भोपाल डिमांड भेजी, पर आए नहीं इंजेक्शन
जिला अस्पताल की सिविल सर्जन डॉ अनीता अग्रवाल ने भी माना कि जिले में रैबीज इंजेक्शन पूरी तरह से ख़त्म हो चुके हैं। उनके अनुसार हमने पिछले 15 दिन में कई बार भोपाल स्थित विभाग को भी सूचित किया है लेकिन कोई राहत नहीं मिल पाई है। इंजेक्शन अभी तक अप्राप्त हैं। डॉ अग्रवाल ने बताया कि गत दिवस हमने जिला औषधि निरीक्षक श्री अहिरवार जी को भी इस बारे अवगत कराकर उनसे बाजार मूल्य पर रैबीज के इंजेक्शन उपलब्ध कराने का आग्रह किया है, ताकि जरूरतमंद मरीजों को इसे लगाया जा सके। उन्होंने मेडिकल शॉप पर रैबीज के इंजेक्शन की अनुलब्धता पर चिंता जताई।
जिन्हें 3 लग चुके उन्हें खतरा नहीं
सिविल सर्जन डॉ अनीता अग्रवाल के अनुसार अब तक जिन मरीजों को तीन रैबीज के इंजेक्शन लग चुके हैं, उन्हें खतरा नहीं है। आपूर्ति सुनिश्चित होने पर वे बाद में भी इसे लगवा सकते हैं। लेकिन सबसे ज्यादा समस्या उन लोगों को है जिन्हें कुत्ते के काटने के बात तीन से काम या फिर एक भी इंजेक्शन नहीं लग पाया है। डॉ अग्रवाल ने कहा कि वे लगातार प्रयास कर रहीं हैं कि मरीजों के लिए इस इंजेक्शन की जल्द से जल्द जिले में आपूर्ति हो जाए।
कुत्ता मर गया तो मरीज को खतरा
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नरसिंहपुर जिला शाखा अध्यक्ष डॉ संजीव चांदोलकर के अनुसार रैबीज का इंजेक्शन जीवन रक्षक की श्रेणी में आता है। इसके न लगने से या तो तत्काल या आगे चलकर मरीज रैबीज संक्रमित हो सकता है। डॉ चांदोलकर के अनुसार अमूमन ऐसी चिकित्सकीय मान्यता है कि यदि कुत्ता 14 दिन तक जिन्दा रहे तो मरीज में रैबीज संक्रमण की आशंका ख़त्म हो जाती है, लेकिन यदि इस अवधि के पहले वह मर गया तो मान लिया जाता है कि इसका कारण रैबीज का संक्रमण है।