नरसिंहपुर। केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार कोरोना संक्रमित हॉटस्पॉट क्षेत्रों से आने वाले लोगों को सरकारी कोरन्टाइन में रहना ही होगा। लेकिन ये नियम रसूखदारों पर नरसिंहपुर में लागू नहीं होता है। इसका उदहारण शुभ-मंगल मैरिज गार्डन के मालिक परमजीत खनूजा हैं। जो देश के सबसे संक्रमित हॉटस्पॉट पूना महाराष्ट्र से बच्चों संग 20 अप्रैल को इ पास के जरिये नरसिंहपुर लौटे हैं। डॉक्टर्स ने इन्हें सरकारी कोरन्टाइन में जाने का आदेश दिया था, लेकिन इन्होने इसे नहीं माना, और अपने आलिशान गार्डन-बंगले में सुख-सुविधाएँ घाने चले गए। गुरूवार 23 अप्रैल को जब मामले का खुलासा हुआ तो जिला प्रशासन ने परमजीत को लाने उनके घर पुलिसकर्मियों को भेजा, लेकिन आने के बजाये रसूखदार ने उलटे पुलिसकर्मियों को ही भगा दिया।
गौरतलब है कि गुरुद्वारा क्षेत्र में रहने वाले परमजीत खनूजा ई पास के जरिए चारपाहिया वाहन से पूना में पढ़ने वाली बेटी को लेने गए थे। उनके साथ उनका बेटा भी गया था। बीती 20 अप्रैल को वे वापस शहर लौटे। यहां आने पर वे जिला अस्पताल मेडिकल पहुंचे। चिकित्सकों ने मेडिकल जांच के बाद इन्हें सरकारी कोरंटाइन में रहने के लिए कहा, लेकिन इन्होंने इंकार कर दिया। इसके बाद ये सूचना एसडीएम व अन्य अधिकारियों को दी गई, पर परमजीत नहीं माने, वे अपने घर पर ही रहने पर अडिग रहे। इसके बाद उन्हें सरकारी कोरंटाइन में करने के लिए पुलिस भी लेने पहुंची, उन्हें समझाया, जनस्वास्थ्य का हवाला भी दिया, पर ये सब भी व्यर्थ गया। परमजीत ने रोंसरा बाइपास स्थित आलीशान मैरिज गार्डन में खुद को कोरंटाइन करने की जिद पकड़ ली। थक-हारकर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने बिना कोई सख्ती दिखाए, इनके गार्डन के बाहर ही डू नॉट विजिट का बोर्ड लगा दिया।
वहां करेली में युवकों पर दर्ज हो गया केस
सरकारी कोरन्टाइन से भागे दो युवकों को पकड़कर 22 अप्रैल को करेली पुलिस ने पकड़कर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया। साथ ही पुनः सरकारी कोरन्टाइन में भेजा, जबकि दोनों युवा अपने घर में कोरन्टाइन की जिद कर रहे थे। ऐसे से सवाल ये है की दोनों ही मामले एक जैसे हैं तो फिर परमजीत को सुख-सुविधाएँ और युवाओं को दंड किस नियम के तहत दिया गया।
दोहरा मापदंड: अधिकारी को नोटिस, रसूखदार को राहत
कुछ दिन पहले केंद्रीय जेल अधीक्षक को भोपाल से आ रहे विभागीय महिला के रिश्तेदारों को जिले में प्रवेश दिलाने संबंधी एसडीएम गाडरवारा को किए गए लेख के कारण कारण बताओ नोटिस तक जारी किया गया था। जेल अधीक्षक शैफाली तिवारी ने जिन लोगों को प्रवेश कराया था, उन्हें नियम का हवाला देकर सरकारी कोरंटाइन में भेजा जा चुका है। ऐसे में सरकारी कोरंटाइन का यही नियम परमजीत खनूजा व उनके बेटा-बेटी पर भी लागू होना था, लेकिन यहां रसूखदार को उनकी मनपसंद जगह पर आराम फरमाने की इजाजत दे दी गई। इस दोहरे मापदंड के लिए जिम्मेदार कौन है, इसका जवाब मिलना शेष है।
हमने परमजीत खनूजा और उनके बेटा-बेटी दोनों का मेडिकल परीक्षण करने के बाद इन्हें सरकारी कोरंटाइन में जाने की बात कही थी, जो इन्होंने नहीं मानी। हमने इस संबंध में एसडीएम साहब को भी सूचित कर दिया था। नियम के अनुसार हॉटस्पॉट वाली जगहों से आने वालों को सरकारी कोरंटाइन में रहना अनिवार्य है। ये नियम सबके लिए है।
डॉ. अनिता अग्रवाल, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल
यदि कोई हॉटस्पॉट वाली जगह से आया है तो उसे सरकारी कोरंटाइन में ही भेजा जाना चाहिए। इस मामले की मैं जानकारी लेता हूं। ऐसे प्रकरणों में होम या गार्डन कोरंटाइन का सवाल ही नहीं उठता।
मनोज ठाकुर, अपर कलेक्टर, नरसिंहपुर