शौर्य स्मारक में सशस्त्र सीमा बल की साइकिल रैली शुभारम्भ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि सैनिक राष्ट्र का गौरव होते है। उनसे जनमानस को राष्ट्र की सेवा और संकल्प की प्रेरणा लेनी चाहियें। उन्होंने कहा कि आज़ादी के अमृत महोत्सव को जन उत्सव के रूप में मनाया जायें। उन्होंने कहा कि सीमा बलों द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों भाषा, वर्ग और समुदायों के बीच देश की आज़ादी के लिए अपना सब कुछ खपा देने वाले अनजान नायकों, नायिकाओं की गाथाओं को पहुँचायें।
राज्यपाल श्री पटेल आज शौर्य स्मारक में सशस्त्र सीमा बल की साइकिल रैली शुभारम्भ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। शौर्य स्मारक भोपाल से प्रारम्भ साइकिल रैली राजघाट दिल्ली पर सम्पन्न होगी।
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि हमारा देश ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक था। यहाँ तक्षशिला नालंदा जैसे ज्ञान के केन्द्र थे। जहाँ दुनिया भर के लोग ज्ञान प्राप्त करते थे। इतना समृद्ध था कि दूध दही की नदियाँ बह जाए। ऐसे वीर सेनानी थे जिनकी वीरता की दुनिया में मिसाल दी जाती थी। व्यापार करने आए अंग्रेजों ने लोगों की आपसी ईर्ष्या, फूट और भेदभाव का लाभ लेते हुए आपस में लड़वा कर सत्ता हड़प ली। उन्होंने कहा कि आज़ादी हमें कठिन संघर्ष के बाद मिली है। इसके लिए किए गए त्याग और बलिदान से आज़ादी के अमृत महोत्सव में युवा पीढ़ी को परिचित कराया जायें। उन्होंने राष्ट्र की सुरक्षा और सेवा में लगें सैनिक बलों के द्वारा आज़ादी के महोत्सव कार्यक्रमों के आयोजन लिए सराहना की।
सशस्त्र सीमा बल अकादमी के निदेशक श्री राजिन्द्र कुमार भूमला ने स्वागत उद्बोधन में बताया कि साइकिल रैली करीब 865 किलोमीटर की यात्रा कर 2 अक्टूबर को राजघाट में सम्पन्न होगी। सशस्त्र सीमा बल के गठन के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भोपाल स्थित प्रशिक्षण अकादमी द्वारा सहायक कमांडेंट से लेकर उप महानिरीक्षक स्तर के अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता है।
राज्यपाल श्री पटेल ने हरी झंडी दिखाकर साइकिल रैली को रवाना किया। शौर्य स्मारक आगमन पर राज्यपाल को सशस्त्र सीमा बल की सम्मान गारदद्वारा सलामी दी गई। सशस्त्र सीमा बल की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। इंडो-तिब्बत-बॉर्डर पुलिस के महानिरीक्षक श्री संजीव रैना, सशस्त्र सीमा बल के अधिकारी उनके परिजन भी मौजूद थे।