नरसिंहपुर: महिला बाल विकास ने महिलाओं से बोला किसान सम्मेलन में भीड़ बढ़ाओ, न मानने पर काट लिया मानदेय
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का शोषण करने में नरसिंहपुर अव्वल
नरसिंहपुर। महिला बाल विकास विभाग के अंतर्गत कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं का काम सिर्फ बच्चों के स्वास्थ्य व शिक्षा के लिए काम करना नहीं है बल्कि उनकी जिम्मेदारी यदा-कदा होने वाले सरकारी सम्मेलनों में भीड़ बनने की भी है। ये बात सुनने में जितनी हास्याप्रद है उतनी ही सही भी, क्योंकि इस तरह का विचित्र प्रयोग हाल ही में जनपद पंचायत चावरपाठा के अंतर्गत किया गया है। जहां किसान सम्मेलन में भीड़ बढ़ाने नहीं पहुंची आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं को मिलने वाला एक दिन का मानदेय काट दिया गया।
ये अजीबोगरीब वाक्ये का खुलासा मंगलवार को जिला मुख्यालय पहुंचीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं के शिकायती पत्र से हुआ। मप्र बुलंद आवाज नारी शक्ति आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायक संगठन की सदस्यों ने जनसुनवाई में आवेदन देकर बताया कि पिछले माह 25 दिसंबर को जनपद पंचायत चावरपाठा के अंतर्गत किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इसमें परियोजना अधिकारी ने सभी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं को ड्यूटी ड्रेस के बजाय सामान्य कपड़ों में आने कहा था ताकि उन्हें किसान के रूप में दर्शाया जा सके। संगठन की पदाधिकारियों के अनुसार चूंकि 25 दिसंबर को सार्वजनिक अवकाश घोषित था, इसलिए वे किसान सम्मेलन में नहीं पहुंची। अगले दिन पर्यवेक्षक ने सबको फटकार लगाई, कार्रवाई करने की परोक्ष धमकी तक दी। कार्यकर्ताओं-सहायिकाओं के अनुसार इस माह जब उन्हें मानदेय मिला तो इनमें उनका एक दिन का पारिश्रमिक कम था। इस बारे में जब पर्यवेक्षक और प्रभारी परियोजना अधिकारी से बात की गई तो उनका कहना था कि 25 दिसंबर को किसान सम्मेलन में नहीं पहुंचने के कारण उनकी अनुपस्थिति लगाई गई है, इस कारण ही उनका एक दिन का मानदेय काटा गया है। इससे आक्रोशित होकर संगठन की सभी सदस्यों और पदाधिकारियों ने जिला मुख्यालय पहुंचकर कलेक्टर वेदप्रकाश के समक्ष गुहार लगाई।
दूसरे दिन कई को मिली धमकी: मंगलवार की जनसुनवाई मंे शिकायत करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं में से कई को परियोजना अधिकारी के कोप का भाजन होना पड़ा। ये बात भी सामने आ रही है कि कुछ को तो अधिकारी ने जिला मुख्यालय सीधे शिकायत करने पर देख लेने तक की धमकी दी है। हालांकि जब इस संबंध में परियोजना अधिकारी आदित्य पटेल से बात की गई तो वे इन बातों को नकारते नजर आए। हालांकि उन्होंने ये जरूर स्वीकार किया कि कार्यकर्ताओं को यदि कोई शिकायत थी तो उन्हें कलेक्टर के पास जाने से पहले उन्हें अवगत कराना था।
पर्यवेक्षक पर थोपी जिम्मेदारी: किसान सम्मेलन में भीड़ बढ़ाने सादे कपड़ों में नहीं पहुंचीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं-सहायिकाओं के एक दिन का मानदेय काटने के मामले में खुद को घिरा पाने पर करेली-चावरपाठा के परियोजना अधिकारी आदित्य पटेल पूरा ठीकरा पर्यवेक्षक पर फोड़ते नजर आए। उनका कहना था कि मानदेय पत्रक बनाने का काम पर्यवेक्षक का होता है, जिसमें यदि किसी का मानदेय काटा जाता है तो पर्यवेक्षक रिमार्क डालते हैं। उसके बाद ये पत्रक उनके पास आता है, जिस पर उनके हस्ताक्षर होने के बाद मानदेय राशि जारी होती है।
