असाधारण सुरक्षा उपायों के बीच संसद के बहु-प्रतीक्षित मानसून सत्र की शुरुआत

नए/पुनर्निर्वाचित सदस्यों ने शपथ/प्रतिज्ञा ली

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कोविड-19 महामारी के चलते असाधारण सुरक्षा उपायों के साथ सोमवार को संसद का बहु-प्रतीक्षित मानसून सत्र शुरू हो गया। इस मौके पर राज्य सभा के सभापति  एम. वेंकैया नायडू ने सभी सदस्यों से अर्थपूर्ण चर्चा करने और आम सहमति से कानून बनाकर सदन के समय का अधिकतम उपयोग करने की अपील की।

भारतीय संसद के इतिहास में पहली बार लोक सभा और राज्य सभा के दोनों कक्षों को किसी एक सदन की बैठक के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि सदस्यों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग की शर्तों का पालन किया जा सके। राज्य सभा में अभी न केवल इसके अपने चैंबर और गैलरी शामिल हैं, बल्कि लोक सभा के भी चैंबर शामिल हैं।

अपने उद्घाटन भाषण में श्री नायडू ने सदन के सामने कामकाज के प्रभावी एजेंडा का उल्लेख किया और सभी सदस्यों से सदन की कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाने में सहयोग करने की अपील की। उन्होंने सदस्यों को याद दिलाया कि उनसे लोगों को महामारी के प्रबंधन, अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और सामान्य सामाजिक जीवन को दोबारा बहाल करने के बारे में मार्गदर्शन करने को लेकर बहुत सारी उम्मीदें हैं।

संक्षिप्त सत्र के दौरान केवल 18 बैठकों के कार्यक्रम का उल्लेख करते हुए श्री नायडू ने इस बात पर जोर दिया कि महत्वपूर्ण विधानों और कोविड-19 महामारी समेत राष्ट्र की चिंता से जुड़े मुद्दों पर सार्थक चर्चा सुनिश्चित करने पर सबसे ज्यादा ध्यान होना चाहिए।

175 दिन के बाद सदस्यों से मुलाकात पर प्रसन्नता जताते हुए उन्होंने कहा कि लगभग 100 साल पहले आए स्पेनिश फ्लू के बाद आई यह कोविड-19 महामारी मानवजाति को चोट पहुंचाने वाली सबसे बड़ी आपदा है। उन्होंने कहा कि आबादी के लिहाज से भारत के दूसरा सबसे बड़ा देश होने के बावजूद, चाहे संक्रमण का विस्तार हो या मृत्यु दर का अनुपात, दोनों ही लिहाज से महामारी से होने वाला नुकसान न्यूनतम रहा है।

 

 

बीते महीने सभापति के रूप में अपने कार्यकाल का तीसरा साल पूरा करने वाले श्री नायडू ने कहा कि उन्होंने सचिवालय को सदन के गठन के बाद से इसके कामकाज के विभिन्न पक्षों पर विस्तृत शोध करने का निर्देश दिया था।

1978 के बाद से उपलब्ध आंकड़ों के साथ उन्होंने कहा कि बीते 25 वर्षों में सदन की उत्पादकता में तेजी से गिरावट आई है। हालांकि, यहां उम्मीद की किरण भी है। पिछले तीन सत्रों में सदन की संपूर्ण उत्पादकता 94.60 प्रतिशत रही, जो बीते पांच वर्षों में तीन लगातार सर्वेश्रेष्ठ सत्र हैं। सभापति ने आगे कहा, “मुझे पूरी उम्मीद है कि यह ‘नई परिस्थिति’ (न्यू नॉर्मल) बनी रहेगी।”

सभापति का आकलन है कि 2019-20 के दौरान (सितंबर, 2019- मार्च, 2020) राज्य सभा की विभागों से जुड़ी आठ स्थायी समितियों की उपस्थिति पहली बार 50 प्रतिशत -कामकाज का समय (क्लॉकिंग) 50.73 प्रतिशत से ज्यादा रहा है। यह 2017-18 के दौरान 44.87 प्रतिशत थी।

असाधारण वक्त में असाधारण उपायों की जरूरत बताते हुए उन्होंने उम्मीद जताई कि सहनशीलता, अनुशासन और दृढ़ संकल्प के साथ परीक्षा लेने वाला यह समय भी बीत जाएगा।

राज्य सभा ने दोपहर तीन बजे 15 नए/पुनर्निर्वाचित सदस्यों को शपथ/प्रतिज्ञा दिलाने के साथ अपने पहले दिन का कामकाज शुरू किया।

कुछ सदस्यों ने चरणबद्ध तरीके से रि-ओपनिंग (अनलॉक-4) के लिए 29 अगस्त, 2020 के लिए गृह मंत्रालय (एमएचए) से जारी दिशानिर्देश का हवाला देते हुए पूरे सत्र के लिए अवकाश मांगा था। सदन की सहमति से ऐसे सभी सदस्यों के अवकाश को मंजूर कर लिया गया।

हिंदी दिवस के मौके पर सभापति ने कहा कि सभी भारतीय भाषाएं समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश हिंदी के साथ-साथ सभी भाषाओं को सीखने और उन्हें प्रोत्साहित करने की होनी चाहिए।

सदन ने अपना उपसभापति चुन लिया। श्री हरिवंश राज्य सभा के 14वें उपसभापति निर्वाचित हुए। सभापति ने नवनिर्वाचित उपसभापति को बधाई और शुभकामनाएं दीं।

 

 

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