नरसिंहपुर। जिला मुख्यालय के सुभाष वार्ड की नलकूप कॉलोनी में बहने वाली सींगरी नदी को पूरकर रात के अंधेरे में बनाए गए अवैध पुल का मामला हाई कोर्ट में है। बीती 30 जून को इसकी पेशी थी, लेकिन कोविड 19 के चलते इस मामले की सुनवाई नहीं हो पाई है। हालांकि ओआईसी के रूप में लोक निर्माण विभाग ने हाई कोर्ट में पेश करने जिला प्रशासन की ओर से फाइनल रिपोर्ट भी सबमिट कर दी है। इस रिपोर्ट में लोनिवि ने अपने जवाब में पुल को खतरनाक बताकर हादसे से इंकार नहीं किया है।
नलकूप कॉलोनी में सींगरी नदी पर बने निजी पुल के मामले में राजस्व विभाग की ओर से ओआईसी बने एसडीएम नरसिंहपुर एमके बमनहा ने फरवरी माह में ही अपनी रिपोर्ट पेश कर दी थी। इसमें उन्होंने बताया था कि पुल का एक सिरा नजूल शीट क्रमांक 2 मैथोडिस्ट चर्च इन इंडिया के स्वामित्व वाली जमीन पर है। इसके बाद तकनीकी रिपोर्ट पेश करने के लिए तत्कालीन जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना ने लोक निर्माण विभाग को ओआईसी बनाया था। विभाग के कार्यपालन यंत्री इंजी. आदित्य सोनी को तकनीकी जवाब पेश करने कहा गया था। श्री सोनी के अनुसार उन्होंने अपने जवाब में बता दिया है कि पुल उनके विभाग द्वारा नहीं बनवाया गया है, पुल की संरचना बेहद खतरनाक है। यह मानकों पर खरा नहीं उतरता है। इस पुल से आवागमन की स्थिति में हादसे से इंकार नहीं किया जा सकता है।
सेतु निगम पहले ही कह चुका है खतरनाक
गौरतलब है कि इस अवैध पुल के मामले में जिला प्रशासन द्वारा बीते साल नवंबर-दिसंबर में संभागीय सेतु निगम के कार्यपालन यंत्री व उनकी टीम के माध्यम से जांच कराई गई थी। अपनी रिपोर्ट मंे निगम के कार्यपालन यंत्री प्रभाकर सिंह परिहार ने भी पुल को खतरनाक माना था। जांच रिपोर्ट में इस बात का साफ जिक्र था कि पुल का न तो कोई डिजाइन है न ही इसमें तकनीकी दक्षता का पालन किया गया था।
चार दिन पहले नपाई-तुलाई, अफसर अनजान
नलकूप कॉलोनी में सींगरी नदी के पुल की चार दिन पहले नपाई-तुलाई करने कतिपय कर्मचारी पहुंचे थे। उन्होंने इसकी लंबाई-चौड़ाई से लेकर ऊंचाई तक नापी थी। ये कौन थे, किस लिए इसकी नापजोख कराई जा रही है, इस बारे में न तो राजस्व विभाग के अफसरों को पता है, न ही लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को। इस संबंध में एसडीएम एमके बमनहा के अनुसार उन्होंने अपनी राजस्व टीम को कोई भी निर्देश नहीं दिए हैं। पुल की नपाई-तुलाई उनके विभाग ने नहीं कराई है। इसी तरह का जवाब लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री का रहा। उनके अनुसार उन्हें हाईकोर्ट में जवाब देना था, जो वे दे चुके हैं। पुल की चार दिन पहले नापजोख से उनका कोई लेना-देना नहीं।
सड़क का एक हिस्सा ढहा, डरने लगे वाशिंदे
सींगरी नदी पर आधा-अधूरा निजी पुल बारिश शुरू होते ही खतरे का अलार्म भी बजा चुका है। पिचिंग एरिया में पहले ही इसकी संरचना का एक हिस्सा ढह चुका है, वहीं इससे लगी कच्ची सड़क ने भी इसका साथ छोड़ना शुरू कर दिया है। पुल के पश्चिमी हिस्से को जोड़ने वाली कच्ची सड़क का दक्षिणी हिस्सा ढह गया है। जिससे पुल के पिलर और सड़क का संपर्क कट चुका है। ऐसे में तेज बारिश के कारण नदी में बाढ़ आने पर खतरे की आशंका बढ़ने लगी है। वहीं नदी के बहाव स्थल के पूर्व में की गई छेड़छाड़ के कारण खरपतवार बहुतायात में हो चुकी है। नलकूप कॉलोनी के वाशिंदे इस बात से डरे हुए हैं कि बाढ़ आने पर पिछले साल की तरह ही इस बार भी कहीं ये खरपतवार पानी का बहाव अनियंत्रित कर उनके मकानों को नुकसान न पहुंचा दे। बाढ़ के पानी में आने वाली चोई उनके घरों मंे घुसकर खतरा न पैदा कर दे। वार्ड पार्षद भोला ठाकुर समेत स्थानीय रामजी ठाकुर, जीतू राय, बबलू कहार, रामेश्वर पटेल, रमन मेहरा ने कहा कि ये पुल रात-दिन स्थानीय लोगों को डराने का काम करता है। उन्होंने मांग की कि इस पुल पर रोज शाम को वाहनों से आकर सेल्फी आदि लेने वाले युवाओं को रोका जाए, ताकि किसी तरह के हादसे की आशंका से बचा जा सके।
सींगरी नदी पर बने निजी पुल के मामले में हाईकोर्ट में हमें जिला प्रशासन ने ओआईसी बनाया था। हमने जवाब में साफ कर दिया है कि पुल हमारे द्वारा नहीं बनाया गया है। यह खतरनाक है, हादसे की आशंका से इंकार नहीं है। यह पुल अतिक्रमित जमीन पर है। हम निजी हित के लिए पुल नहीं बनाते हैं।
इंजी. आदित्य सोनी, लोक निर्माण विभाग, नरिंसंहपुर।