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घर से पता नहीं चल रहा कुत्ता मरा या जिन्दा, खतरे में मरीजों की जान

प्रतीकात्मक फोटो

रसिंहपुर। कुत्ते-बिल्ली के काटने से घायल मरीजों को अपनी जान पर संकट नजर आने लगा है। इसकी वजह जिले के सभी सरकारी अस्पतालों और मेडिकल शॉप पर रैबीज के इंजेक्शन ख़त्म हो जाना है। वहीं लॉक डाउन के कारण घर में कैद होकर रह गए मरीज काटने वाले कुत्ते भी नजर नहीं रख पा रहे हैं, जिससे उन्हें पता चल सके कि कुत्ता जिन्दा या मर गया है। जानकारी के अनुसार जिले में रोजाना करीब 25 रैबीज इंजेक्शन की जरुरत पड़ती है। जिला अस्पताल की बात करें तो यहाँ प्रतिदिन सर्वाधिक रैबीज के मरीजों का आना लगा रहता है। लेकिन पिछले एक पखवाड़े से यहाँ एक भी इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है। ऐसे में मरीजों का अपनी जीवन रक्षा के प्रति चिंतित होना लाजिमी है। तहसील मुख्यालय पर स्थित स्वास्थ्य केंद्रों का भी यही हाल है।
भोपाल डिमांड भेजी, पर आए नहीं इंजेक्शन

जिला अस्पताल की सिविल सर्जन डॉ अनीता अग्रवाल ने भी माना कि जिले में रैबीज इंजेक्शन पूरी तरह से ख़त्म हो चुके हैं। उनके अनुसार हमने पिछले 15 दिन में कई बार भोपाल स्थित विभाग को भी सूचित किया है लेकिन कोई राहत नहीं मिल पाई है। इंजेक्शन अभी तक अप्राप्त हैं। डॉ अग्रवाल ने बताया कि गत दिवस हमने जिला औषधि निरीक्षक श्री अहिरवार जी को भी इस बारे अवगत कराकर उनसे बाजार मूल्य पर रैबीज के इंजेक्शन उपलब्ध कराने का आग्रह किया है, ताकि जरूरतमंद मरीजों को इसे लगाया जा सके। उन्होंने मेडिकल शॉप पर रैबीज के इंजेक्शन की अनुलब्धता पर चिंता जताई।

जिन्हें 3 लग चुके उन्हें खतरा नहीं

सिविल सर्जन डॉ अनीता अग्रवाल के अनुसार अब तक जिन मरीजों को तीन रैबीज के इंजेक्शन लग चुके हैं, उन्हें खतरा नहीं है। आपूर्ति सुनिश्चित होने पर वे बाद में भी इसे लगवा सकते हैं। लेकिन सबसे ज्यादा समस्या उन लोगों को है जिन्हें कुत्ते के काटने के बात तीन से काम या फिर एक भी इंजेक्शन नहीं लग पाया है। डॉ अग्रवाल ने कहा कि वे लगातार प्रयास कर रहीं हैं कि मरीजों के लिए इस इंजेक्शन की जल्द से जल्द जिले में आपूर्ति हो जाए।

कुत्ता मर गया तो मरीज को खतरा

डॉ संजीव चांदोलकर

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नरसिंहपुर जिला शाखा अध्यक्ष डॉ संजीव चांदोलकर के अनुसार रैबीज का इंजेक्शन जीवन रक्षक की श्रेणी में आता है। इसके न लगने से या तो तत्काल या आगे चलकर मरीज रैबीज संक्रमित हो सकता है। डॉ चांदोलकर के अनुसार अमूमन ऐसी चिकित्सकीय मान्यता है कि यदि कुत्ता 14 दिन तक जिन्दा रहे तो मरीज में रैबीज संक्रमण की आशंका ख़त्म हो जाती है, लेकिन यदि इस अवधि के पहले वह मर गया तो मान लिया जाता है कि इसका कारण रैबीज का संक्रमण है।

इंजेक्शन लगवाने भटकते रहे डुंगरिया के राजकुमार

अपने लड़के को बिल्ली के पंजे मारने के कारण ग्राम डूंगरिया से करेली के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आए साकेत उपाध्याय पिता राजकुमार उपाध्याय ने बीते रविवार को करेली अस्पताल की पर्ची कटाई पर रेबीज का इंजेक्शन नहीं होने के कारण उनको नरसिंहपुर रेफर कर दिया गया। जिला अस्पताल आने पर यहाँ पर भी उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। इस सम्बन्ध में करेली के सीबीएमओ ऋषि साहू ने बताया कि अस्पताल में पिछले एक माह से रेबीज का इंजेक्शन नहीं है और तो और जब उच्चाधिकारियों को अवगत कराया तो पता चला कि जिला चिकित्सालय में भी रेबीज का इंजेक्शन नहीं है।