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लॉकडाउन के कारण 167 साल में पहली बार अपने जन्मदिन पर पटरियों पर नहीं दौड़ीं यात्री ट्रेनें

आशीष कुमार/ नरसिंहपुर।

भारतीय रेल अपने नेटवर्क के मामले में दुनिया में तीसरे नंबर पर है। ये वो नाम है जो वास्तविक रूप से अनेकता में एकता और अखंड भारत का प्रमाण देता है। जातिवादी-धर्मवादी समाज में भारतीय रेल ही इकलौती ऐसी सेवा है, जिसमें सफर करने वाले लोग सीट के लिए जाति-धर्म की बेड़ियों तक को भूल जाते हैं। वहीं भारतीय आन, बान और शान का प्रतीक भारतीय यात्री रेल सेवा के लिए 16 अप्रैल 2020 का दिन मायूस करने वाला रहा। दरअसल ये दिन भारतीय यात्री रेल का जन्मदिन माना जाता है, लेकिन इस दिन पूरे देश में पटरियां सूनी रहीं, कोई भी यात्री ट्रेन लॉकडाउन के कारण नहीं चलीं।

16 अप्रैल 1853 में चली थी पहली पैसेंजर ट्रेन

भारतीय यात्री रेल सेवा की शुरुआत 16 अप्रैल 1853 में हुई थी। इस दिन पहली बार लोहे की पटरियों पर बोरीबन्दर मुंबई से थाणे के बीच पैसेंजर ट्रेन ने 34 किलोमीटर का सफर तय किया था। ये वो क्षण था जिसने आधुनिक भारत के निर्माण की आधारशिला रखी थी। तब से लेकर 26 मार्च 2020 तक ये रेल सेवा अनवरत रही। इसके पहियों को न तो दोनों विश्व युद्ध रोक पाए थे, न ही 1896 की प्लेग महामारी और 1934 की विश्व मंदी ने इसके दौड़ने पर ब्रेक लगाया था। लेकिन कोरोना संकट ने सारे मिथ्य और ऐतिहासिकता को खंडित कर दिया।

देश में रोज 64 हजार किमी का तय करती हैं सफर

साहिब, सिंध, सुलतान थे पहले इंजनों के नाम

जल्द यात्री ट्रेनें दौड़ने की कामना

167 साल के इतिहास में ये पहला मौका है जब पूरे देश में कहीं पर भी यात्री ट्रेनें नहीं चलीं। इससे समूचा रेलवे परिवार आहत है। हम उम्मीद करते हैं कि जल्द से जल्द कोरोना का संक्रमण समाप्त होगा और दुनिया में भारतीय गौरव का प्रतीक यात्री ट्रेनें फिर से दौड़ेंगी।भारतीय रेल गौरव का प्रतीक है। मैं इसका सदस्य हूँ, ये मेरे लिए सम्मान की बात है।
सुनील जाट, स्टेशन अधीक्षक, नरसिंहपुर

 

16 अप्रैल को यात्री ट्रेनों का जन्मदिन रहता है। रेल कर्मचारियों की इस दिन को लेकर उत्सुकता के साथ भावनाएं भी जुडी हैं। हम गर्व से कहते हैं कि वी आर मेंबर ऑफ़ इंडियन रेल। लेकिन कोरोना संक्रमण ने यात्री ट्रेनों के पहिये रोककर हमें आहत किया है। उम्मीद है राष्ट्रीयता की पहचान यात्री ट्रेनें जल्द पटरी पर दौड़ेंगी।
संजीव तिवारी, रेल स्काउट सचिव, पमरे