छुट्टी के दिन अनुपस्थिति के प्रश्न का नहीं दे सके जवाब: परियोजना अधिकारी आदित्य पटेल से जब पूछा गया कि यदि पर्यवेक्षक ने करीब एक सैकड़ा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं-सहायिकाओं के 25 दिसंबर जैसे अवकाश के दिन अनुपस्थिति लगाई थी तो उन्होंने कैसे पत्रक पर हस्ताक्षर कर दिए, इसका वे जवाब नहीं दे पाए। वे एक ही रट लगाए रहे कि मामले की जांच करेंगे।
अब अफसर जता रहे अनभिज्ञता: आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं-सहायिकाओं के मानदेय काटे जाने का मामला उजागर होते ही संबंधित अधिकारी भी अब बगलें झांकने लगे हैं। जिला महिला बाल विकास अधिकारी राधेश्याम वर्मा जहां मामले की जांच की बात कह रहे हैं तो वहीं परियोजना अधिकारी आदित्य पटेल मामले से खुद को अनभिज्ञ बताकर शिकायतकर्ताओं के नाम पूछते नजर आ रहे हैं। दोनों अफसरों से पूछे जाने पर कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं-सहायिकाओं की किसान आदि सम्मेलन में भीड़ के रूप में ड्यूटी लगाई जा सकती है, इस पर वे कोई जवाब नहीं दे सके।
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ज्ञापन में संगठन की प्रमुख मांगें: जिला प्रशासन को सौंपे गए ज्ञापन में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं-सहायिकाओं ने मानेदय काटे जाने के विरोध के साथ कुछ अन्य मांगें भी रखीं हैं। इसमें प्रमुख रूप से चावरपाठा जनपद के अंतर्गत् परियोजना अधिकारी के रिक्त पड़े पद को जल्द भरने की मांग प्रमुख है। वर्तमान में इस पद का प्रभार करेली के परियोजना अधिकारी आदित्य पटेल देख रहे हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि पद के रिक्त होने से उनका शोषण हो रहा है। प्रभारी परियोजना अधिकारी मनमानी कर रहे हैं। इसके अलावा उनकी मांग है कि किसान सम्मेलन में भीड़ का हिस्सा न बनने के कारण उनका जो मानदेय काटा गया है, उसे तत्काल वापस कराया जाए। शासन द्वारा स्वीकृत मोबाइल की राशि 10 हजार रुपये जल्द उनके खाते में हस्तांतरित की जाए। इंटरनेट बैलेंस के लिए हर माह 200 रुपये के मान से अक्टूबर 2020 से लेकर अब तक की राशि अप्राप्त है, जिसे जल्द प्रदान की जाए। संगठन की ये भी मांग रही कि सुपरवाइजर का स्थानांतरण कम से कम 5 वर्ष के कार्यकाल होने पर ही किया जाए ताकि कार्यकर्ताओं का शोषण रोका जा सके। पांचवीं और अंतिम मांग ये रही कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को सेवानिवृत्त होने पर क्रमश: 1 लाख व 75 हजार रुपये दिए जाएं। उनका कहना था कि इसकी घोषणा मुख्यमंत्री ने वर्ष 2017 में की थी, जिसका क्रियान्वयन आज तक नहीं हुआ है। इस आदेश को तत्काल लागू किया जाए। ज्ञापन सौंपते वक्त संगठन की जिलाध्यक्ष शकुन राजपूत, सहसचिव सोनू दुबे, कोषाध्यक्ष उर्मिला फौजदार समेत आधा सैकड़ा सदस्य मौजूद रहीं।
इनका ये है कहना
किसान सम्मेलन में कार्यकर्ताओं-सहायिकाओं के न जाने के कारण मानदेय काटा गया है या फिर कोई और कारण है, इस बारे में मैं पता करता हूं। इस संबंध में मुझे भी शिकायत मिली है। किसान सम्मेलन में कार्यकर्ताओं की ड्यूटी को लेकर जांच कराता हूं।
राधेश्याम बघेल, जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग
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पर्यवेक्षक ने सभी की पत्रक पर अनुपस्थिति दर्शाई थी, जिसके बाद मैंने हस्ताक्षर कर दिए। आप मुझे बताइए कौन-कौन लोग शिकायत करने पहुंचे थे, मेरी जानकारी में तो ऐसा कोई मामला ही नहीं है। कार्यकर्ताओं को मेरे पास पहले आना था, वे कलेक्टर के पास क्यों चलीं गईं। मामले की जांच के बाद बताउंगा मानदेय क्यों काटा गया।
आदित्य पटेल, प्रभारी परियोजना अधिकारी, जनपद चावरपाठा