जिले में रानी अवंतीबाई नहर सागर परियोजना के अंतर्गत अधिकांश हिस्सों में नहरें या तो लुप्त हो गईं हैं या फिर उनकी हालत ऐसी है कि उसमें पानी का ठहराव हो ही नहीं सकता है। लेकिन, नहर विभाग के अधिकारी मानकर चल रहे हैं कि उनकी नहरों से जिलेभर के गांवों में सिंचाई सुविधा किसानों को मिल रही है। ऑफिस में बैठे-बैठे अधिकारी मनमर्जी से अपना आकलन कर रहे हैं और किसानों पर बेवजह आर्थिक बोझ बढ़ाने की जुगत में हैं। जानकारी के अनुसार नहर किनारे बसे गांवों के किसानों को भोपाल से आए आदेश के तहत जल राशि का बिल दिया जा रहा है।
किसान हैरत में
चावरपाठा ब्लाक के अंतर्गत अजंसरा व अन्य गांवों के किसानों ने कभी भी रानी अवंतीबाई नहर सागर परियोजना से सिंचाई के लिए पानी लेने के लिए आवेदन नहीं किया। बावजूद इसके शनिवार को जैसे ही उन्हें पता चला कि परियोजना की ओर से उन्हें सिंचाई कर का बिल जारी हुआ है, वे हैरत में पड़ गए। किसानों का कहना था कि वैसे भी अजंसरा क्षेत्र की नहरों में पानी की बजाय झाड़फूंस लगी है। इसमंे बरसात को छोड़कर शेष समय पानी ठहरता ही नहीं है। बारिश में भी जो पानी भरता है वह नहर की टूटफूट के चलते खेतों की ओर रुख कर लेता है। ऐसे में उन्हें आखिर किस आधार पर बिल थमाया जा रहा है। अजंसरा गांव में करीब आधा सैकड़ा लोगों को नहर से सिंचाई का बिल भेजने की बात सामने आई है।
भेजे जा रहे बिल
अजंसरा ही नहीं बल्कि जिले में उन सब जगहों पर निवासरत किसानों को सिंचाई कर का बिल भेजा जा रहा है जिनके खेत नहरों के आसपास है। इस संबंध में डिस्नेट नरसिंहपुर के कार्यपालन यंत्री केएस ठाकुर का कहना है कि भोपाल मुख्यालय से इस तरह के आदेश प्राप्त हुए हैं। जिसमें कहा गया है कि भले ही किसान नहरों से पानी न ले रहा हो लेकिन नहरों के कारण भूजल स्तर में बढ़ोतरी हुई है। वाटर रीचार्ज के लिए किसानों को बिल भेजे जाएं। जहां तक अजंसरा की नहर के सूखे होने या टूटफूट की बात है, यह मामला करेली स्थित विभाग के अंतर्गत है।