नरसिंहपुर : एक मकान तोड़ते ही मिला हाईकोर्ट का स्टे, बैरंग लौटा राजस्व का अमला
नरसिंहपुर। जिला मुख्यालय के सांकल रोड स्थित मुशरान वार्ड में एक निजी भूमि के सामने बने मकानों को तोड़ने पहुंचे राजस्व अमले के तब पसीने छूट गए जब एक मकान को तोड़ते ही उनके हाथ में हाईकोर्ट का स्टे आ गया। आनन-फानन में अधिकारियों ने कार्रवाई को रुकवाया और दल-बल के साथ वापस बैरंग लौटना पड़ा।
मामला ये है कि मुशरान वार्ड के अंतर्गत सांकल रोड पर कतिपय मकान निजी भूमि के सामने स्थित हैं। इसे लेकर कोर्ट में मामला लंबित है। एसडीएम राधेश्याम बघेल का कहना था कि इस मामले में उन्हें हाईकोर्ट का आदेश प्राप्त था कि संबंधित याचिकाकर्ता की भूमि के सामने स्थित मकानों को हटाया जाए। इसके चलते मंगलवार को यहां पर चिंहित मकानों को हटाने की कार्रवाई के लिए कोतवाली पुलिस को इतला दी गई थी। इसके साथ ही नरसिंहपुर तहसील कार्यालय के आरआई, पटवारी और नगरपालिका के अमले को मौके पर पहुंचने के निर्देश दिए गए।
दोपहर करीब 1 बजे अधिकारियों को छोड़कर समूचा संयुक्त अमला सांकल रोड पहुंच गया। करीब दो बजे नरसिंहपुर तहसीलदार नितिन राय ने यहां आकर सुप्रीम कोर्ट से स्टे प्राप्त करने वाले लोगों की पड़ताल की। इनकी तस्दीक करने के बाद शेष छह परिवारों, जिनके पास किसी तरह का स्टे नहीं था, उन्हें तत्काल आवास खाली करने की बात कही। हालांकि इस दौरान संबंधित लोगों ने आक्रोश भी जताया लेकिन तहसीलदार का कहना था कि उन्हें एक साल से अधिक का समय पहले ही दिया जा चुका था, इसलिए अब नए सिरे से समय देना मुनासिब नहीं है। इसके बाद संबंधित 6 घरों के लोगों ने अपना-अपना सामान बाहर निकालना शुरू कर दिया। करीब तीन बजे यहां पहुंचे एसडीएम राधेश्याम बघेल ने स्थिति का जायजा लेने के बाद सीधे-सीधे नगरपालिका की जेसीबी मशीन से मकानों को तोड़ने के निर्देश दिए। जिसका कुछ विरोध जरूर हुआ लेकिन अंत्वोगत्वा जेसीबी ने एक कच्चे मकान को ढहा दिया। इस कार्रवाई के बाद जब दूसरे मकान को तोड़ने की बात आई तो प्रभावित परिवार के लोगों ने 9 मार्च को हाईकोर्ट में हुई सुनवाई और वहां से मिले स्टे की ऑनलाइन डाउनलोड कॉपी एसडीएम के हाथ थमा दी। करीब आधा घंटे के कसमकश के बाद आखिरकार अधिकारियों ने यथास्थिति कायम रखते हुए कार्रवाई को रोक दिया। समूचा अमले को मौके से रवाना होने के निर्देश दिए गए।
इस सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट ने करीब 8 मकानों को तोड़ने से रोकने स्थगन आदेश जारी किया था। जबकि छह अन्य लोगों के पास कोई स्थगन आदेश नहीं था। निजी जमीन मालिक की ओर से इस सिलसिले में हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी। जहां से प्राप्त आदेशों के परिपालन में शेष छह लोगों के मकानों को तोड़ने के लिए नोटिस जारी किए गए थे। इनकी डोर टू डोर पहचान करने के बाद राजस्व अमले ने इन्हें तोड़ने की कवायद शुरू की थी जो कि पुन: नए सिरे से आए हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के बाद रोक दी गई। इन छह परिवारों की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए बताया था कि इस खसरे की जमीन पर पहले ही 8 लोगों को सुप्रीम कोर्ट ने स्थगन आदेश दे रखा है। अतएव उन्हें भी राहत दी जानी चाहिए। इस आशय का आदेश मिलते ही राजस्व अमले ने अपनी कार्रवाई रोक दी।
कर्मचारी करते रहे अफसरों का इंतजार
सांकल रोड पर कथित अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के लिए एसडीएम कार्यालय की ओर नगरपालिका के अमले को ठीक 12 बजे मौका स्थल पर पहुंचने के निर्देश दिए थे। नपाकर्मी तय समय पर पहुंच भी गए, पुलिस भी आ गई लेकिन एसडीएम व अन्य राजस्व अमला नहीं पहुंचा। करीब दो-ढाई घंटे के बाद जब अफसर आए तो कार्रवाई शुरू हुई। समूची प्रक्रिया में शाम हो गई, इस दौरान कई नपाकर्मी अफसरों को कोसते नजर आए। उनका कहना था कि पूरी कार्रवाई के दौरान उन्हें किसी ने एक गिलास पानी तक का नहीं पूछा। उन्होंने ये भी कहा कि अधिकारी छोटे कर्मचारियों को समय पर तो बुला लेते हैं लेकिन वे खुद समय पर नहंी आते।
इनका ये है कहना
हाईकोर्ट के निर्देश पर ही हम चिंहित मकानों को हटाने गए थे लेकिन दोपहर बाद उनका भी हाईकोर्ट से स्टे आ गया। दरअसल, चिंहित मकानों के मालिकों ने हाईकोर्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले से जारी अन्य लोगों के स्टे का हवाला दिया था। इसलिए हमें कार्रवाई रोकनी पड़ी।
राधेश्याम बघेल, एसडीएम, नरसिंहपुर।