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नरसिंहपुर: क्रमोन्न्ति का आदेश निरस्त होने पर शिक्षक बोले- वादे के बाद भी सरकार ने किया विश्वासघात

नरसिंहपुर। राज्य शिक्षक संघ मप्र के प्रांतीय आह्वान पर शनिवार को अध्यापक संवर्ग से राज्य शिक्षा सेवा संवर्ग में नियुक्त शिक्षकों ने क्रमोन्न्ति आदेश के निरस्तीकरण पर जमकर विरोध-प्रदर्शन किया। उनका कहना था कि आदेश निरस्त कर सरकार ने उनके साथ विश्वासघात किया है। ये विरोध प्रदर्शन जिलेभर की सभी तहसीलों व विकासखंड मुख्यालयों में किए गए।
गाडरवारा में शनिवार को मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार मीनाक्षी जायसवाल को राज्य शिक्षक संघ के सदस्यों ने मांगपूर्ति के लिए ज्ञापन सौंपा। वहीं नवागत एसडीएम राजेंद्र पटेल ने भी शिक्षकों की समस्याएं सुनीं। शिक्षकों ने ज्ञापन में कहा कि सरकार द्वारा शिक्षक समाज के साथ विश्वासघात किया गया है। विभागीय अधिकारियों की मनमानी के चलते शिखकों का क्रमोन्न्ति आदेश आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा निरस्त किया गया है। जिससे प्रदेशभर के शिक्षकों में आक्रोश है। ज्ञापन में इस बात का जिक्र किया गया है कि राज्य स्कूल शिक्षा सेवा में नियुक्त होने की प्रक्रिया के दौरान प्रदेश के अध्यापक संवर्ग को अपनी पूर्व की सेवा अवधि के मान्य होने की शंका थी। इसी कारण गत दिनों प्रांताध्यक्ष जगदीश यादव के नेतृत्व में आपसे (मुख्यमंत्री) व्यक्तिगत वार्ता व आपके निर्देश पर अधिकारियों के साथ पुन: बातचीत की गई थी। इसमें आश्वस्त किया गया था कि पदोन्न्ति, क्रमोन्न्ति और वरिष्ठता संधारण में पूर्व की सेवा अवधि का पूर्ण लाभ मिलेगा। इस संबंध में लोक शिक्षण संचालनालय ने विशेष सूचना भी प्रकाशित कराई थी। इसमें कहा गया था कि पूर्व की 10 वर्ष की सेवा को पदोन्न्ति व क्रमोन्न्ति की गणना में लिया जाएगा। इसके बाद अनेक जिलों ने पहले 12 वर्ष की सेवा पूर्ण करने वाले शिक्षकों की प्रथम क्रमोन्न्ति आदेश जारी कर दिए फिर आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय का नाम लेकर निरस्तीकरण भी शुरू कर दिया गया। जब संघ ने इस पर अपनी आपत्ति जताई तो उनके द्वारा कहा गया था कि किसी जिले को क्रमोन्न्ति के लिए रोका नहीं गया है। हालांकि 8 मार्च को संचालनालय ने संपूर्ण मप्र के लिए जारी क्रमोन्न्ति-पदोन्न्ति के आदेशों को स्थगित कर दिया गया, जो कि पूर्व में हुई व्यक्तिगत वार्ता के विपरीत कृत्य है। ज्ञापन में कहा गया है कि उच्च कार्यालय स्तर से दिए जा रहे निर्देशों से एक बार पुन: जिस दोयम दर्जे का व्यवहार शिक्षाकर्मियों, संविदा शिक्षकों व अध्यापक संवर्ग के लिए दुखद व निराशाजनक है। शिक्षकों ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि उक्त मामले में तत्काल कार्रवाई करते हुए क्रमोन्न्ति में पूर्व की समस्त सेवा अवधि की गणना संबंधी पत्र जारी कराने की कृपा करें ताकि अध्यापक संवर्ग के प्रति व्याप्त दोयम दर्जे के व्यवहार की विभागीय कार्यप्रणाली पर विराम लग सके।
व्यापान देते समय राज्य शिक्षक संघ के प्रदेश कोषाध्यक्ष नगेंद्र त्रिपाठी, जिला उपाध्यक्ष मलखान मेहरा, महेश वैष्णव, रामावतार पटेल, दौलत पटेल, लक्ष्मीकांत कौरव, चंदन शर्मा, चंद्रकांत विश्वकर्मा, राजेश कौरव, राघवेंद्र गुप्ता, योगेंद्र झारिया, नेपाल सिंह झारिया, देवीसिंह कीर, महेंद्र वर्मा, परेश नागवंशी, बालकिशन ठाकुर, केके दुबे, संजय अवस्थी, नरेश मेहरा, डीसी ठाकुर, ज्योत्सना दुबे, शकुंतला माझी, योगेंद्र सिलावट, वीरेंद्र वर्मा, राजकुमार गुप्ता, राकेश शर्मा, राघवेंद्र चौधरी, राजेश नौरिया, खुमान सिंह विश्वकर्मा, कौशल वर्मा, लक्ष्मीनारायण वर्मा आदि प्रमुख रूप से मौजूद थे।