नाज़िरा खान श्योपुर जिले के हीरागाँव की ऑगनवाडी कार्यकर्ता है। स्नातक, बी.एस.डब्ल्यू और पी.जी.डी.सी.ए.तक शिक्षित नाज़िरा ने कोरोना काल में ड्यूटी पूरी करने के लिए परिवार का विरोध झेला। लॉकडाउन की घोषणा के समय नाज़िरा स्वंय डेंगू का इलाज करा रही थी, लेकिन कोरोना संक्रमण के दौरान कई प्रवासी परिवारों को सरकार की गाईडलाइन के अनुसार क्वारेंटीन करवाकर उचित इलाज और सहायता पहुँचाई।
नाज़िरा बताती है कि करीब पाँच हजार की आबादी वाले उनके गाँव में एक हजार से ज्यादा लोग रोजी-रोटी की तलाश में गाँव से दूर काम करते थे। लॉकडाउन की घोषणा होते ही प्रवास पर गए सभी लोग गाँव वापस आने लगे। उन्होंने बताया कि महानगरों से गाँव लौट रहे ग्रामीणों से संक्रमण का खतरा ज्यादा था। वे जानती थी कि यदि बाहर से लौटे लोगों को क्वारेंटीन नहीं किया और उनकी समुचित चिकित्सीय जाँच नहीं कराई तो कोरोना संक्रमण पूरे गाँव में फैल सकता है। नाज़िरा ने ग्राम प्रधान और सरपंच की मदद से भाग-दौड़ कर बाहर से आये सभी लोगों को क्वारेंटीन कराना शुरू कर दिया। उनका बाहर जाना, लोगों से मिलना ससुराल के बुजुर्गों को नागवारा लगा। उन्हें नौकरी से त्यागपत्र तक देने पर जोर दिया गया। नाज़िरा के पति ने उनका साथ दिया और परिवार के लोगों को समझाया संकट की इस घड़ी में गाँव के लोगों की मदद करने की इजाजत नाज़िरा को दिलाई।
लोगों को सुरक्षित रखने के फैसले और नाज़िरा की समझदारी से आज पूरा गाँव कोरोना से मुक्त है। नाज़िरा आज न केवल लोगों को कोरोना सुरक्षा के उपाय बता रही है बल्कि ऑगनवाड़ी से जुड़े सभी परिवारों को पोषण आहार टी.एच.आर और अन्य सेवाएँ सुचारू रूप से दे रही है।