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नरसिंहपुर। पिछले दो सालों से कोविड के मरीजों का बिना किसी नागा, अवकाश संबंधी व्यवधान के मनोभाव से सेवा करने वाली बालाघाट की बेटी और नरसिंहपुर के जिला अस्पताल में पदस्थ स्टाफ नर्स रीता ठाकरे 36 वर्ष की रविवार को मौत हो गई। रीता पिछले कई दिनों से बीमार थीं, उनका जबलपुर के अस्पताल में इलाज चल रहा था। कुछ समय पूर्व वे कोरोना संक्रमित भी हुईं थीं, जिसके बाद से वे जिला अस्पताल में ड्यूटी नहीं दे पा रहीं थीं। उनकी मौत की वजह फेंफड़े में संक्रमण बताया जा रहा है। रीता के साथ ही उसके पेट में पल रहे शिशु ने भी दम तोड़ दिया। मूलत: बालाघाट निवासी रीता जिला अस्पताल में करीब 10 वर्षों से सेवाएं दे रही थीं। सेवाभावी कर्मचारी रीता की असमय मौत से जिला अस्पताल के सभी कर्मचारियों ने शोक जताया है और हर कोई उसकी कार्यशैली को याद कर रहा है।
जिला अस्पताल की सिविल सर्जन डॉ. अनिता अग्रवाल ने बताया कि जिले में कोविडकाल के शुरुआती दौर से ही रीता कोविड मरीजों के इलाज के लिए सेवाएं दे रही थी। वह गर्भवती थी जिसके कारण उसे कोविड का टीका नहीं लग सका था। करीब एक माह से वह संक्रमण की चपेट में थी जिसका इलाज जिला अस्पताल में चलने के बाद उसे दो दिन पहले ही मेडीकल कॉलेज में भर्ती किया गया। सिविल सर्जन ने बताया कि स्टाफ नर्स रीता को फेंफड़ों में संक्रमण बढ़ गया था और उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था लेकिन रविवार को उसकी मृत्यु हो गई। उसे करीब साढ़े 8 माह का गर्भ था और उसके साथ गर्भ में पल रहे शिशु की भ्ाी मौत हो गई। रविवार को मृत स्टाफ नर्स रीता का अंतिम संस्कार कोविड गाइड लाइन के अनुसार झिरना स्थित मुक्तिधाम में किया गया। स्टाफ नर्स रीता की असमय मौत से स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों में शोक व्याप्त है और सिविल सर्जन सहित अनेक कर्मचारी कह रहे है कि रीता हर समय मरीजों के इलाज और उनकी सेवा के लिए समर्पित होकर कार्य करती थी। करीब 10 वर्षों के सेवाकाल दौरान रीता के सेवाभाव का हर मरीज व उनका परिजन मुरीद था।