डीआरडीओ के सहयोग से यहां लगाए जा रहे आक्सीजन प्लांट का काम लगभग पूरा हो चुका है। इसकी शुरुआत चंद दिनों में हो जाएगी, इसके बाद इस प्लांट से प्रति मिनट एक हजार लीटर प्राणवायु यानी आक्सीजन प्राप्त होगी। हालांकि बूस्टर की उपलब्धता न होने के कारण इसकी अन्य केंद्रों पर सप्लाई नहीं हो सकेगी। अन्य केंद्रों को गंगई आदि जगहों के जरिए आपूर्ति के लिए आश्रित रहना होगा।
जिला अस्पताल परिसर में आक्सीजन प्लांट का निर्माण कार्य जोरशोर से चल रहा है और यह कार्य लगभग पूर्णता की ओर है। जिससे अधिकारी भी भरोसा जता रहे है कि चंद दिनो में प्लांट का कार्य पूरा होने के बाद आगे की कार्रवाई हो सकेगी। प्लांट के लिए आए कंप्रेशर, हवा से आक्सीजन बनाने फिल्टर एवं आक्सीजन को स्टोर करने वाले बाक्स फिट किए जा रहे है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्लांट के जरिए जिला अस्पताल के मरीजों को अब कभ्ाी आक्सीजन की कमी से परेशान नहीं होना पड़ेगा। लेकिन यह बात सही है कि बूस्टर पंप न होने से यहां से अन्य केंद्रों के लिए आक्सीजन की पूर्ति होना मुश्किल होगी। जिस तरह अभी दूसरे केंद्रों के लिए आक्सीजन की आपूर्ति हो रही है उसी प्रक्रिया से आगे भी चलेगी। यदि बूस्टर पंप यहां लगता है तो जिला अस्पताल के प्लांट से ही दूसरे केंद्रों के लिए सिलिंडर भरने में आसानी होगी। प्लांट की जो क्षमता है उसके अनुसार यहां की आवश्यकता से कहीं अधिक आक्सीजन यहां उपलब्ध रहेगी। यदि बूस्टर पंप भी यहां लग जाएगा तो प्लांट का लाभ दूसरे केंद्रों को भ्ाी बेहतर ढंग से मिलने लगेगा और उन केंद्रों के लिए आक्सीजन को बाहर से बुलाने क जरुरत नहीं पड़ेगी।