर मिले हैं, उनका रिश्वतखोर क्लर्क से क्या कनेक्श्ान है। किस कारण डायरी में इनके नाम लिखे गए थे। सीबीआई के सूत्रों के अनुसार सीबीआइ इस बात का भी पता लगा रही है कि कहीं परिवहन के खेल में कोई बड़ी गड़बड़ी को अंजाम तो नहीं दिया गया है। विदित हो कि सीबीआइ की पूछताछ में ये बात सामने आ रही है कि मीणा ने 2 दिसंबर 2016 29 मई 2021 तक 2 करोड़ 93 लाख रुपये का निवेश मप्र व महाराष्ट्र के 13 स्थानों में किया है। इनमें से एक स्थान नरसिंहपुर भी था। हालांकि शाम 4 बजे तक नरसिंहपुर में रुकी रही सीबीआइ की टीम को ट्रांसपोर्टर के पास से कोई भी आपत्तिजनक या संदिग्ध दस्तावेज प्राप्त नहीं हुए। न ही किसी तरह का रिकार्ड भी टीम के सदस्य अपने साथ लेकर गए।
इन बिंदुओं की हो रही जांच
सूत्रों के अनुसार सीबीआई की टीम ने जिन 13 स्थानों पर दबिश दी है, ये वे हैं जहां किशोर मीणा द्वारा निर्माण, परिवहन, सूदखोरी के रूप में निवेश किया है। सीबीआई इसी बात का पता लगा रही है कि आखिर कहां-कहां मीणा का निवेश हुआ है। उसे ये भी शक है कि मीणा की डायरी में जिनके नाम-नंबर मिले हैं कहीं ये भी परोक्ष रूप से मीणा के निवेश में सहभागी तो नहीं हैं। बहरहाल सीबीआई की टीम भले ही नरसिंहपुर से रवाना हो गई है लेकिन जांच अभी भी जारी है।

इनका ये है कहना
भोपाल में एफसीआइ का बाबू रिश्वतखोरी में पकड़ा गया है। उसकी डायरी में 13 ट्रांसपोर्टरों के नाम-नंबर लिखे थे। इसी कारण सीबीआइ की टीम हमारे यहां भी आई थी। करीब 6 घंटे की जांच में जब स्पष्ट हो गया है कि आरोपित बाबू का हमसे कोई कनेक्शन नहीं है, तो टीम के सदस्य यहां से चले गए।
नरेंद्र राजपूत, ट्रांसपोर्टर, एफसीआई, नरसिंहपुर।

रिश्वतखोरी के प्रकरण में क्लर्क की गिरफ्तारी के बाद जबलपुर-नरसिंहपुर में भोपाल की सीबीआई टीम ने दबिश दी थी। यहां उन्होंने एफसीआई से जुड़े ट्रांसपोर्टरों से पूछताछ भी की है। चूंकि ये मामला सीधे तौर पर भोपाल से जुड़ा है, इसलिए इसकी अधिक जानकारी आपको वहीं से मिलेगी। फिर भी मैं ये जरूर कहना चाहूंगा कि यदि नरसिंहपुर में यदि कोई केंद्रीय कर्मचारी रिश्वतखोरी कर रहा है, या मांग रहा है तो वह हमें सूचित करे ताकि हम कार्रवाई कर सकें।
एसके पांडे, एसपी, सीबीआई, जबलपुर।

Leave A Reply

Your email address will not be published.

error: Content is protected !!
Open chat