कॉन्फ्रेंस में उद्घाटन भाषण देते हुए रक्षामंत्री ने देश की रक्षा और सुरक्षा को प्रभावित करने वाले बहुत से मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने उभरते सैन्य खतरों, इन खतरों से निपटने में सशस्त्र सेनाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और भविष्य में संघर्षों की बदलती प्रकृति पर विशद चर्चा की। रक्षामंत्री ने पीएलए के साथ पूर्वी लद्दाख में उत्पन्न गतिरोध के दौरान सैनिकों द्वारा प्रदर्शित निस्वार्थ सेवा और साहस की हृदय से प्रशंसा की और उनके प्रति सम्मान व्यक्त किया। इस अवसर पर रक्षा विभाग,रक्षा उत्पादन विभाग तथा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिवों और रक्षा सेवाओं के वित्तीय सलाहकार ने भी विभिन्न संबद्ध विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए।
रक्षामंत्री की उपस्थिति में आज दिनभर में दो विवेचना सत्र आयोजित किए गए, जिनमें विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श किया गया और उनमें से कुछ सत्र बंद कमरों में भी हुए। इन सत्रों में सशस्त्र सेनाओं के आधुनिकीकरण खासतौर से समन्वित थिएटर कमांड स्थापित करने और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को शामिल करने के संबंध में चर्चा हुई। सशस्त्र सेनाओं का मनोबल बढ़ाने और उन्हें प्रेरित करने तथा नवाचार को प्रोत्साहित करने जैसे विषयों पर बहुत उत्साहवर्द्धक भागीदारी देखने को मिली। तीनों सेनाओं के सैनिकों और युवा अधिकारियों की ओर से इस संबंध में बेहद उपयोगी फीडबैक और सुझाव भी सामने आए।